आज मैं बता रहा हूँ मिर्गी की बीमारी या एपिलेप्सी के लिए चमत्कारी टोटके के बारे में
आज यहाँ एक आसान सा प्रयोग बता रहा हूँ जिसके इस्तेमाल से कई लोगों को फ़ायदा हो जाता है.
मिर्गी या एपिलेप्सी की बात करें तो यह बीमारी किसी परिचय की मुहताज नहीं है, इसके बारे में आप सभी लोग जानते ही होंगे. इसके कई सारे कारण होते हैं, जब तक इसका सही निदान न हो तब तक रोग नहीं जाता है, एनी वे, इन सब पर ज्यादा चर्चा न कर एक इम्पोर्टेन्ट बात बता देना चाहूँगा कि कभी-कभी पेट में कीड़े होने के कारण भी मिर्गी के जैसे दौरे और लक्षण उत्पन्न होते हैं, जो की स्टूल टेस्ट करने पर पता चलता है
इस प्रयोग के लिए सबसे पहले आपको ढूँढना होगा आक या अकवन का पौधा, यह पौधा गाँव देहात में या फिर सड़कों के किनारे मिल जाता है, इस पौधे में इसके पत्ते और तने के रंग का कीड़ा या टिड्डा पाया जाता है, इसी टिड्डे को पकड़कर लाना है. यह टिड्डा मिर्गी का असरदार ईलाज है. यह टिड्डा अक्सर गर्मी के दिनों में पाया जाता है
अगर आपको यह टिड्डा मिल जाये तो इसे पकड़कर कांच की एक बोतल में डालकर बंद कर दीजिये, टिड्डा जब मर जाये तो इसे सुखाकर इसके वज़न के बराबर कालीमिर्च मिलकर पीसकर बारीक पाउडर बनाकर रख लें, बस दवा तैयार है
अब आईये जानते हैं इसका इस्तेमाल कैसे करना है?
जब भी रोगी को मिर्गी का दौरा पड़ता है रोगी बेहोश हो जाता है, बेहोशी की हालत में रोगी के नाक में इस पाउडर को थोड़ा सा डालकर फूंक देने से रोगी होश में आ जाता है
इस प्रयोग के बारे में कहा गया है कि हर बार दौरे के समय नाक में इसे फूक देने से धीरे-धीरे मिर्गी की बीमारी हमेशा के लिए चली जाती है
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