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30 मई 2017

कद्दू बीज के फ़ायदे | Pumpkin Seeds Benefits in Hindi


कद्दू एक सब्ज़ी है जिसे लगभग पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है और सभी लोग इसे जानते हैं, इसलिए इसके बारे में ज़्यादा जानकारी देने की ज़रूरत नहीं है. पर इसके बीजों के फ़ायदे सभी लोग नहीं जानते और अक्सर इसके बीजों को फेंक दिया जाता है. अगर आप इसके बीजों के फ़ायदे जान जायेंगे तो इसे कभी नहीं फेकेंगे. तो आईये जानते हैं कद्दू के बीजों के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल-

कद्दू के बीज विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं, इसमें मैंगनिज़, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, ताँबा, जस्ता, आयरन, प्रोटीन के अलावा विटामिन K, विटामिन E, विटामिन C और हाई क्वालिटी प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड भी पाए जाते हैं.

कई लोग कद्दू के बीजों को भूनकर स्नैक्स की तरह भी खाते हैं, इसे मिठाई, चटनी, सूप, सलाद और सब्ज़ियों में भी मिलाकर खाया जाता है

इम्युनिटी या रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए -

एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होने से कद्दू के बीज इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाते हैं, जिस से आप बीमारियों से बचे रह सकते हैं.


कोलेस्ट्रॉल कम करे-

कद्दू के बीजों को नियमित रुप से सेवन से कोलेस्ट्रॉल कमता है. यह गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और बाद कोलेस्ट्रॉल को कम करता है

शुगर को कण्ट्रोल करता है -

कद्दू का बीज मधुमेह या शुगर के रोगियों के लिए फ़ायदेमंद है, यह इन्सुलिन को रेगुलर करता है, तनाव कम करता है और शुगर लेवल को कण्ट्रोल में रखने में मदद करता है

मूत्राशय और मूत्र रोगों में लाभकारी है -

कद्दू के बीजों के इस्तेमाल से मूत्र रोगों में भी लाभ होता है, पेशाब की जलन, प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ जाना, पेशाब में रुकावट, पिला पेशाब होना जैसी प्रॉब्लम में इस से फ़ायदा होता है

जोड़ों का दर्द, गठिया, Arthritis के लिए -

कद्दू के बीजों में Anti-inflammatory गुण होने से यह दर्द और सुजन को कम करता है. कद्दू में  बीजों के तेल की मालिश से जोड़ों का दर्द, गठिया, रुमाटाइड आर्थराइटिस  में फ़ायदा होता है, यह दर्द और सुजन को कम करता है

चिंता और डिप्रेशन कम करे-

बीजों में पाए जाने वाली विटामिन्स और मिनरल्स तनाव, चिंता और डिप्रेशन को कम करने में मदद करते हैं. नर्वस सिस्टम को शक्ति देता है और तनाव दूर करता है. अगर आपको चिंता और तनाव रहता है तो रोज़ कद्दू के बीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं

बोन हेल्थ या हड्डियों की मज़बूती के लिए - 

जिंक और फॉस्फोरस जैसे मिनरल होने से यह हड्डियों को मज़बूत बनाता है, हड्डियों की कमजोरी से होने वाले रोग जैसे Osteoprosis, और हड्डियों को टूटने से बचाता है

हार्ट और ब्लड प्रेशर के लिए -

कद्दू का बीज हार्ट को मज़बूत बनाता है, हार्ट के फंक्शन को नार्मल रखता है और ब्लड प्रेशर को नार्मल रखने में मदद करता है. स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसे रोगों से बचाता है


अच्छी नींद लाने के लिए -

सोने से पहले एक चम्मच कद्दू बीज का चूर्ण गर्म दूध के साथ लेने से माइंड रिलैक्स होता है और अच्छी नींद आती है.

पेट के कीड़ों को दूर करे-

सुबह-सुबह ख़ाली पेट कुछ दिनों तक कद्दू के  बीजों को खाने से टेप वर्म और  पेट के हर तरह के कीड़े निकल जाते हैं

पुरुष महिला रोगों के लिए -

कद्दू के बीजों के इस्तेमाल से पुरुषों के शीघ्रपतन और महिलाओं के इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम में भी फ़ायदा होता है. स्वप्नदोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे रोगों की दवाओं में कद्दू बीज का इस्तेमाल किया जाता है.



29 मई 2017

Clarina Anti-Acne Cream | हिमालया क्लेरीना कील-मुहाँसों की आयुर्वेदिक क्रीम


जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कील-मुहांसों को दूर करने की यह एक आयुर्वेदिक क्रीम है, जिसके इस्तेमाल से पिम्पल्स, एक्ने, ब्लैक हेड और वाइट हेड दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल-

हिमालया क्लेरीना के कम्पोजीशन की बात करें तो इसका मेन इनग्रीडेंट एलो वेरा है, इसके अलावा इसमें बादाम, मत्याक्षी, मंजीठ, टंकण भस्म और यशद भस्म होता है

हिमालया क्लेरीना के गुणों की बात करें तो इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, हीलिंग, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल, कील-मुहांसों को दूर कर त्वचा में निखार लाने के गुण पाए जाते हैं
स्किन प्रॉब्लम ख़ासकर कील-मुहांसों, ब्लैक हेड्स, वाइट हेड को दूर करने के लिए इसका बाहरी प्रयोग किया जाता है.


इसे भी पढ़ें- हिमालया नीम फेस वाश के फ़ायदे 

तो दोस्तों, अगर किसी को कील-मुहांसों की प्रॉब्लम है तो इसका इस्तेमाल कर फ़ायदा उठा सकते हैं. कील-मुहांसों का सही ट्रीटमेंट अगर चाहते हैं तो क्रीम के साथ रक्त शोधक दवाओं का भी इस्तेमाल करें और पेट साफ़ रखें यानि Constipation न होने दें. मिर्च मसाला और खट्टी चीज़ों से भी परहेज़ रखना चाहिए. Clarina क्रीम और इसका पूरा सेट यहाँ से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं-

 


इसे भी पढ़ें - कील मुहाँसे दूर कर रूप निखारने की दवा हमदर्द साफ़ी 





28 मई 2017

टंकण भस्म(सुहागा) के फ़ायदे | Tankan Bhasma (Borax) Benefits in Hindi


'सोने पर सुहागा' नाम की कहावत आपने सुनी होगी, इसे धातुओं को शुद्ध करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, इसीलिए इस तरह की कहावत कही गयी है. टंकण को आयुर्वेद, यूनानी के अलावा होमियोपैथी में भी इस्तेमाल किया जाता है. सुहागा या टंकण भस्म का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है.

 इसके इसके इस्तेमाल से कफ़-पित्त के रोग, खाँसी, साँस की तकलीफ़, पेट दर्द, मुँह के छाले, मुँह की बदबू, बुखार, गला बैठ जाना, सर में रुसी या Dandruff होना, नाख़ून ख़राब होना, स्त्रीरोग जैसे कई तरह के रोग दूर होते हैं, तो आईये  जानते हैं सुहागा क्या है? टंकण भस्म कैसे बनता है? और इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

सबसे पहले जान लेते हैं कि टंकण या सुहागा क्या है?

टंकण को अंग्रेज़ी में Borax कहते हैं जबकि हिंदी, उर्दू में सुहागा कहा जाता है. टंकण इसका संस्कृत या आयुर्वेदिक नाम है.

टंकण भस्म कैसे बनाया जाता है?

