ताम्र भस्म जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है ताम्र या ताम्बे से बनायी जाने वाली आयुर्वेदिक दवा है, इसे कई तरह के रोगों में इस्तेमाल किया जाता है, इसे ट्यूमर, कैंसर, लीवर के रोग, अनेमिया, मोटापा, गालस्टोन, लीवर-स्प्लीन बढ़ जाने, हिचकी, एसिडिटी, पेट की प्रॉब्लम और पाचन सम्बन्धी रोगों में इस्तेमाल किया जाता है
ताम्र यानि ताम्बा को शोधन-मारण जैसे आयुर्वेदिक प्रोसेस से गुजारने के बाद हाई टेम्परेचर में भस्म बनाया जाता है. बना हुवा ताम्र भस्म काले रंग का फाइन पाउडर होता है
ताम्र भस्म के गुणों की बात करें यह बिलीरुबिन कम करने वाली, पाचन सुधारने वाली, मेदहर यानि मोटापा दूर करने वाले गुणों से भरपूर होती है
ताम्र भस्म को दूसरी सहायक दवाओं के साथ कई तरह के रोगों में इस्तेमाल किया जाता है, तो आईये जानते हैं किन बीमारियों में इसे किस चीज़ के साथ यूज़ करना चाहिए-
लीवर-स्प्लीन बढ़ जाने पर - इसे आरोग्यवर्धिनी वटी और सूतशेखर रस के साथ लेना चाहिए. पुनर्नवारिष्ट, रोहितकारिष्ट या फिर पुनर्नवा क्वाथ के साथ लेना चाहिए
गालस्टोन में - करेले के जूस के साथ लेना चाहिए
हिचकी आने पर - निम्बू का रस और पीपल के साथ लेना चाहिए
पेट में गुड़गुडाहत और आंव होने पर- सोंठ का चूर्ण और शहद के साथ
आँव वाले दस्त होने पर - सोंठ चूर्ण और छाछ के साथ लेना चाहिए
लीवर की प्रॉब्लम में - अनार के जूस के साथ
भूख नहीं लगने पर - पीपल, अद्रक का रस और शहद के साथ
एसिडिटी और इनडाईजेशन में - गुड़, शहद और द्राक्षा के साथ लिया जा सकता है
शरीर में पित्ती होने पर - हल्दी के चूर्ण के साथ लेना चाहिए
ताम्र भस्म का डोज़-
2 mg से 5 mg तक दिन में 2 बार. ताम्र भस्म बिल्कुल सही डोज़ में लेना चाहिए, ज़्यादा डोज़ होने पर साइड इफ़ेक्ट हो सकता है. इसे लगातार 45 दिनों से ज़्यादा लगातार यूज़ नहीं करना चाहिए
डॉक्टर की सलाह बिना इसका इस्तेमाल न करें, साइड इफ़ेक्ट की बात करें तो नाक से खून बहना, BP हाई होना, माउथ अल्सर, चक्कर, उल्टी जैसी प्रॉब्लम हो सकती है. तो दोस्तों, ये थी आज की जानकारी ताम्र भस्म के फ़ायदे और नुकसान के बारे में.
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