'सोने पर सुहागा' नाम की कहावत आपने सुनी होगी, इसे धातुओं को शुद्ध करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, इसीलिए इस तरह की कहावत कही गयी है. टंकण को आयुर्वेद, यूनानी के अलावा होमियोपैथी में भी इस्तेमाल किया जाता है. सुहागा या टंकण भस्म का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है.
इसके इसके इस्तेमाल से कफ़-पित्त के रोग, खाँसी, साँस की तकलीफ़, पेट दर्द, मुँह के छाले, मुँह की बदबू, बुखार, गला बैठ जाना, सर में रुसी या Dandruff होना, नाख़ून ख़राब होना, स्त्रीरोग जैसे कई तरह के रोग दूर होते हैं, तो आईये जानते हैं सुहागा क्या है? टंकण भस्म कैसे बनता है? और इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
सबसे पहले जान लेते हैं कि टंकण या सुहागा क्या है?
टंकण को अंग्रेज़ी में Borax कहते हैं जबकि हिंदी, उर्दू में सुहागा कहा जाता है. टंकण इसका संस्कृत या आयुर्वेदिक नाम है.
टंकण भस्म कैसे बनाया जाता है?
टंकण भस्म बहुत आसानी से बन जाता है. यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि टंकण भस्म को सुहागे का फुला और सुहागे की खील भी कहा जाता है
इसका भस्म बनाने का तरीका यह है की सुहागा पाउडर को लोहे की कड़ाही में डालकर आँच दी जाती है, पहले यह पिघलता है और फिर इसके बाद धीरे धीरे इसका पानी सुख जाता है और खील की तरह फुल जाता है. जब अच्छी तरह से यह फूल जाये तो ठंडा होने पर कूट-पीसकर बारीक पाउडर बना कर रख लेते हैं. यही टंकण भस्म या सुहागे की खील है. इसी टंकण भस्म या सुहागे की खील को खाने के लिए या इंटरनल प्रयोग किया जाता है.
टंकण भस्म या सुहागे की खील के गुण -
टंकण भस्म के गुणों की बात करें तो यह कफ़ नाशक यानि Expectorant, Anti-inflammatory, पाचक, Antacid, संकोचक, मूत्रल यानि Diuretic, Anti-septic, शूलनाशक यानि Anti-spasmodic और मेदहर यानि Fat burner जैसे गुणों से भरपूर होता है
टंकण भस्म के फ़ायदे-
यह कफ़ नाशक है, गीली खाँसी में कफ़ को पतला कर निकलता है. खाँसी, दमा, ब्रोंकाइटिस में इस से फ़ायदा होता है. खांसी में इसे त्रिकटु चूर्ण या वासा चूर्ण के साथ लेने से अच्छा फ़ायदा होता है
सर्दी जुकाम होने पर थोड़ा से टंकण भस्म को गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए
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पाचक गुण होने से यह Digestion की प्रॉब्लम को ठीक करता है,भूख बढ़ाता है, लीवर के फंक्शन को सही करता है, बढ़े हुवे स्प्लीन को भी नार्मल करता है
मुँह आने, या माउथ अल्सर होने पर टंकण भस्म को घी में मिलाकर मुँह में लगाना चाहिए
Dysmenorrhea और ल्यूकोरिया में भी इसे दूसरी दवाओं के साथ लेने से फ़ायदा होता है
आवाज़ बैठने या गला बैठ जाने पर-
एक चुटकी टंकण भस्म को मुँह में रखकर चूसने से चमत्कारिक लाभ मिलता है
पसीने में बदबू आने पर नहाने के पानी में टंकण भस्म को मिलाकर नहाना चाहिए
दांतों की मज़बूती के लिए टंकण भस्म को सेंधा नमक के चूर्ण के साथ मिक्स कर मंजन करना चाहिए
Injury होने पर टंकण भस्म लगाने से ब्लीडिंग बंद होती है
सर में रुसी या Dandruff होने पर टंकण भस्म को नारियल के तेल में मिक्स कर बालों की जड़ों में हफ्ता में एक दो बार लगाने से रुसी दूर हो जाती है
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मस्से या वार्ट और कॉर्न होने पर टंकण भस्म को पपीते के दूध के साथ लगाना चाहिए
ख़राब नाखून या कुनख होने पर टंकण भस्म को नारियल के तेल या घी में मिक्स कर लगाने से नाखून ठीक हो जाते हैं
कच्चा सुहागा पाउडर थोड़ा सा लेकर एक शीशी में डालें और थोड़ा सा पानी मिलाकर एयर टाइट कर दें, जिस आदमी को बिच्छू काटा हो उसे शीशी का ढक्कन खोलकर इसकी गैस सुंघाने से लाभ होता है
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टंकण भस्म को बछनाग के विष को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह से कई सरे प्रयोग हैं जिनका इस्तेमाल कर टंकण भस्म का लाभ ले सकते हैं.
प्रेगनेंसी, ब्रेस्टफीडिंग और हैवी ब्लीडिंग में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
रजः प्रवर्तनी वटी, लक्ष्मीविलास रस जैसी शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों में टंकण भस्म मिला होता है. हब्बे नौशादरी, हब्बे टंकर जैसी यूनानी दवाओं में भी टंकण भस्म या सुहागे का फूला मिला होता है.
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