खदिरारिष्ट एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो त्वचा रोगों के लिए प्रमुखता से प्रयोग की जाती है, यह एक बेहतरीन रक्तशोधक यानि ब्लड प्यूरीफ़ायर है. इसके इस्तेमाल से हर तरह की स्किन प्रॉब्लम जैसे किल-मुहांसे, खुजली, एक्जिमा, दाद, सफ़ेद दाग, पस वाले फोड़े-फुंसी, कुष्ठ, सोरायसिस, स्किन एलर्जी के अलावा पेट के कीड़े, तिल्ली बढ़ जाना, दिल की बीमारी, खांसी-दमा, बदहज़मी और ट्यूमर जैसे रोगों में भी फ़ायदा होता है
खदिरारिष्ट का मुख्य घटक खदिर और देवदार होता है, तो आईये सबसे पहले जान लेते हैं इसका कम्पोजीशन-
इसे खदिर, देवदार, बाकुची, दारुहल्दी, हर्रे, बहेड़ा, आँवला के क्वाथ में शहद और गुड़ के अलावा प्रक्षेप द्रव्य के रूप में धातकी, कंकोल, नागकेशर, जायफल, लौंग, इलायची, दालचीनी, तेजपात और पिप्पली मिलाकर असाव अरिष्ट विधि से रिष्ट बनाया है. यह रिष्ट यानि सिरप के रूप में होता है
खदिरारिष्ट के गुण-
खदिरारिष्ट के गुणों की बात करें तो यह कफ़, वात और आम नाशक, रक्त शोधक, कृमिनाशक, विरेचक, एंटी बैक्टीरियल और पाचक या Digestive गुणों से भरपूर होता है
खदिरारिष्ट के फ़ायदे -
जैसा कि पहले ही बता चूका हूँ यह स्किन डिजीज के लिए बेहतरीन दवा है. हर तरह की स्किन प्रॉब्लम में इस्तेमाल किया जा सकता है.
शरीर में पस वाले दाने, फोड़े या कोई भी ज़ख्म जिस से पास आता हो तो इसका इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए, इसके साथ त्रिफला गुग्गुल लेने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है
सफ़ेद दाग, सोरायसिस, कुष्ठरोग, एक्जिमा और ट्यूमर के इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है
पेट के कीड़े को दूर करता है, स्प्लीन बढ़ जाने, जौंडिस और एनीमिया, खांसी-दमा में भी लाभकारी है
वातरक्त या गठिया, सुजन में फ़ायदेमंद है, शरीर से टोक्सिंस को निकालता है. कुल मिलाकर देखा जाये तो रक्त विकारों या स्किन डिजीज के एक बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है जो बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के काम करती है
खदिरारिष्ट का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-
15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद लेना चाहिए. बच्चे बड़े सभी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि जैसी कई सारी कंपनियां इसे बनाती हैं.
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