गोक्षुर एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसे आयुर्वेदिक दवाओं के साथ यूनानी और होम्योपैथिक में भी इस्तेमाल किया जाता है, इसे गोखुरू, गोक्षुर, गोखरू काँटा और त्रिकंटक के नाम से भी जाना जाता है
गोखुरू दो तरह का होता है एक छोटा और दूसरा बड़ा. बड़े गोखरू को गोखरू कलाँ कहा जाता है
इसके इस्तेमाल से पेशाब के रोग, किडनी-ब्लैडर की पत्थरी, पेशाब रुक जाना, पेशाब का इन्फेक्शन होना, वीर्य विकार, यौनेक्षा की कमी और शीघ्रपतन जैसे रोग दूर होते हैं.हिमालया हर्बल ने गोक्षुर कंसंट्रेशन को टेबलेट के रूप में उपलब्ध कराया है.
गोखुरू के अगर पहचान की बात करें तो यह चने की तरह पत्ते वाला ज़मीन पर फ़ैलने वाला छोटा पौधा होता है, जिसके तने में इसके काँटे लगते हैं और इसके छोटे-छोटे पीले फूल होते हैं
गोक्षुर के गुण की बात करें तो यह मधुर, शीतवीर्य, मूत्रल यानि खुलकर पेशाब लाने वाला, वीर्यवर्धक, बाजीकारक और कामेक्षा बढ़ाने वाला है
हिमालया गोक्षुर के फ़ायदे-
इसके इस्तेमाल से शरीर को ठंडक मिलती है, पेशाब साफ़ लाता है, पेशाब रुकने, पेशाब कम होने, पिला पेशाब होने, यूरिन का इन्फेक्शन, पत्थरी होने में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है
गोक्षुर के इस्तेमाल से टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है जिस से यौनेक्षा बढ़ती है, स्टैमिना और एनर्जी को बढ़ाता है, इरेक्टाइल डिसफंक्शन में फ़ायदा होता है
वीर्य विकार दूर करने और यौनशक्तिवर्धक दवाओं में गोक्षुर को इस्तेमाल ज़रूर किया जाता है
हिमालया गोक्षुर का डोज़-
1 से 2 tablet दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए
पत्थरी और मूत्र विकारों में गोक्षुर का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए, या फिर हिमालया का गोक्षुर कैप्सूल, पतंजलि का गोक्षुर पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं. घर बैठे ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए गए लिंक से -
loading...
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें