यह एक क्लासिकल मेडिसिन है जो ज़्यादातर कब्ज़ और बवासीर के लिए इस्तेमाल की जाती है. पेट के रोगों, लीवर-स्प्लीन की प्रॉब्लम, भूख की कमी और Digestion की प्रॉब्लम को दूर करने की यह एक अच्छी दवा है. तो आईये जानते हैं अभयारिष्ट का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
अभयारिष्ट जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक 'अभया' या बड़ी हर्रे होती है, बड़ी हर्रे के अलावा इसमें मुनक्का, वायविडंग, महुआ के फूल, गुड़, गोखरू, निशोथ, धनिया, धाय के फूल, इन्द्रायण मूल, चव्य, सौंफ़, दन्तीमूल और मोचरस मिलाया जाता है. आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से इसे बनाया जाता है, यह रिष्ट या सिरप के रूप में होता है
अभयारिष्ट के गुण-
अभयारिष्ट के गुणों की बात करें तो यह वात-कफ़ शामक और आमदोष नाशक होता है. कब्ज़ को दूर करने वाला, पाचन शक्ति और भूख बढ़ाने वाला, बवासीर दूर करने वाला, मूत्रल और कृमिनाशक गुणों से भरपूर होता है
अभयारिष्ट के फ़ायदे-
यह एक बेहतरीन कब्ज़नाशक है, कब्ज़ के मुलकारण को दूर करता है, आंतों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है. कब्ज़ के कारन होने वाले रोगों को दूर करता है, पाचन शक्ति सुधारता है और भूख बढ़ाता है
पाइल्स या बवासीर के बहुत ही फ़ायदेमंद दवा है, कब्ज़ का लगातार रहना बवासीर का एक मुख्य कारण होता है. कब्ज रोगी को मल त्याग करने के लिए अधिक दबाव डालना पड़ता जिससे बवासीर के मस्से बनने लगते हैं, ज्यादातर जो रोगी बवासीर से पीड़ित होते हैं, उन सब में यही कारण देखा जाता है. दबाव की वजह से मस्सा हो जाता है और कभी कभी मस्सा गुदा से बाहर आने लगता है. अभयारिष्ट बवासीर के मूल कारण अर्थात कब्ज को दूर कर बवासीर से रोगी को राहत देता है.
इन सबके अलावा मूत्रल गुण होने से यह पेशाब साफ़ लाता है और वायविडंग मिला होने से पेट के कीड़े को भी दूर करता है
अभयारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि-
15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद लेना चाहिए, बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए. सुरक्षित दवा है लम्बे समय तक लिया जा सकता है, सिर्फ प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें