षडबिंदु तेल सायनोसाईंटिस और साइनस इन्फेक्शन की मेन दवा है और पंचकर्म में नस्य के लिए इसे प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है, इसके इस्तेमाल से न सिर्फ साइनस दूर होता है बल्कि नाक के दुसरे सभी रोग, सर्द दर्द, बालों का गिरना, गंजापन और नज़र की कमजोरी में भी फ़ायदा है. तो आईये अब जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी जानकारी
षडबिंदु तेल के कम्पोजीशन की बात करें तो या तिल तेल के बेस पर बना आयुर्वेदिक तेल है जिसे कई तरह की जड़ी-बूटियाँ मिलाकर पकाया जाता है. इसमें काला तिल तेल के अलावा बकरी का दूध, भृंगराज का जूस प्रत्येक चार भाग, एरंड मूल, तगर, सौंफ़, जीवंती, रास्ना, दालचीनी, विडंग, मुलेठी, सोंठ और सेंधा नमक प्रत्येक एक भाग के मिश्रण से बनाया जाता है
षडबिंदु तेल बनाने की विधि यह है कि तिल तेल, बकरी का दूध और भृंगराज के रस को मिक्स कर लोहे की कड़ाही में डालकर आंच पर चढ़ा दें, और बाकि दूसरी जड़ी-बूटियों को पिस कर पेस्ट बनाकर मिला लेना है. धीमी आंच पर तेल पकाया जाता है, जब सिर्फ तेल बच जाये तो ठण्डा होने पर छान कर रख लिया जाता है
षडबिंदु तेल के गुण - अगर इसके गुणों की बात करें तो यह एंटी इंफ्लेमेटरी या सुजन दूर करने वाला, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है
षडबिंदु तेल के फ़ायदे-
इसके इस्तेमाल से साइनस की प्रॉब्लम या सायनोसाईंटिस, नाक के मस्से, नाक के अन्दर की सुजन, बार-बार सर्दी जुकाम होना, पुराना ज़ुकाम, सर दर्द, आधा सीसी का दर्द, माईग्रेन, बालों का गिरना, गंजापन, नज़र की कमज़ोरी और दाँतों का ढीलापन जैसे रोग दूर होते हैं
षडबिंदु तेल का डोज़ और प्रयोग विधि-
चित्त लेटकर दो से छह बूंद किसी ड्रॉपर से नाक में डालना चाहिए दिन में दो बार तक. इसे डालने के बाद नाक में जलन और छिंक भी आ सकती है तो इस से घबराना नहीं चाहिए. बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि जैसी कई सारी कंपनियों का यह आयुर्वेदिक दवा दुकान में मिल जाता है, या फिर ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं.
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