टंकण भस्म बहुत आसानी से बन जाता है. यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि टंकण भस्म को सुहागे का फुला और सुहागे की खील भी कहा जाता है

इसका भस्म बनाने का तरीका यह है की सुहागा पाउडर को लोहे की कड़ाही में डालकर आँच दी जाती है, पहले यह पिघलता है और फिर इसके बाद धीरे धीरे इसका पानी सुख जाता है और खील की तरह फुल जाता है. जब अच्छी तरह से यह फूल जाये तो ठंडा होने पर कूट-पीसकर बारीक पाउडर बना कर रख लेते हैं. यही टंकण भस्म या सुहागे की खील है. इसी टंकण भस्म या सुहागे की खील को खाने के लिए या इंटरनल प्रयोग किया जाता है.


टंकण भस्म या सुहागे की खील के गुण -

टंकण भस्म के गुणों की बात करें तो यह कफ़ नाशक यानि Expectorant, Anti-inflammatory, पाचक, Antacid, संकोचक, मूत्रल यानि Diuretic, Anti-septic, शूलनाशक यानि Anti-spasmodic और मेदहर यानि Fat burner जैसे गुणों से भरपूर होता है

टंकण भस्म के फ़ायदे-

यह कफ़ नाशक है, गीली खाँसी में कफ़ को पतला कर निकलता है. खाँसी, दमा, ब्रोंकाइटिस में इस से फ़ायदा होता है. खांसी में इसे त्रिकटु चूर्ण या वासा चूर्ण के साथ लेने से अच्छा फ़ायदा होता है

सर्दी जुकाम होने पर थोड़ा से टंकण भस्म को गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए

इसे भी पढ़ें - गोदन्ती भस्म के फ़ायदे 

पाचक गुण होने से यह Digestion की प्रॉब्लम को ठीक करता है,भूख बढ़ाता है, लीवर के फंक्शन को सही करता है, बढ़े हुवे स्प्लीन को भी नार्मल करता है

मुँह आने, या माउथ अल्सर होने पर टंकण भस्म को घी में मिलाकर मुँह में लगाना चाहिए

Dysmenorrhea और ल्यूकोरिया में भी इसे दूसरी दवाओं के साथ लेने से फ़ायदा होता है

आवाज़ बैठने या गला बैठ जाने पर- 

एक चुटकी टंकण भस्म को मुँह में रखकर चूसने से चमत्कारिक लाभ मिलता है

पसीने में बदबू आने पर नहाने के पानी में टंकण भस्म को मिलाकर नहाना चाहिए
दांतों की मज़बूती के लिए टंकण भस्म को सेंधा नमक के चूर्ण के साथ मिक्स कर मंजन करना चाहिए

Injury होने पर टंकण भस्म लगाने से ब्लीडिंग बंद होती है

सर में रुसी या Dandruff होने पर टंकण भस्म को नारियल के तेल में मिक्स कर बालों की जड़ों में हफ्ता में एक दो बार लगाने से रुसी दूर हो जाती है

इसे भी जानें - ताम्र भस्म के फ़ायदे 

मस्से या वार्ट और कॉर्न होने पर टंकण भस्म को पपीते के दूध के साथ लगाना चाहिए
ख़राब नाखून या कुनख होने पर टंकण भस्म को नारियल के तेल या घी में मिक्स कर लगाने से नाखून ठीक हो जाते हैं


कच्चा सुहागा पाउडर थोड़ा सा लेकर एक शीशी में डालें और थोड़ा सा पानी मिलाकर एयर टाइट कर दें, जिस आदमी को बिच्छू काटा हो उसे शीशी का ढक्कन खोलकर इसकी गैस सुंघाने से लाभ होता है

इसे भी जानें - स्वर्ण भस्म के चमत्कारी फ़ायदे, चाँदी भस्म के लाभ 

टंकण भस्म को बछनाग के विष को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह से कई सरे प्रयोग हैं जिनका इस्तेमाल कर टंकण भस्म का लाभ ले सकते हैं.

प्रेगनेंसी, ब्रेस्टफीडिंग और हैवी ब्लीडिंग में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

रजः प्रवर्तनी वटी, लक्ष्मीविलास रस जैसी शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों में टंकण भस्म मिला होता है. हब्बे नौशादरी, हब्बे टंकर जैसी यूनानी दवाओं में भी टंकण भस्म या सुहागे का फूला मिला होता है.

27 मई 2017

Himalaya Evecare(Syurp & Capsule) Review | हिमालया ईवकेयर पीरियड प्रॉब्लम की आयुर्वेदिक दवा


ईवकेयर महिलाओं के गर्भाशय टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, इसके इस्तेमाल से पीरियड के पहले की तकलीफ़, पीरियड में दर्द होना, Irregular period और अधीक ब्लीडिंग होने जैसी प्रोब्लेम्स में लाभ होता है. तो आईये जानते हैं ईवकेयर का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

ईवकेयर कैप्सूल और सीरप दोनों फॉर्म में मिलता है, इसके कम्पोजीशन की बात की जाये तो दोनों का कम्पोजीशन लगभग सेम होता है, ईवकेयर कैप्सूल में अशोक, दशमूल, गिलोय, काकमाची, पुनर्नवा, शतावर, घृतकुमारी, चन्दन, मोथा, बाकस, त्रिफला, त्रिकटु, सेमल के अलावा कासीस गोदन्ती भस्म और यशद भस्म का मिश्रण होता है

इसे पढ़ें- पीरियड्स के दर्द की आयुर्वेदिक दवा 'अशोकारिष्ट'

जबकि इसके सीरप में अशोक, दशमूल, लोध्र, गिलोय, काकमाची, पुनर्नवा, शतावर, नारियल, घृतकुमारी, चन्दन, बबूल, मोथा, अनन्तमूल, बाकस, त्रिफला, त्रिकटू, मंजीठ, सेमल और शुद्ध शिलाजीत का मिश्रण होता है

ईवकेयर के फ़ायदे- 

पीरियड के पहले की तकलीफ़, पीरियड में दर्द होना, Irregular period, पीरियड में बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग होना, बहुत कम पीरियड होना जैसे रोगों में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. इनफर्टिलिटी के लिए इसे सहायक औषधि के रूप में लिया जा सकता है, इस से कंसीव होने में मदद मिलती है.

ईवकेयर का डोज़- 

साधारण केस में एक कैप्सूल दिन में दो बार, समस्या अधीक हो तो दो कैप्सूल रोज़ दो बार लेना चाहिए

सिरप को एक से दो स्पून तक दिन में दो बार लेना चाहिए. इसका सिरप या कैप्सूल कोई एक ही यूज़ करें. पूरा लाभ के लिए कम से कम तीन महिना तक प्रयोग करें. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, कोई नुकसान नहीं होता. हैवी ब्लीडिंग या Dysmenorrhea में इसके साथ दूसरी दवा या कारणों की  जाँच कर ही ट्रीटमेंट लेना चाहिए. ईवकेयर को डॉक्टर की सलाह से लेना ही ठीक रहता है. इस से मिलती जुलती दवाएँ हैं अशोकारिष्ट, M2 Tone, हेमपुष्पा इत्यादि.

