पुनर्नवादि मंडूर जैसा कि इसका नाम से ही पता चलता है इसका मेन Ingredients पुनर्नवा नाम की बूटी और मंडूर भस्म है. इसके अलावा भी इसमें कई दूसरी जड़ी-बूटियों का भी मिश्रण होता है.
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें पुनर्नवा, त्रिवृत, सोंठ, मिर्च, पीपल, वायविडंग, देवदार, चित्रक, कूठ, हल्दी, दारुहल्दी, हर्रे, बहेड़ा, आंवला, दन्तीमूल, चव्य, इंद्रजौ, पिपल्ली, पीपलामूल और मोथा प्रत्येक 25-25 ग्राम और मंडूर भस्म एक किलो होता है.
बनाने का तरीका यह होता है कि सभी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण बनाकर मंडूर भस्म मिक्स करने के बाद कम से कम तीन लीटर ताज़ा गोमूत्र की भावना देकर अच्छी तरह खरल कर 250 mg की टेबलेट बनाया जाता है या फिर सुखाकर चूर्ण के रूप में भी रखते हैं. कुछ कम्पनियाँ इसका टेबलेट तो कुछ पाउडर फॉर्म में बनाती हैं.
पुनर्नवादि मंडूर के गुण -
कफ़, पित्त नाशक, रक्त वर्धक, लीवर प्रोटेक्टिव, सुजन दूर करने वाला, एंटी ऑक्सीडेंट और Digestive गुणों से भरपूर होता है.
पुनर्नवादि मंडूर के फ़ायदे -
पीलिया या जौंडिस होने, खून की कमी, सुजन, लीवर-स्प्लीन बढ़ जाने जैसे रोगों के लिए यह एक बेहतरीन दवा है. शरीर की सुजन दूर करने और पेट के रोगों के लिए प्रमुखता से इसका प्रयोग किया जाता है.
मूत्रल या Diuretic गुण होने से यह बॉडी के एक्स्ट्रा वाटर को निकाल देता है, इस से पेशाब खुलकर आता है और कब्ज़ भी दूर होता है.
लीवर-स्प्लीन, पेट के रोग और खून की कमी के लिए यह एक जानी-मानी आयुर्वेदिक औषधि है. यह हीमोग्लोबिन लेवल को बढ़ाता है.
इन सब के अलावा इसे ग्रहणी, पाइल्स, त्वचा के रोग और पेट के कीड़ों में भी इस्तेमाल किया जाता है.
पुनर्नवादि मंडूर की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो गोली या 250 से 500 mg तक सुबह शाम भोजन के बाद रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. सुजन में पुनर्नवा के रस या पुनर्नवा के काढ़े के साथ. लीवर-स्प्लीन और जौंडिस की बीमारी में त्रिफला के काढ़े या शहद से ले सकते हैं.
इसका इस्तेमाल करते हुवे दही, नमक और ऑयली चीज़ न खाएं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में जटिल रोगों के लिए चार-छह महिना तक इस्तेमाल किया जा सकता है. डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि जैसी अनेकों कम्पनियाँ इसे बनाती हैं, आयुर्वेदिक मेडिकल से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं.
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