मुक्ताशुक्ति भस्म या मुक्ताशुक्ति पिष्टी के इस्तेमाल से सिने की जलन, मुँह का स्वाद खट्टा होना, अपच, पेट दर्द, लीवर का दर्द, अरुचि, भूख नहीं लगना, खांसी, हड्डियों की कमजोरी और कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग दूर होते हैं. इसके गुण मोती पिष्टी से मिलते जुलते ही होते हैं, तो आईये जानते हैं इसकी पूरी डिटेल -
मुक्ता + शुक्ति जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है मुक्ता का मतलब मोती या पर्ल और शुक्ति का मतलब होता है सिप, जिस सिप से मोती निकलती है उसी सिप का इस्तेमाल किया जाता है इस दवा को बनाने में
यहाँ Clearly आप समझ लें कि इस दवा में मोती का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि सिप का इस्तेमाल होता है, जिसे अंग्रेज़ी में Pearl Oyester Shell कहते हैं. इस से दो तरह की दवा बनती है भस्म और पिष्टी. भस्म को मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी को मुक्ताशुक्ति पिष्टी.
मुक्ताशुक्ति को पहले शुद्ध किया जाता है इसके बाद ही इसकी भस्म या पिष्टी बनाई जाती है.
मुक्ताशुक्ति या सिप को शोधित कैसे करते हैं?
शुद्ध करने के लिए इसे सबसे पहले तीन दिनों तक छाछ में डूबाकर धुप में रखा जाता है और हर रोज़ नया छाछ बदला जाता है, तीन दिनों के बाद इसे गर्म पानी में रगड़ रगड़ कर धोया जाता है और उपरी परत हटा दी जाती है सिर्फ सफ़ेद सिप को दवा में इस्तेमाल किया जाता है
मुक्ताशुक्ति भस्म बनाने के लिए इसे घृतकुमारी के गुदे में रखकर अग्नि दी जाती है और उसके बाद निम्बू के रस की भावना देकर टिकिया बनाकर दुबारा अग्नि दी जाती है
मुक्ताशुक्ति पिष्टी बनाने के लिए शोधित मुक्ताशुक्ति को गुलाब जल में खरल कर बारीक पाउडर बनाया जाता है. मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी दोनों सफ़ेद रंग का फाइन पाउडर होता है
मुक्ताशुक्ति पिष्टी और भस्म के गुण -
अगर इसके गुणों की बात करें तो यह पित्त और कफ़ दोष को दूर करती है. एक बेहतरीन Antacid, उल्टी नाशक, एंटी ऑक्सीडेंट, पाचन शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होती है
मुक्ताशुक्ति भस्म और मुक्ताशुक्ति पिष्टी के फ़ायदे-
इसके इस्तेमाल से एसिडिटी, गैस्ट्रिक, Duodenal अल्सर, सिने की जलन, पेप्टिक अल्सर, माउथ अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस, भूख और पाचन शक्ति की कमी, गैस, अपच, हड्डियों की कमजोरी, कैल्शियम की कमी जैसे रोग दूर होते हैं. रोगानुसार दूसरी दवाओं के साथ इस्तेमाल करने से अच्छा फ़ायदा होता है
मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी की मात्रा और सेवन विधि-
125 mg से 250 mg तक रोज़ दो बार गुलकंद या शहद में मिक्स कर लेना चाहिए. बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए.
इसे बच्चे, बड़े-बूढ़े सभी इस्तेमाल कर सकते हैं, प्रेगनेंसी में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. पूरी तरह से सुरक्षित दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. कई सारी आयुर्वेदिक कंपनियाँ इसे बनाती हैं.
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