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26 मई 2017

Himalaya Bresol Syrup/Tablet for Bronchitis, Allergy | हिमालया ब्रेसोल सिरप/टेबलेट के फ़ायदे


ब्रेसोल हिमालया हर्बल का एक पेटेंट ब्रांड है जो एलर्जी और अस्थमा के लिए इस्तेमाल की जाती है. इसके इस्तेमाल से Allergic rhinitis, Allergic bronchitis, Bronchial asthma और Pollen allergy जैसे रोगों में फ़ायदा होता है. तो आईये जानते हैं ब्रेसोल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

ब्रेसोल के कम्पोजीशन की बात करें तो इसका मुख्य घटक है हल्दी, हल्दी अपने एंटी बायोटिक और एंटी एलर्जिक गुणों के कारन जानी जाती है. चूँकि ब्रेसोल का सिरप और टेबलेट दोनों आता है तो सबसे पहले जानते हैं ब्रेसोल सिरप का कम्पोजीशन-

ब्रेसोल सिरप में हल्दी, तुलसी, वासा, त्रिकटू, त्रिफला, वायविडंग, मोथा, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपात और नागकेशर का मिश्रण होता है, जबकि ब्रेसोल टेबलेट का कम्पोजीशन भी सेम होता है


ब्रेसोल टेबलेट या सिरप के गुणों की बात करें तो इसमें Anti-allergic, Bronchodilatory, Mucolytic, Antimicrobial, Antitussive, Antioxidant और Anti-inflammatory गुण पाए जाते हैं


ब्रेसोल टेबलेट और सिरप के फ़ायदे- 

जैसा कि शुरू में ही बताया हूँ यह एलर्जी और अस्थमा के लिए इस्तेमाल की जाती है, साँस लेने में प्रॉब्लम होना और एलर्जी दूर करना इसका मेन काम है.  इसके इस्तेमाल से Allergic rhinitis, Allergic bronchitis, Bronchial asthma और Pollen allergy जैसे रोगों में फ़ायदा होता है.


ब्रेसोल का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका- 

2 चम्मच दिन में दो से तीन बार तक इसका सिरप लेना चाहिए, बच्चों को एक चम्मच या कम मात्रा में दें.

टेबलेट लेना हो तो दो टेबलेट रोज़ दो से तीन बार तक लेना चाहिए. इसे भोजन के 45 मिनट पहले या भोजन के दो घंटा बाद ही लेना चाहिए. गर्म पानी के साथ लेना सबसे बेस्ट रहता है. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है किसी तरह का कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 



25 मई 2017

सुज़ाक का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार | Gonorrhoea Ayurvedic Treatment, Home Remedy


सुज़ाक जो है मर्दों की एक तकलीफ़देह बीमारी है जो इन्फेक्शन या दुसरे कारणों से हो जाती है. पेशाब करने में दिक्कत होना, पेशाब करने में दर्द होना, पेशाब में मवाद आना, पीला या गाढ़ा पेशाब होना जैसे लक्षण इस बीमारी में पाए जाते हैं. तो आईये जानते हैं इसके लिए कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग-

यहाँ मैं कुछ आसान से नुस्खे बता रहा हूँ जिसे आप ख़ुद घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं-

प्रयोग नंबर एक -

बंशलोचन 20 ग्राम, कबाबचीनी 20 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 10 ग्राम, गिलोय सत्व 5 ग्राम और सफ़ेद चन्दन का बुरादा 50 ग्राम लेना है

बंशलोचन, कबाबचीनी और छोटी इलायची को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और इसमें गिलोय सत्व और चन्दन का बुरादा मिक्स कर रख लें. इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह शाम पानी या गोखुरू के काढ़े के साथ लेने से सुजाक की बीमारी दूर हो जाती है


प्रयोग नंबर दो - 

सोना गेरू 20 ग्राम, सफ़ेद फिटकरी और लाल फिटकरी 5-5 ग्राम, मिश्री 125 ग्राम लेकर सभी को चूर्ण बनाकर मिक्स कर रख लेना है. 5 ग्राम इस चूर्ण को सुबह शाम दूध या मिश्री मिली हुयी लस्सी के साथ लेने से सुज़ाक में लाभ होता है

प्रयोग नंबर तीन - 

ताज़ी गिलोय का रस एक कप में एक चम्मच शहद मिक्स कर सुबह शाम पिने से पेशाब की जलन और मवाद आना बंद होता है और सुज़ाक दूर हो जाता है


प्रयोग नंबर चार - 

सत्यानाशी या स्वर्णक्षीरी की जड़ की छाल को पीसकर पिने से सुज़ाक में लाभ होता है और दस्त भी साफ़ होता है

तो ये सब थे कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग जिनके इस्तेमाल से सुज़ाक में फ़ायदा होता है. चंद्रप्रभा वटी, स्फटिक भस्म, गोक्षुरादी गुग्गुल, चन्दनासव जैसी शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियाँ भी इस रोग में इस्तेमाल की जाती हैं.

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यहाँ देखें - किडनी की सफ़ाई करने का घरेलु नुस्खा 

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24 मई 2017

बोलबद्ध रस ब्लीडिंग रोकने की आयुर्वेदिक औषधि | Bolbadha Ras Review in Hindi - Lakhaipur.com


बोलबद्ध रस शरीर से कहीं से भी निकलते हुवे रक्त को बंद करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसके इस्तेमाल से नाक, मुंह, गुदा, योनी या शरीर के किसी भी भाग की इंटरनल या एक्सटर्नल ब्लीडिंग रूकती है. तो आईये जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी जानकारी - 

बोलबद्ध रस जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है यह रस यानि रसायन औषधि है जिसमे शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, गिलोय सत्व एक-एक भाग, खूनखराबा तीन भाग और सेमल के छाल के रस का मिश्रण होता है 

बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को अच्छी तरह से खरलकर कज्जली बना लें और इसमें खूनख़राबा जिसे हीरा-दोखी भी कहते हैं का चूर्ण मिक्स कर सेमल के छाल के रस की भावना देकर 250 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रखा जाता है



बोलबद्ध रस के फ़ायदे- 

जैसा कि शुरू में मैंने बताया शरीर में कहीं से भी होने वाली ब्लीडिंग में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है 

पित्त बढ़ने से नकसीर हो या नाक की ब्लीडिंग हो, बवासीर-फिश्चूला के कारन ब्लीडिंग हो, टी. बी. के कारन मुंह से ब्लीडिंग हो, या फिर महिलाओं की गर्भाशय की विकृति के कारन ब्लीडिंग हो तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए

रक्त प्रदर, और पुरुषों के पेशाब के साथ खून आने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. ब्लीडिंग रोकने की यह प्राइमरी मेडिसिन है, पर ब्लीडिंग के दुसरे कारणों को पता कर उसकी दवा भी लेनी चाहिए 

बोलबद्ध रस की मात्रा और सेवन विधि -

एक से दो गोली दिन में दो-तिन बार तक शहद या दूब घास के रस के साथ लेना चाहिए, या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से रोगानुसार अनुपान के साथ लेना चाहिए.


23 मई 2017

रसेन्द्र चूड़ामणि रस शीघ्रपतन, नामर्दी और वीर्य विकार की बेजोड़ औषधि | Rasendra Chudamani Ras Review


रसेन्द्र चूड़ामणि रस जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं. शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

इसे बनाने के लिए चाहिए होता है रस सिन्दूर एक भाग, स्वर्ण भस्म दो भाग, नाग भस्म तीन भाग, अभ्रक भस्म सहस्र पुटी चार भाग, वंग भस्म पाँच भाग, अतुल शक्तिदाता योग छह भाग, रौप्य भस्म सात भाग और स्वर्णमाक्षिक भस्म आठ भाग

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सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर धतुरा और पान के पत्तों के रस में तीन दिन तक खरल करें और उसके बाद मुलहठी, शतावर, कौंच, गिलोय, भारंगी, अमर बेल, खस, नागरमोथा, तुलसी और शुद्ध बछनाग के क्वाथ की सात भावना देकर सुखा लेना है और कुल दवा के आधे वज़न के बराबर शुद्ध अहिफेन मिलाकर घोटकर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रखा जाता है, कई वैद्य लोग अपनी सुविधानुसार इसमें परिवर्तन कर भी बनाते हैं.

