आज आप जानेंगे बच्चों का दीमाग तेज़ करने और बीमारियों से बचाने की आयुर्वेदिक वैक्सीन स्वर्णप्राशन के फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में
आयुर्वेदिक वैक्सीन!!! शायेद आपने नहीं सुना होगा, यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक प्रोसेस है जो मॉडर्न वैक्सीन की तरह ही काम करता है इस लिए मैं इसे आयुर्वेदिक वैक्सीन कह रहा हूँ. स्वर्णप्राशन एक आयुर्वेदिक संस्कार है जिसे जन्म से लेकर 15 साल तक के बच्चों को यूज़ कराया जा सकता है
आईये सबसे पहले जानते हैं कि स्वर्णप्राशन है क्या चीज़?
स्वर्णप्राशन यानि सोना को बच्चे को चटाना. डायरेक्ट सोना तो नहीं चटाया जाता है इसके लिए स्वर्ण भस्म को कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर शहद और घी में मिक्स कर खिलाया जाता है, इसे ही स्वर्णप्राशन या सुवर्णप्राशन के नाम से जाना जाता है
स्वर्णप्राशन कैसे करते हैं?
इसके लिए आपको चाहिए होता है स्वर्ण भस्म और कुछ जड़ी-बूटियां जैसे ब्राह्मी, शंखपुष्पी, बच, अमला, यष्टिमधु और बहेड़ा
सभी जड़ी-बूटियां बराबर वज़न में लेकर बारीक पाउडर बना लेना है, 10 ग्राम इस पाउडर में 250mg शुद्ध स्वर्ण भस्म अच्छी तरह मिक्स कर लें. इसे विषम भाग घी और शहद में मिलाकर बच्चों को उनकी आयु के अनुसार चटाया जाता है
जड़ी-बूटियों का चूर्ण बनाना और स्वर्ण भस्म की सही मात्रा मिक्स करना सबके लिए आसान काम नहीं होता है, इसलिए मैं यहाँ स्वर्णप्राशन का एक आसान प्रोसेस बता रहा हूँ
इसके लिए आपको लेना है शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि 'कुमारकल्याण रस' स्वर्णयुक्त. बैद्यनाथ, डाबर कंपनी की यह टेबलेट के रूप में आती है. इसकी टेबलेट 125 mg की होती है. एक से तिन साल तक के बच्चे को एक टेबलेट की चार खुराक बनाकर शहद से रोज़ एक बार चटाना चाहिए. बड़े बच्चों को आधा से एक टेबलेट तक रोज़ देना चाहिए.
स्वर्ण भस्म और दुसरे जड़ी-बूटियों से बनी यह दवा स्वर्णप्राशन के लिए सबसे आसान प्रोसेस है, न सिर्फ स्वर्णप्राशन बल्कि दूसरी बीमारियों को भी दूर करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है
आईये अब जानते हैं स्वर्णप्राशन के फ़ायदे-
रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है -
स्वर्णप्राशन से बच्चों की इम्युनिटी पॉवर बढ़ती है, रोगों से बचाता है, जिस से बच्चे जल्दी बीमार नहीं पड़ते हैं. दांत निकलने के टाइम होने वाली प्रॉब्लम से बचाता है
बुद्धि बढ़ाता है और दीमाग तेज़ करता है -
स्वर्णप्राशन बच्चों के ब्रेन Development में मदद करता है, दिमाग तेज़ बनाता है और बुद्धि को तेज़ करता है, इस से बच्चों की मेमोरी पॉवर बढ़ती है. बच्चे पढ़ाई में तेज़ बनते हैं
शक्ति और स्टैमिना को बढ़ाता है -
बच्चों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है, स्टैमिना बढ़ाता है और अन्दर से मज़बूत बनाता है
पाचन शक्ति को ठीक करता है -
जिन बच्चों की कमज़ोर रहती है, उनकी पाचन शक्ति को ठीक करता है और भूख बढ़ाता है, जिस बच्चों की खाने में रूचि बढ़ती है और बच्चे चाव से खाने लगते हैं
रंग रूप में निखार लाता है -
स्वर्णप्राशन से बच्चों के रंग-रूप में भी निखार आता है और स्किन का रंग निखरता है. बच्चों को गोरा बनाता है
एलर्जी से बचाता है -
बच्चों में होने वाली एलर्जी से बचाता है, सर्दी-खाँसी, कफ़, अस्थमा, स्किन इन्फेक्शन, खुजली जैसी प्रॉब्लम से बचाता है
आईये अब जानते हैं स्वर्णप्राशन के दौरान ध्यान रखने वाली कुछ बातें-
स्वर्णप्राशन सूर्योदय से पहले सुबह ख़ाली पेट कराना चाहिए, स्वर्णप्राशन के आधा घंटा पहले और बाद कुछ नहीं खाना चाहिए
स्वर्णप्राशन एक से तीन महिना तक लगातार कराया जा सकता है. बच्चा अगर बीमार हो तो स्वर्णप्राशन नहीं कराना चाहिए
स्वर्णप्राशन के लिए कुमारकल्याण रस को हिमालया बोनिसान सिरप या ड्रॉप्स में भी घोलकर दिया जा सकता है. कुमारकल्याण रस या स्वर्ण भस्म आप आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं.
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