खदिरादि वटी को खदिरादि गुटिका के नाम से भी जाना जाता है, यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो गले की ख़राश, आवाज़ बैठना, मुँह के छाले या मुंह आना, माउथ अल्सर, खाना गले में अटकना और खांसी जैसी बीमारियों को दूर करती है, तो आईये जानते हैं खदिरादि वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
खदिरादि वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है वटी या टेबलेट है जिसका मेन इन्ग्रीडेंट खदिरसार या कत्था होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें खदिरसार चार भाग, जावित्री, कंकोल, भीमसेनी कपूर और सुपारी का मिश्रण होता है. यही इसका मेन फ़ॉर्मूला है, कुछ अलग ग्रंथों में इसका कम्पोजीशन थोड़ा अलग होता है पर सब के काम एक जैसे ही हैं और नाम भी सेम होता है.
खदिरादि वटी के फ़ायदे -
इसके इस्तेमाल से मुँह, गला, तालू, ज़बान और होंठ के रोगों में फ़ायदा होता है. इन सब रोगों में इसका इस्तेमाल करना चाहिए जैसे -
गले की ख़राश(Sore Throat)
टॉन्सिल्स बढ़ जाना(Tonsillitis)
आवाज़ बैठ जाना(Hoarsness)
मुँह के छाले(Gingivitis), माउथ अल्सर
मुँह सुखना, खाना गले में अटकना
जीभ और तालू के विकार
खाँसी, सुर सूरी होना गले की ख़राश से
दांत दर्द, मसूड़ों के दर्द में भी फ़ायदा होता है.
खदिरादि वटी की प्रयोग विधि-
एक गोली दिन में पांच छह बार तक मुँह में रखकर चुसना चाहिए. बच्चों को एक गोली रोज़ दो-तीन बार तक दे सकते हैं. यह लोजेंस की तरह मुँह में रखकर चूसने की दवा है.
यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, कपूर मिला होने से बहुत ज़्यादा यूज़ कर लेने पर पेट दर्द, उल्टी और बेचैनी जैसे लक्षण हो सकते हैं. इसीलिए बहुत ज़्यादा यूज़ न करें. डाबर, बैद्यनाथ, झंडू जैसी कई सारी कंपनियाँ इसे बनाती हैं. ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से-
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