इसे भी पढ़ें - कामचूड़ामणि रस के गुण और उपयोग 

सोना, चाँदी, अभ्रक, वंग जैसे भस्मों और जड़ी बूटियों के मिश्रण से यह दवा बेजोड़ पावरफुल बन जाती है, अफ़ीम का साइड इफ़ेक्ट न के बराबर होता है और आधुनिक वियाग्रा से कई गुना शक्तिशाली है और अस्थाई लाभ देती है वो भी बिना साइड इफ़ेक्ट के


रसेन्द्र चूड़ामणि रस के फ़ायदे- 

रसेन्द्र चूड़ामणि रस यौनशक्ति वर्धक दवा है जिसके इस्तेमाल से आपका रोम-रोम फड़कने लगता है. इसके बारे में कहा जाता है कि विलासी राजा लोग इसका प्रयोग करते थे जिनके पास कई-कई रानियाँ होती थीं

शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, वीर्य का पतलापन, यौनेक्षा की कमी, नामर्दी, तनाव और जोश की कमी जैसे हर तरह के पुरुष रोगों को दूर करने की क्षमता इस दवा में है

इसके इस्तेमाल से वीर्य गाढ़ा हो जाता है, स्पर्म क्वालिटी और Quantity को सही करती है और लॉन्ग लास्टिंग इरेक्शन में मदद करती है. कुल मिलाकर देखा जाये तो यह वियाग्रा से सौ गुना अच्छी दवा है जो वियाग्रा की तरह हार्ट, लीवर और किडनी जैसे ओर्गंस को नुकसान नहीं पहुँचाती है.


रसेन्द्र चूड़ामणि रस का डोज़ इस्तेमाल करने का तरीका -

एक से 2 गोली तक सुबह शाम दूध से लेना चाहिए, स्थाई लाभ के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करते हुवे कम से कम बीस दिनों तक लगातार प्रयोग कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने की औषधि 

रसेन्द्र चूड़ामणि रस अब ऑनलाइन अवेलेबल है हमारे स्टोर www.lakhaipur.in पर


इसे भी पढ़ें - वीर्य को मक्खन की तरह गाढ़ा करने की आयुर्वेदिक औषधि 


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22 मई 2017

हकलाने या अटक-अटक कर बोलने का घरेलु उपचार | Stammering Home Remedies in Hindi


हकलाना या बोलने में बीच-बीच में अटक जाना कम उम्र के बच्चों में अक्सर देखा जाता है, जो की उम्र बढ़ने के साथ खुद ठीक हो जाता है, अगर ठीक न हो तो इसका उपचार करना चाहिए. कई बार तो बड़े लोगों में भी यह समस्या होती है जिसके लिए उपाय करने से समस्या दूर हो सकती है.  तो आईये जानते हैं इसके लिए कुछ घरेलु उपचार के बारे में -
हकलाना दूर करने के लिए दवाओं के साथ दुसरे उपाय भी करने चाहिए, तब ही इस समस्या से छूटकरा मिल सकता है, तो आईये सबसे पहले जान लेते हैं कुछ टिप्स -


  • अगर आप युवा हैं तो कुछ भी बोलने से पहले रिलैक्स रहिये और आत्मविश्वास के साथ बोलना शुरू करें, और हर बात को वज़न के साथ बोलें. पूरा कॉन्फिडेंस रखें और यह न सोचें कि आप हकलाते हैं और बिलकुल भी घबराएँ नहीं 



  • अपनी बातों का Analysis करें, अगर आप किसी खास शब्द बोलने में हकलाते हैं उसकी जगह पर सेम मीनिंग वाला दूसरा वर्ड बोल सकते हैं 

इसे भी जानिए - बच्चों का बिस्तर गिला करना कैसे दूर करें?

  • आईना(Mirror) के सामने ज़ोर-ज़ोर से बोलें या फिर किताब या स्टोरी पढ़ें, अगर साँस लेने की प्रॉब्लम से हकलाते हैं तो ऐसा करने से लाभ होगा 



  • छाती से साँस लेने की पेट से या पेट पर ध्यान केन्द्रित करते हुवे सांस लें, इस से लाभ हो सकता है. 



ये सब तो हो गए टिप्स, आईये अब जानते हैं कुछ घरेलु प्रयोग - 


  • बादाम(Almond) को देसी गाय का घी में पीसकर पेस्ट बना लें और थोड़ा-थोड़ा कर दिन में तीन चार बार खाएं, इस से हकलाहट दूर होती है 



  • ताज़ा हरा आँवला सुबह-सुबह ख़ाली पेट चबा-चबाकर खाएं, इस से अच्छा लाभ होता है. अगर ताज़ा आँवला न मिल सके तो आँवले के चूर्ण को घी में मिलाकर खाना चाहिए 

इसे पढ़ें- दिमाग तेज़ करने का घरेलु नुस्खा

  • शहद और नमक दोनों को मिक्स कर सुबह-सुबह ज़बान पर लगायें और फिर थोड़ी देर में मुँह साफ़ कर लें, इस से हकलाहट में लाभ होता है 



  • छुहारों(Dry dates) को चबा-चबाकर खाएं और खाने के बाद कुछ समय तक पानी न पियें 



  • ब्राह्मी का तेल को हल्का गुनगुना गर्म कर सर में लगाकर अच्छी तरह से मालिश करें, इस से दीमाग तेज़ होता है, अच्छी नींद आती है और हकलाहट में फ़ायदा होता है 


हकलाहट के लिए आयुर्वेदिक औषधियों की बात करें तो ब्राह्मी वटी, सारस्वत चूर्ण, स्मृतिसागर रस, मेधा वटी, हिमालया मेनटैट हमदर्द जर्नाइड सिरप जैसी दवाएँ आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती हैं. तो दोस्तों, ये थी आज की जानकारी हकलाहट दूर करने के कुछ घरेलु उपाय और टिप्स के बारे में.


21 मई 2017

अंडकोष वृद्धि का घरेलु उपचार | Home Remedy for Hydrocele


वैसे तो Hydrocele अगर बहुत ज़्यादा बढ़ गया हो और रोग पुराना हो गया हो तो इसका ऑपरेशन करवाना ही ठीक रहता है, पर नए रोग दवाओं से भी ठीक हो जाते हैं. तो आईये जानते हैं इसके लिए एक आयुर्वेदिक नुस्खा जो टेस्टेड और फ़ायदेमंद है -

इसके लिए आपको चाहिए होगा इन्द्रायण की जड़, पुनर्नवा की जड़, कांचनार की छाल, हर्रे, बहेड़ा और आँवला 

सभी को बराबर वज़न में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बना लेना है, बस दवा तैय्यार है.

3 ग्राम इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ सुबह-शाम लेना है भोजन के बाद. इसके लगातार इस्तेमाल से हाइड्रोसिल में फ़ायदा हो जाता है


बच के चूर्ण में सरसों तेल मिलाकर लेप करने से भी हाइड्रोसिल में लाभ होता है.

