जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें प्रवाल के साथ पांच तरह की अमृत के समान औषधियों का मिश्रण होता है, इसीलिए इसे प्रवाल पंचामृत रस कहा गया है. पारा-गंधक का मिश्रण नहीं होने के बावजूद यह रसायन औषधि है
यह आयुर्वेद की महान औषधियों में से एक है, इसके इस्तेमाल से पेट के हर तरह के रोग जैसे अम्लपित्त या एसिडिटी, अजीर्ण, गुल्म, लीवर-स्पलीन बढ़ जाना, पत्थरी, अस्थमा, शरीर की गर्मी जैसे रोग दूर होते हैं
तो आईये जानते हैं प्रवाल पंचामृत रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
जैसा कि मैंने अभी बताया इसमें पांच तरह की औषधियों का मिश्रण होता है सबसे पहले जान लेते हैं इसका घटक या कम्पोजीशन -
इसमें प्रवाल पिष्टी या प्रवाल भस्म, मोती पिष्टी या मोती भस्म, शंख भस्म, मुक्ताशुक्ति भस्म या पिष्टी और कपर्दक भस्म का मिश्रण होता है, इसके आक के दूध की भावना देकर सुखाकर पाउडर के रूप में या फिर गोली बनायी जाती है. कई आयुर्वेदिक कंपनियाँ इसे टेबलेट के रूप में तो कुछ पाउडर के रूप में पैक करती हैं.
यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि इसमें मोती मिला होने से ज़्यादा पावरफुल और महँगा भी होता है, जबकि बिना मोती वाला भी प्रवाल पंचामृत रस भी मिलता है जिसे प्रवाल पंचामृत रस साधारण के नाम से जाना जाता है.
प्रवाल पंचामृत रस के गुण -
यह शीतल, पित्त दोष को दूर करने वाला, पित्त शामक,अम्लपित्त नाशक, बेहतरीन Antacid,दाह नाशक, दिल दिमाग को शक्ति देने वाले गुणों से भरपूर होता है
प्रवाल पंचामृत रस के फ़ायदे-
प्रवाल पंचामृत रस पित्त दोष के बढ़ने से होने वाले हर तरह के रोगों को दूर करने की बहुत ही असरदार दवा है, इसके इस्तेमाल से एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, सिने की जलन, अजीर्ण, अपच, डकार आना, पेट फूलना, पेट में गोला बनना, भूख की कमी, लीवर-स्पलीन बढ़ जाना, ग्रहणी, दस्त, डायरिया और दिल और दिमाग की कमज़ोरी दूर होती है
पेट में आँव बनना और आँव वाले दस्त होना और कब्ज़ में भी दूसरी दवाओं के साथ लेने से फ़ायदा होता है
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कैल्शियम रिच होने से आँतों की टी.बी., कैल्शियम की कमी और हड्डियों की कमज़ोरी को भी दूर करती है
पेशाब की जलन, पत्थरी में भी सहायक औषधियों जैसे गोखुरू के काढ़े या गोक्षुरादी गुग्गुल के साथ लेने से अच्छा फ़ायदा होता है, कुल मिलाकर देखा जाये तो यह एक बेस्ट मेडिसिन है ख़ासकर पित्त रोगों के लिए.
प्रवाल पंचामृत रस की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो गोली या 125 mg से 250 mg तक दिन में दो बार शहद या रोगानुसार अनुपान के साथ लेना चाहिए. इसे लॉन्ग टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं, सही डोज़ और सही अनुपान के साथ लेने से कोई नुकसान नहीं होता है
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