रसेन्द्र चूड़ामणि रस जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं. शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
इसे बनाने के लिए चाहिए होता है रस सिन्दूर एक भाग, स्वर्ण भस्म दो भाग, नाग भस्म तीन भाग, अभ्रक भस्म सहस्र पुटी चार भाग, वंग भस्म पाँच भाग, अतुल शक्तिदाता योग छह भाग, रौप्य भस्म सात भाग और स्वर्णमाक्षिक भस्म आठ भाग
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सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर धतुरा और पान के पत्तों के रस में तीन दिन तक खरल करें और उसके बाद मुलहठी, शतावर, कौंच, गिलोय, भारंगी, अमर बेल, खस, नागरमोथा, तुलसी और शुद्ध बछनाग के क्वाथ की सात भावना देकर सुखा लेना है और कुल दवा के आधे वज़न के बराबर शुद्ध अहिफेन मिलाकर घोटकर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रखा जाता है, कई वैद्य लोग अपनी सुविधानुसार इसमें परिवर्तन कर भी बनाते हैं.
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सोना, चाँदी, अभ्रक, वंग जैसे भस्मों और जड़ी बूटियों के मिश्रण से यह दवा बेजोड़ पावरफुल बन जाती है, अफ़ीम का साइड इफ़ेक्ट न के बराबर होता है और आधुनिक वियाग्रा से कई गुना शक्तिशाली है और अस्थाई लाभ देती है वो भी बिना साइड इफ़ेक्ट के
रसेन्द्र चूड़ामणि रस के फ़ायदे-
रसेन्द्र चूड़ामणि रस यौनशक्ति वर्धक दवा है जिसके इस्तेमाल से आपका रोम-रोम फड़कने लगता है. इसके बारे में कहा जाता है कि विलासी राजा लोग इसका प्रयोग करते थे जिनके पास कई-कई रानियाँ होती थीं
शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, वीर्य का पतलापन, यौनेक्षा की कमी, नामर्दी, तनाव और जोश की कमी जैसे हर तरह के पुरुष रोगों को दूर करने की क्षमता इस दवा में है
इसके इस्तेमाल से वीर्य गाढ़ा हो जाता है, स्पर्म क्वालिटी और Quantity को सही करती है और लॉन्ग लास्टिंग इरेक्शन में मदद करती है. कुल मिलाकर देखा जाये तो यह वियाग्रा से सौ गुना अच्छी दवा है जो वियाग्रा की तरह हार्ट, लीवर और किडनी जैसे ओर्गंस को नुकसान नहीं पहुँचाती है.
रसेन्द्र चूड़ामणि रस का डोज़ इस्तेमाल करने का तरीका -
एक से 2 गोली तक सुबह शाम दूध से लेना चाहिए, स्थाई लाभ के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करते हुवे कम से कम बीस दिनों तक लगातार प्रयोग कर सकते हैं.
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