वृद्धिवाधिका वटी, कांचनार गुग्गुल, पुनर्नवा गुग्गुल जैसी दवाएं भी इस रोग में ली जा सकती हैं. आज के इस नुस्खे में बताई गयी जड़ी-बूटियाँ पंसारी की दुकान में हर जगह मिल जाती हैं, जिनका इस्तेमाल कर फ़ायदा लिया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें - हर्निया, हाइड्रोसिल की आयुर्वेदिक औषधि 



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20 मई 2017

अकीक पिष्टी/अकीक भस्म के फ़ायदे | Akik Pishti/Akik Bhasma Benefits in Hindi


यह दिल दिमाग, लीवर, किडनी और स्प्लीन जैसे बॉडी के मेन Organs पर असर करती है. अकीक भस्म या अकीक पिष्टी के इस्तेमाल से हार्ट की कमज़ोरी, बॉडी में बहुत ज़्यादा गर्मी महसूस होना, मानसिक रोग, आँखों की बीमारी, सामान्य कमज़ोरी, एसिडिटी, अल्सर और महिलाओं की अत्याधिक ब्लीडिंग जैसे रोग दूर होते हैं, तो आईये जानते हैं अकीक पिष्टी और अकीक भस्म के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी जानकारी -

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अकीक एक तरह का खनिज है जो पत्थर के रूप में होता है और इसी पत्थर से अकीक भस्म और पिष्टी बनाई जाती है. अकीक एक Gemstone है जिसे अक्सर लोग अंगूठी में पहनते हैं, यह कई रंग का होता है. अंग्रेज़ी में इसे Quartz और Onyx कहते हैं. घृतकुमारी के रस, गुलाब जल और गाय के दूध की भावना देकर शुद्ध कर अकीक भस्म और पिष्टी बनाई जाती है. अकीक भस्म और अकीक पिष्टी दोनों के फ़ायदे एक जैसे ही होते हैं.


अकीक भस्म और पिष्टी के गुण - 

अकीक के गुणों की बात करें तो यह Antacid, बेहतरीन Cardio-protective, मानसिक तनाव, चिन्ता, अवसाद नाशक, हृदय और मस्तिष्क को बल देने वाले गुणों से भरपूर होता है

अकीक पिष्टी/अकीक भस्म के फ़ायदे- 

सामान्य कमज़ोरी, हार्ट की कमज़ोरी, मानसिक तनाव, चिंता, मानसिक थकावट, एसिडिटी, सिने की जलन, हर तरह का अल्सर, आँख, हाथ-पैर या शरीर में कहीं भी जलन होना, महिलाओं को अत्यधिक ब्लीडिंग होना जैसे रोगों में इसे अकेले या दूसरी दवाओं के साथ लेने से अच्छा लाभ होता है

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अकीक बेहतरीन हार्ट टॉनिक है, हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के चूर्ण और मोती पिष्टी के साथ लेने से हृदय रोग दूर होते हैं

तनाव, चिंता और डिप्रेशन में इसे अभ्रक भस्म के साथ लिया जा सकता है
शरीर में कहीं से भी ब्लीडिंग होने पर गिलोय सत्व, कामदुधा रस या बोलबद्ध रस के साथ लेने से लाभ होता है. इसी तरह से कई रोगों में दूसरी दवाओं के साथ या फिर सही अनुपान के साथ लेना चाहिए


अकीक भस्म और पिष्टी का डोज़- 

125 mg से 250 mg तक दिन में 2 बार

अकीक भस्म और पिष्टी ऑलमोस्ट सेफ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह कोई भी नुकसान नहीं होता है. तपेदिक या TB, अस्थमा और बलगमी खांसी के रोगी को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग करने वाली महिलाओं को इसका इस्तेमाल कम से कम या फिर नहीं करना चाहिए





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                   मुक्ताशुक्ति भस्म/मुक्ताशुक्ति पिष्टी के फ़ायदे 


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19 मई 2017

तालमखाना, कोकिलाक्षा के गुण और उपयोग | Talmakhana Benefits in Hindi - Lakhaipur.com


तालमखाना एक औषधिय पौधा है जिसके बीजों का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है, यह एक कंटीला पौधा होता है जो नदी, तालाब के किनारे और गीली मिट्टी वाली जगहों पर पैदा होता है. इसे यौन शक्ति बढ़ाने, पुरुष यौन रोगों को दूर करने, किडनी की पत्थरी, Gallstone और जौंडिस जैसे रोगों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं इसकी पूरी डिटेल-

तालमखाना और मखाना  दोनों अलग चीज़ हैं, मखाना के बारे में पहले ही बता चूका हूँ. तालमखाना को कई नामों से जाना जाता है. हिंदी में गोकुला कांटा और तालमखाना और उर्दू में इसे तालमखाना ही कहते हैं जबकि संस्कृत और आयुर्वेद में इसे कोकिलाक्षा और इक्षुर के नाम से जाना जाता है. अंग्रेज़ी  में Hydrophilia Spinosa, बंगाली में कुलियाखारा, मराठी में तालीखाना जैसे नामों से जाना जाता है

तालमखाना के गुण -

तालमखाना के गुणों की बात करें तो यह यौन शक्ति और कामोत्तेजना बढ़ाने वाला, मूत्रल यानि पेशाब साफ़ लाने वाला, एंटी बायोटिक और पोषक गुणों से भरपूर होता है


तालमखाना के फ़ायदे- 

वीर्य विकार, वीर्य का पतलापन, शुक्राणुओं की कम संख्या, शीघ्रपतन, नामर्दी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, स्वप्नदोष, जौंडिस, पत्थरी जैसे रोगों में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है

यह शारीरिक कमज़ोरी को दूर कर बल-वीर्य बढ़ाता है और शक्ति देता है. यौन शक्तिवर्धक आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है

इसके बीजों का चूर्ण बनाकर अकेले या दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर ले सकते हैं. तीन से छह ग्राम तक इसके बीजों के चूर्ण को सुबह-शाम दूध या पानी से लेना चाहिए. यह सुरक्षित दवा है इसके इस्तेमाल से किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. पंसारी की दुकान से इसे खरीद सकते हैं. तालमखाना बीज पाउडर निचे दिए गए लिंक से ऑनलाइन खरीद सकते हैं- तालमखाना ऑनलाइन ख़रीदें 



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18 मई 2017

स्वप्नदोष का घरेलु उपचार | Nightfall Home Remedy - Lakhaipur.com


स्वप्नदोष खासकर युवाओं की बीमारी है, जिसके बारे में सभी लोग जानते हैं इसकी ज़्यादा डिटेल देने की ज़रूरत नहीं है. तो आईये जानते हैं स्वप्नदोष के लिए आसान से घरेलु नुस्खे के बारे में-

इस घरेलु नुस्खे को बनाने के लिए आपको चाहिए होगा कबाब चीनी और असगंध -

कबाब चीनी और असगंध दोनों बराबर वज़न में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बनाकर रख लेना है, बस दवा तैयार है


इस्तेमाल करने का तरीका यह है कि एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को इस खाकर ऊपर से मिश्री मिला हुवा दूध पीना है. इसे नाश्ते और खाने के बाद ही लेना है. अगर दूध पसंद नहीं हो तो पानी से भी ले सकते हैं

इसका लगातार प्रयोग करने से स्वप्नदोष या एहतलाम, धातुस्राव या मल-मूत्र के साथ वीर्य निकल जाना और प्रमेह जैसे रोग दूर होते हैं. बहुत ही आसान सा प्रयोग है, आसानी से बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं.


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17 मई 2017

आधाशीशी (Migraine) का चमत्कारी ईलाज | Migraine Amazing Treatment - Lakhaipur.com


सर के आधे हिस्से में होने वाला दर्द आधाशीशी या Migraine के नाम से जाना जाता है. वैसे तो आयुर्वेद में इसकी कई तरह की शास्त्रीय दवाएँ हैं जिनका इस्तेमाल किया जाता है पर आज जो मैं यहाँ बता रहा हूँ वो टोटके की तरह का एक चमत्कारी प्रयोग है, तो आईये जानते हैं इसकी पूरी डिटेल -

यह बहुत ही आसान प्रयोग है, इसके लिए आपको ढूँढना होगा आक का पौधा. आक या अकवन के सबसे छोटे दो पत्ते तोड़कर थोड़ा सा गुड़ में लपेट कर निगल लेना है.

