यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो ख़ासकर महिलाओं के रोग ल्यूकोरिया में इस्तेमाल की जाती है. सफ़ेद प्रदर, रक्त प्रदर, धात गिरना या सफ़ेद पानी-लाल पानी आना, एक्सेस ब्लीडिंग, एनीमिया, भूख की कमी और कमज़ोरी जैसी प्रॉब्लम के लिए इसका प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
यह आसव यानि लिक्विड है जो सिरप की तरह होती है. पत्रांगा नाम की बूटी मिला होने से इसका नाम पत्रांगासव रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई सारी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं जैसे -
पत्रांगा या पतंग काष्ठ, खैरसार, वासामूल, सेमल के फूल, बला, भिलावा, गुड़हल, शारिवा, आम्र बीज मज्जा, दारूहल्दी, रसौत, चिरायता, सफ़ेद जीरा, बेल, भांगरा, दालचीनी, केसर, लौंग सभी एक-एक भाग
द्राक्षा बीस भाग, धातकी सोलह भाग, शहद पचास भाग, चीनी सौ भाग और पानी 512 भाग का मिश्रण होता है. आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव निर्माण विधि से इसका आसव या सिरप बनता है. रिष्ट से आसव बनाना आसान होता है, तो आईये संक्षेप में जान लेते हैं कि इसका आसव कैसे बनता है? -
आसव बनाने के लिए बताई गयी मात्रा में मिट्टी के बर्तन में पानी डालकर द्राक्षा, धातकी, चीनी और शहद सब मिक्स कर लें उसके बाद दूसरी जड़ी बूटियों का मोटा चूर्ण मिला देना होता है. अब बर्तन का ढक्कन सील कर 30 दिनों तक बाहर खुले आसमान में धुप में रख दिया जाता है. तीस दिनों के बाद इसे फ़िल्टर कर लिक्विड को काँच की बोतल में पैक कर रख लिया जाता है. यही आसव होता है.
पत्रांगासव के गुण -
पित्त, वातदोष नाशक, प्रदर नाशक, दीपन, पाचन, सुजन दूर करने वाला(Anti-inflammatory), Antimicrobial, रक्त स्तम्भक, Blood Purifier यानि खून साफ़ करने वाले गुणों से भरपूर होता है.
पत्रांगासव के फ़ायदे-
हर तरह के ल्यूकोरिया के लिए यह अच्छी दवा है. इसके अलावा पीरियड्स की प्रॉब्लम या Mestrual Disorder के लिए भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
Dysmenorrhea, Excessive bleeding, एनीमिया और भूख की कमी में फ़ायदेमंद है.
यह पाचन शक्ति को ठीक करती है, खून साफ़ करती है और सफ़ेद पानी की समस्या और Menstrual प्रॉब्लम को दूर करती है.
यह एक बेहतरीन Uterine Tonic है, गर्भाशय की बीमारियों को दूर कर महिलाओं के स्वास्थ को इम्प्रूव करती है.
पत्रांगासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर खाना खाने के तुरंत बाद लेना चाहिए. इसे रोज़ तीन बार भी लिया जा सकता है डॉक्टर की सलाह से. इसके साथ में 'पुष्यानुग चूर्ण' 'सुपारी पाक' 'मुक्ताशुक्ति भस्म' 'प्रवाल पिष्टी' के अलावा योगराज गुग्गुल, चंद्रप्रभा वटी जैसी ल्यूकोरिया में काम करने वाली दवा भी ले सकते हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से. इसका इस्तेमाल करते हुवे खट्टी चीज़े, मिर्च-मसला, सॉफ्ट ड्रिंक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. प्रेगनेंसी में स्तनपान कराने वाली महिलायें इसका इस्तेमाल न करें. डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि, सांडू जैसी अनेकों कम्पनियाँ इसे बनाती हैं. आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं.
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