मंडूर भस्म शास्त्रीय औषधि है जिसके इस्तेमाल से खून की कमी दूर होती है, जौंडिस, लीवर-स्प्लीन बढ़ जाने, Digestion की प्रॉब्लम, पीरियड्स की प्रॉब्लम और खून की कमी से होने वाले रोग दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं कि मंडूर क्या है? इसका भस्म कैसे बनता है? और इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
सबसे पहले जान लेते हैं कि मंडूर क्या है?
यह लोहा या आयरन का एक रूप यानि आयरन ऑक्साइड है, यह एक तरह का आयरन रस्ट है. जब लोहा सदियों तक ज़मीन के अन्दर दबा रहता है तो मंडूर बन जाता है. लोहे की पुरानी खदानों से और जहाँ पुराने ज़माने में लोहा गलाया जाता था वहां से भी मंडूर पाया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार मंडूर जितना पुराना हो उतना अच्छा माना जाता है. सौ साल या उस से पुराना मंडूर बेस्ट माना गया है.
भस्म बनाने के लिए मंडूर को सबसे शोधित किया जाता है. त्रिफला के काढ़े, घृतकुमारी, गौमूत्र जैसी चीजों से आयुर्वेदिक प्रोसेस शोधन-मारण से गुजरने के बाद हाई टेम्परेचर में जलाकर भस्म बनाया जाता है. इसे कई बार लघुपुट या अग्नि देने पर सॉफ्ट भस्म बनती है.
मंडूर भस्म के गुण-
मंडूर भस्म के गुणों की बात करें तो यह पित्त और कफ़ दोष नाशक, शीतवीर्य और टेस्ट में कसैला होता है, रक्तवर्धक यानि खून बढ़ाने वाला और Digestion improve करने वाले गुणों से भरपूर होता है.
मंडूर भस्म के फ़ायदे -
मंडूर भस्म और लौह भस्म दोनों के लगभग एक ही तरह के फ़ायदे होते हैं, मंडूर भस्म लौह भस्म से ज्यादा सौम्य होता है. जिनको लौह भस्म सूट नहीं करता है उनको मंडूर भस्म यूज़ करना चाहिए
- मंडूर भस्म के इस्तेमाल से खून की कमी दूर होती है,यह हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है. एनीमिया, कमजोरी, शरीर का पीलापन जैसे रोग दूर होते हैं.
- जौंडिस, लीवर बढ़ जाना, स्प्लीन बढ़ जाना, हेपेटाइटिस, फैटी लीवर, पाचनशक्ति की कमी, भूख नहीं लगना जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल करना चाहिए
- किसी भी वजह से होने वाली शरीर की सुजन को दूर करने और शरीर को ताक़त देने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए
- मिट्टी खाना, ईंट-पत्थर चबाने के बीमारी कुछ लोगों को हो जाती है, ऐसी कंडीशन में मंडूर भस्म को प्रवाल पिष्टी के साथ देने से लाभ होता है
- महिलाओं के रोग जैसे खून की कमी से पीरियड कम होना या पीरियड नहीं होना और दर्द होने में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है
कुल मिलाकर देखा जाये तो मंडूर भस्म बेस्ट दवा है खून की कमी और इसकी वजह से होने वाले रोगों के लिए. पुनर्नवादि मंडूर, Liv 52 जैसी कई आयुर्वेदिक दवाओं में मंडूर भस्म का इस्तेमाल किया जाता है.
मंडूर भस्म की मात्रा और सेवन विधि -
125 mg से 250 mg तक शहद या रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए. मंडूर भस्म का डोज़ रोगी की उम्र और कंडीशन पर डिपेंड करता है. मंडूर भस्म ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है अगर सही डोज़ में लिया जाये. प्रेगनेंसी में और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलायें भी कम मात्रा में इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.
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