 इसे सुबह-सुबह सूर्योदय या Sunrise से पहले इस्तेमाल करना है. कई लोगों को तो इसके इस्तेमाल से पहले दिन से ही Migraine का दर्द चला जाता है 3-4 दिनों तक इस्तेमाल करने से रोग जड़ से मिट जाता है.





16 मई 2017

अभयारिष्ट कब्ज़ और बवासीर की आयुर्वेदिक औषधि | Abhayarishta for Piles & Constipation Review by - Lakhaipur.com


यह एक क्लासिकल मेडिसिन है जो ज़्यादातर कब्ज़ और बवासीर के लिए इस्तेमाल की जाती है. पेट के रोगों, लीवर-स्प्लीन की प्रॉब्लम, भूख की कमी और Digestion की प्रॉब्लम को दूर करने की यह एक अच्छी दवा है. तो आईये जानते हैं अभयारिष्ट का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

अभयारिष्ट जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक 'अभया' या बड़ी हर्रे होती है, बड़ी हर्रे के अलावा इसमें मुनक्का, वायविडंग, महुआ के फूल, गुड़, गोखरू, निशोथ, धनिया, धाय के फूल, इन्द्रायण मूल, चव्य, सौंफ़, दन्तीमूल और मोचरस मिलाया जाता है. आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से इसे बनाया जाता है, यह रिष्ट या सिरप के रूप में होता है

अभयारिष्ट के गुण-

अभयारिष्ट के गुणों की बात करें तो यह वात-कफ़ शामक और आमदोष नाशक होता है. कब्ज़ को दूर करने वाला, पाचन शक्ति और भूख बढ़ाने वाला, बवासीर दूर करने वाला, मूत्रल और कृमिनाशक गुणों से भरपूर होता है

अभयारिष्ट के फ़ायदे-

यह एक बेहतरीन कब्ज़नाशक है, कब्ज़ के मुलकारण को दूर करता है, आंतों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है. कब्ज़ के कारन होने वाले रोगों को दूर करता है, पाचन शक्ति सुधारता है और भूख बढ़ाता है


पाइल्स या बवासीर के बहुत ही फ़ायदेमंद दवा है, कब्ज़ का लगातार रहना बवासीर का एक मुख्य कारण होता है. कब्ज रोगी को मल त्याग करने के लिए अधिक दबाव डालना पड़ता  जिससे बवासीर के मस्से बनने लगते  हैं, ज्यादातर जो रोगी बवासीर से पीड़ित होते हैं, उन सब में यही कारण देखा जाता है. दबाव की वजह से मस्सा हो जाता है और कभी कभी मस्सा गुदा से बाहर आने लगता है. अभयारिष्ट बवासीर के मूल कारण अर्थात कब्ज को दूर कर बवासीर से रोगी को राहत देता है.

इन सबके अलावा मूत्रल गुण होने से यह पेशाब साफ़ लाता है और वायविडंग मिला होने से पेट के कीड़े को भी दूर करता है

अभयारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि- 

15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद लेना चाहिए, बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए. सुरक्षित दवा है लम्बे समय तक लिया जा सकता है, सिर्फ प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं. 

13 मई 2017

21 दिनों में पत्थरी दूर करने के चार आसान से प्रयोग | Home Remedy for Kidney Stone


पत्थरी जिसे Calculi या स्टोन भी कहते हैं, आजकल बहुत कॉमन बीमारी हो गयी है, किडनी और ब्लैडर की पत्थरी के लिए कुछ आसान से घरेलु प्रयोग बता रहा हूँ जिनका इस्तेमाल कर फ़ायदा ले सकते हैं. तो आईये जानते हैं इनकी पूरी डिटेल -

प्रयोग - 1

बबूल की ताज़ी पत्ती 50 ग्राम लेकर अच्छी तरह से साफ़ कर धो लीजिये और पानी मिलाकर चटनी की तरह पिस लीजिये और 250 ग्राम ताज़े दही में मिक्स कर रख लें. इसकी चार मात्रा बना लेना है, 1-1 मात्रा को तीन घंटे के अन्तराल पर खा लेना है, यानी दिन में चार बार.


इसी तरह से रोज़ नया बनाकर रोज़ खाने से सिर्फ एक महीने में किडनी और मूत्राशय की पत्थरी नष्ट हो जाती है

प्रयोग - 2

पपीते की जड़ का प्रयोग. पपीते की ताज़ी जड़ 25 ग्राम लेकर पिस लेना है और आधा कप पानी में मिक्स करने के बाद छान लेना है. इस छाने हुवे पानी को सुबह-सुबह ख़ाली पेट पी जाना है. इसे पिने के आधे घंटे के बाद ही कुछ खाना-पीना है. मात्र 21 दिनों के प्रयोग से गुर्दे और मूत्राशय की पत्थरी निकल जाती है, Gallstone में भी इस से फ़ायदा होता है

प्रयोग- 3

गोखुरू या गोक्षुर और पत्थरचूर दोनों बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पिने से पत्थरी में फ़ायदा होता है. इसके इस्तेमाल से पेशाब की जलन, रुक-रुक कर पेशाब होना, पेशाब पिला होने में भी फ़ायदा होता है

प्रयोग - 4

कुल्थी 50 ग्राम, वरुण की छाल, गोखुरू, निर्गुन्डी, अडूसे की जड़ की छाल और अपामार्ग प्रत्येक 25 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें. तीन से पांच ग्राम तक इस चूर्ण को सुबह शाम थोड़ी मिश्री मिलाकर लेने से पत्थरी दूर होती है.

इसे भी पढ़ें - पत्थरी का ईलाज 

12 मई 2017

Muktashukti Bhasma/Muktashukti Pishti Benefits & Use | मुक्ताशुक्ति भस्म / मुक्ताशुक्ति पिष्टी के फ़ायदे


मुक्ताशुक्ति भस्म या मुक्ताशुक्ति पिष्टी के इस्तेमाल से सिने की जलन, मुँह का स्वाद खट्टा होना, अपच, पेट दर्द, लीवर का दर्द, अरुचि, भूख नहीं लगना, खांसी, हड्डियों की कमजोरी और कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग दूर होते हैं. इसके गुण मोती पिष्टी से मिलते जुलते ही होते हैं, तो आईये जानते हैं इसकी पूरी डिटेल -

मुक्ता + शुक्ति जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है मुक्ता का मतलब मोती या पर्ल और शुक्ति का मतलब होता है सिप, जिस सिप से मोती निकलती है उसी सिप का इस्तेमाल किया जाता है इस दवा को बनाने में

यहाँ Clearly आप समझ लें कि इस दवा में मोती का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि सिप का इस्तेमाल होता है, जिसे अंग्रेज़ी में Pearl Oyester Shell कहते हैं. इस से दो तरह की दवा बनती है भस्म और पिष्टी. भस्म को मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी को मुक्ताशुक्ति पिष्टी.
मुक्ताशुक्ति को पहले शुद्ध किया जाता है इसके बाद ही इसकी भस्म या पिष्टी बनाई जाती है.
मुक्ताशुक्ति या सिप को शोधित कैसे करते हैं?

शुद्ध करने के लिए इसे सबसे पहले तीन दिनों तक छाछ में डूबाकर धुप में रखा जाता है और हर रोज़ नया छाछ बदला जाता है, तीन दिनों के बाद इसे गर्म पानी में रगड़ रगड़ कर धोया जाता है और उपरी परत हटा दी जाती है सिर्फ सफ़ेद सिप को दवा में इस्तेमाल किया जाता है

मुक्ताशुक्ति  भस्म बनाने के लिए इसे घृतकुमारी के गुदे में रखकर अग्नि दी जाती है और उसके बाद निम्बू के रस की भावना देकर टिकिया बनाकर दुबारा अग्नि दी जाती है
मुक्ताशुक्ति पिष्टी बनाने के लिए शोधित मुक्ताशुक्ति को गुलाब जल में खरल कर बारीक पाउडर बनाया जाता है. मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी दोनों सफ़ेद रंग का फाइन पाउडर होता है

मुक्ताशुक्ति पिष्टी और भस्म के गुण -

अगर इसके गुणों की बात करें तो यह पित्त और कफ़ दोष को दूर करती है. एक बेहतरीन Antacid, उल्टी नाशक, एंटी ऑक्सीडेंट, पाचन शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होती है

मुक्ताशुक्ति भस्म और मुक्ताशुक्ति पिष्टी के फ़ायदे-

इसके इस्तेमाल से एसिडिटी, गैस्ट्रिक, Duodenal अल्सर, सिने की जलन, पेप्टिक अल्सर, माउथ अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस, भूख और पाचन शक्ति की कमी, गैस, अपच, हड्डियों की कमजोरी, कैल्शियम की कमी जैसे रोग दूर होते हैं. रोगानुसार दूसरी दवाओं के साथ इस्तेमाल करने से अच्छा फ़ायदा होता है


मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी की मात्रा और सेवन विधि-

125 mg से 250 mg तक रोज़ दो बार गुलकंद या शहद में मिक्स कर लेना चाहिए. बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए.

इसे बच्चे, बड़े-बूढ़े सभी इस्तेमाल कर सकते हैं, प्रेगनेंसी में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. पूरी तरह से सुरक्षित दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. कई सारी आयुर्वेदिक कंपनियाँ इसे बनाती हैं.

 उच्च गुणवत्ता वाली मुक्ताशुक्ति भस्म ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर से - यहाँ क्लिक करें 10 ग्राम सिर्फ़ 40 में 



10 मई 2017

पित्त की पत्थरी या Gallstone दूर करने वाली ठंडाई | Home Remedy for Gallstone




यह एक आयुर्वेदिक नुस्खा है जिसके इस्तेमाल से छोटे साइज़ की Multiple Gallstone घुल कर निकल जाती है, तो आईये जानते हैं इसकी पूरी डिटेल -

इसे बनाने के लिए आपको चाहिए होगा ककड़ी बीज, धनिया बीज, लौकी बीज, खीर बीज, सौंफ़, काली मिर्च और छोटी इलायची बीज प्रत्येक 5-5 ग्राम और मिश्री 25 ग्राम

बनाने का तरीका यह है कि मिश्री के अलावा सभी चीजों को शाम में पानी में भिगो दीजिये और सुबह मिश्री मिलाकर सिल पर या मिक्सी में चटनी की तरह पिस लीजिये, बस दवा तैयार है

इसकी आधी मात्रा सुबह ख़ाली-पेट खा लेना है और आधी मात्रा शाम चार बजे ख़ाली पेट ही खाना है

इसके प्रयोग से पित्त की पत्थरी का दर्द कमता है और पत्थरी धीरे धीरे गलने लगती है. लगातार 40-45 दिनों तक इसका इस्तेमाल करना चाहिए और फिर इसके बाद सोनोग्राफी से पत्थरी का साइज़ पता लगाना चाहिए. अगर फिर भी पत्थरी हो तो दुबारा इस्तेमाल कर सकते हैं.





08 मई 2017

जात्यादी तेल - हर तरह के ज़ख्मों को जल्द भरने वाला आयुर्वेदिक तेल | Jatyadi Tail Review in Hindi


जात्यादी तेल एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जिसके इस्तेमाल से हर तरह के ज़ख्म बहुत तेज़ी से भरते हैं, इसे पाइल्स और फिश्चूला में भी इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं जात्यादी तेल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी जानकारी

जात्यादी तेल के कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई तरह की जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है जैसे चमेली के पत्ते, पटोल के पत्ते, करंज के पत्ते, मोम, मुलेठी, कुठ, हल्दी, दारूहल्दी, निलोफर, करंज के बीज, संखिया, कुटकी, पद्माख, हर्रे, मंजीठ, लोध्र और नीला थोथा सभी बराबर वज़न में लेना है

बनाने का तरीका यह है कि सभी चीजों को पानी मिलाकर पीसकर कल्क यानि चटनी की तरह बना लेना है और चटनी के चौगुने मात्रा में तिल तेल में डालकर हल्की आँच पर तेल पकाना है. जब पानी का अंश पूरी तरह से जल जाये तो ठंडा होने पर छान कर रख लें. यही जात्यादी तेल है


आईये अब जानते हैं जात्यादी तेल के फ़ायदे- 

यह तेल चमत्कारी गुणों से भरपूर होता है हर तरह के घाव या ज़ख्म में लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है

जलने कटने या किसी भी तरह के ज़ख्म में ड्रेसिंग के बाद इस तेल को लगाकर पट्टी बांधना चाहिए. यह तेल ज़ख्म तो भरता ही है साथ में इन्फेक्शन और सेप्टिक होने से भी बचाता है

पाइल्स और फिश्चूला में भी इस तेल की गौज रखने से बहुत फ़ायदा होता है, यह एक शास्त्रीय दवा है जिसका सदियों से इस्तेमाल होता आ रहा है. यह तेल बना बनाया मार्केट में मिल जाता है, आयुर्वेदिक दवा दुकान से इसे खरीद सकते हैं. ध्यान रहे यह तेल सिर्फ़ बाहरी प्रयोग के लिए है, संखिया मिला होने से ज़हरीला होता है.

06 मई 2017

मखाना के फ़ायदे | Lotus Seed Benefits in Hindi - Lakhaipur.com


मेवों के केटेगरी में आने वाला यह पदार्थ कई सारे पोषक गुणों से भरपूर होता है, इसकी पूरी जानकारी देने से पहले बता देना चाहूँगा इस से मिलते जुलते नाम की एक औषधि होती है तालमखाना, मखाना और तालमखाना दोनों अलग-अलग चीज़ है

तालमखाना अलसी के बीजों के रंग का छोटा-छोटा बीज होता है जो खासकर यौन शक्तिवर्धक दवाओं में  इस्तेमाल किया जाता है, तालमखाना को गो काँटा और कोकिलाक्ष कहा जाता है, जो की नदी और तालाबों के किनारे छोटा कंटीला पौधे के रूप में उगता है
जबकि मखाना वाटर लिली या एक तरह के फूल का बीज होता है जो पानी में उगता है, जिसे अंग्रेजी में Lotus Seed भी कहते हैं, आज हम इसी मखाने के फ़ायदे में जानेंगे -

वाटर लिली के बीजों को पॉप कॉर्न की तरह प्रोसेस किया जाता है और इसके बाद ही यह मार्किट में आता है जिसे हम यूज़ करते हैं. पानी में पैदा होने वाला यह बीज पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम और विटामिन B जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं

मखाना के गुणों की बात करें तो आयुर्वेदानुसार यह बल्य, बाजीकारक और ग्राही गुणों से भरपूर होता है

मखाना के फ़ायदे- 

यह महिला पुरुष सभी के लिए फ़ायदेमंद है, शीघ्रपतन से बचाता है और स्पर्म क्वालिटी और क्वांटिटी को सुधारता है, यौनेक्षा को बढ़ाता है. फीमेल इनफर्टिलिटी और ल्यूकोरिया में फ़ायदेमंद है

एंटी एजिंग और एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, हमेशा जवान बनाये रखने, बालों को काला रखने और झुर्रियों से बचाए रखने के लिए  इसका इस्तेमाल करना चाहिए
मखाना पचने में आसान होता है, पाचन शक्ति को ठीक करता है, घी में फ्राई कर खान इसे दस्त में फायदा होता है

लीवर, किडनी और हार्ट को प्रोटेक्ट करता है, शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है और कमजोरी दूर करता है

मखाना के रेगुलर इस्तेमाल से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में फ़ायदा होता है
कैल्शियम रिच होने से कमर दर्द, जोड़ों का दर्द और हड्डियों की कमज़ोरी में भी फ़ायदा होता है


मखाना को कई तरह से खाया जाता है, इसका चूर्ण बनाकर, इसे घी में फ्राई कर स्नैक्स की तरह या फिर खीर और लड्डू बनाकर भी खाया जाता है. मखाना का धार्मिक महत्त्व होने के कारन पूजा-पाठ और शादियों में भी इसका इस्तेमाल होता है. तो दोस्तों ये थी आज की जानकारी मखाना के बारे में, रोज़ एक मुट्ठी मखाना खाईये और स्वस्थ रहिये. निचे दिए गए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं- 

04 मई 2017

रूह अफज़ा, गर्मी का एक बेहतरीन शर्बत | Rooh Afza Drink to Beat Summer


गर्मी के दिनों में ड्रिंक की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला यह शरबत यूनानी फ़ार्मूले पर बना होता है. इसे पिने से तुरंत चुस्ती-फुर्ती, ताज़गी और तरावट आती है. इसके इस्तेमाल से तरह-तरह के ड्रिंक्स, लस्सी, फ़ालूदा, मिल्क शेक और शर्बत बनाये जाते हैं. तो आईये जानते हैं रूह अफज़ा की पूरी डिटेल -

रूह अफज़ा में गुलाब, चीनी के अलावा खसखस, इलायची, दालचीनी, केवड़ा जैसी चीज़ें मिली होती हैं

रूह अफज़ा के बारे में एक दिलचस्प बात बता दूं कि यह क़रीब सौ साल से भी पुराना ड्रिंक है जिसे 1906 में हकीम हाफिज़ अब्दुल मजीद साहब ने इंडिया में खोज की थी, उन्ही की कंपनी आज हमदर्द के नाम से जानी जाती है


रूह अफज़ा के फ़ायदे- 

थकावट और डीहाइड्रेशन को तुरंत दूर करने के लिए रूह अफज़ा बहुत ही फ़ायदेमंद है. इसे पीते ही शरीर में तुरन्त एनर्जी आती है. इसमें सोडियम, कैल्सियम, पोटैशियम, सल्फर, फॉस्फोरस इत्यादि है. इसीलिए रूह अफज़ा पीने से लू लगना, बुखार, शरीर की गर्मी, बहुत प्यास लगना, गर्मी से थकान, ज्यादा पसीना आना जैसी प्रॉब्लम में आराम मिलता है
रूह अफज़ा पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है, जिससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और एनर्जी बढ़ती है

रूह अफज़ा तासीर में ठण्डा होता है, जिस से नर्वस सिस्टम को शान्ति मिलती है, हार्ट को शक्ति देता है

उल्टी-चक्कर आना, बुखार, डायरिया, पाचन समस्या, पेट दर्द में रूह अफज़ा का शरबत पीजिये, राहत मिलेगी. रूह अफज़ा एनर्जी रिच होने से वज़न बढ़ाने और हेल्थ इम्प्रूव करने में मदद करता है


इसे ठंडा पानी या ठंडी चीजों में ही मिलाकर पीना चाहिए. दूध, दही, लस्सी, शर्बत, जूस किसी भी चीज़ में मिलाकर पी सकते हैं. ऑनलाइन खरीदिये निचे दिए लिंक से-



टोंसिल, सर्दी-खांसी, जुकाम और शुगर के रोगी कोई इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
रूह अफज़ा इण्डिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, गल्फ़ कंट्री के अलावा भी दुनिया के कई देशों में मिलता है



01 मई 2017

गोदंती भस्म के गुण एवं उपयोग | Godanti Bhasma Benefits Use and Side Effects


गोदंती भस्म एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसे कई तरह की बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है, इसके इस्तेमाल से तेज़ बुखार, सर दर्द, मलेरिया, टाईफाइड, जीर्ण ज्वर या पुराना बुखार, ल्यूकोरिया, वैजीनल ब्लीडिंग, कैल्शियम की कमी, हड्डियों की कमज़ोरी, ब्लड प्रेशर जैसे कई तरह के रोग दूर होते हैं

तो आईये जानते हैं कि गोदंती भस्म क्या है, कैसे बनती है और इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी जानकारी -

गोदंती एक तरह का खनिज है, इसे आयुर्वेद में गोदंती इस लिए कहा गया है क्यूंकि यह गो यानि गाय के दांत की तरह दीखता है. गोदंती को अंग्रेज़ी में Gypsum कहते हैं. यह एक तरह का सॉफ्ट पत्थर की तरह होता है

इसे गोदंती हरताल और हरताल गोदंती भस्म भी कहा जाता है. गोदंती भस्म बनाने के लिए गोदंती को पीसकर पाउडर बनाकर घृत कुमारी के रस घोटकर टिकिया बनाकर सुखा लिया जाता है और इसके बाद मिट्टी के बर्तन में रखकर तेज़ आँच देकर भस्म बनाया जाता है. इसकी भस्म सफ़ेद रंग की पाउडर होती है.

हम जो इसकी भस्म बनाते हैं थोड़ा अलग तरीके से बनाते हैं. सबसे पहले इसे अच्छी तरह धोकर मिटटी के बरतन में डालकर तेज़ आँच देते हैं. इसके बाद इसे चूर्ण करने के बाद घृतकुमारी या नीम के पत्तों के रस की भावना देकर टिकिया बनाकर सुखाकर दुबारा अग्नि देकर भस्म बनाते हैं, इस तरह से इसकी भस्म बहुत ही सॉफ्ट और वाइट बनती है


गोदंती भस्म के गुण-

गोदंती भस्म के गुणों की बात करें तो यह अंग्रेज़ी दवा पेरासिटामोल की तरह Antipyretic होता है, बुखार और सर दर्द को कम करने वाला, Anti-inflammatory, दर्द नाशक यानि Analgesic और कैल्शियम से भरपूर होता है

गोदंती भस्म के फ़ायदे- 

नयी पुरानी बुखार, खासकर पित्तज ज्वर या पित्त बढ़ने से होने वाली बुखार और सर दर्द के लिए इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर पेरासिटामोल की जगह पर प्रमुखता से इसका इस्तेमाल करते हैं

पुरानी बुखार, मलेरिया और टाइफाइड में दूसरी दवाओं के साथ इसका इस्तेमाल करना चाहिए

नेचुरल कैल्शियम होने से यह हड्डियों की सुजन, हड्डियों की कमज़ोरी, Osteoprosis, Low Bone Mineral Density जैसे रोगों में फ़ायदा करती है

ल्यूकोरिया, Vaginitis और अधीक ब्लीडिंग होने में दूसरी दवाओं के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है

मुँह के छालों में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है, इसके अलावा सुखी खांसी, ब्लड प्रेशर और हार्ट के लिए भी फायदेमंद है


गोदंती भस्म की मात्रा और सेवन विधि- 

250 mg से 1 ग्राम तक शहद के साथ या फिर रोगानुसार दूसरी दवाओं के साथ ले सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है, इसे नवजात शिशु से लेकर बड़ों तक में इस्तेमाल किया जा सकता है.