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30 दिसंबर 2017

योगेन्द्र रस के गुण और उपयोग | Yogendra Ras Benefits and Usage


योगेन्द्र रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो स्वर्णयुक्त और रसायन औषधि है. यह हर तरह के वात रोगों के अलावा हार्ट, किडनी, लीवर, मानसिक रोग और पुरुष रोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह कई तरह के बीमारियों में फ़ायदा करती है, तो आईये जानते हैं योगेन्द्र रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

योगेन्द्र रस स्वर्णयुक्त औषधि है जिसमे सोना जैसी महँगी चीजें मिली होती हैं. योगेन्द्र रस आयुर्वेदिक ग्रन्थ 'भैषज्य रत्नावली' का योग है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - 

रस सिन्दूर- दो भाग, कान्त लौह भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्ण भस्म, मुक्ता भस्म और वंग भस्म प्रत्येक एक-एक भाग का मिश्रण होता है जिसे घृतकुमारी के रस में खरल कर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही योगेन्द्र रस कहलाता है. 


योगेन्द्र रस के गुण - 

यह वात और पित्त दोष को दूर करता है. एंटी इंफ्लेमेटरी, antacid, पाचक, ह्रदय को बल देने वाला(Cardio protective) और Nervine टॉनिक जैसे गुण इसमें पाए जाते हैं. 


योगेन्द्र रस के फ़ायदे- 

यह हर तरह के वातरोगों की असरदार दवा है यानि जोड़ो का दर्द, गठिया, कमरदर्द आर्थराइटिस से लेकर लकवा, साइटिका, पक्षाघात, एकांगवात, कम्पवात जैसे हर तरह के दर्द वाले या वातरोगों में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं. 

यह दिमाग को ताक़त देता है और मानसिक रोगों को भी दूर करता है जैसे एपिलेप्सी, हिस्टीरिया, बेहोशी पागलपन जैसे मानसिक रोग. 

योगेन्द्र रस हार्ट के रोगों में भी असरदार है, हार्ट की कमजोरी, घबराहट, दिल का ज़्यादा धड़कना जैसे रोगों में असरदार है. हाई BP को भी कण्ट्रोल करता है. 

एसिडिटी, अपच को दूर कर पाचन शक्ति को ठीक करता है. 

किडनी पर भी इसका अच्छा असर होता है, प्रमेह, बहुमूत्र जैसे रोगों में फ़ायदेमंद है. 

यह बल वीर्य को बढ़ाता है, नर्व और मसल्स को ताक़त देता है. यह एक नेचुरल यौनशक्ति वर्धक है, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे पुरुष रोगों में भी फ़ायदेमंद है. 

योगेन्द्र रस ऐसी दवा है जिसे दूसरी दवा के साथ मिलाकर लेने से उसका पॉवर बढ़ जाता है. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो योगेन्द्र रस ऐसी स्वर्णयुक्त दवा है जिसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियाँ दूर होती हैं. 

योगेन्द्र रस की मात्रा और सेवन विधि - 

एक गोली सुबह शाम शहद या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ. वात रोगों में एरंडमूल क्वाथ से, पित्त रोगों में त्रिफला के पानी और मिश्री के साथ, हार्ट के रोगों में अर्जुन की छाल के चूर्ण से, हिस्टीरिया, मृगी जैसी मानसिक रोगों में जटामांसी के काढ़े से और बल-वीर्य बढ़ाने या पुरुष यौन रोगों के लिए लिए मक्खन-मलाई या दूध से लेना चाहिए. इसे डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करें. 
बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि जैसी आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं  निचे दिए लिंक से -

29 दिसंबर 2017

ज़माद शबाब क्रीम ब्रेस्ट साइज़ बढ़ाने की यूनानी दवा | Hamdard Zamad Shabab Review in Hindi


बड़े और सुडौल स्तन पाने के लिए जानी-मानी यूनानी दवा कम्पनी हमदर्द ने पेश किया है 'ज़माद शबाब' क्रीम जिसका इस्तेमाल कर महिलाएं अपने स्तन को बड़ा, सुन्दर और सुडौल बना सकती हैं. 

'ज़माद शबाब' क्रीम का कम्पोजीशन - 

सफैदा जस्त, सुहागा बिर्या, संगजराहत सईदा, वेसिलीन सफ़ेद और गुलाब की खुशबु के मिश्रण से बनाया गया है.

'ज़माद शबाब' क्रीम के फ़ायदे- 

यह ब्रेस्ट के नेचुरल और प्रॉपर डेवलपमेंट में मदद करता है, स्तन के शेप और साइज़ को सही करता है, बड़ा और सुडौल बनाता है. 

स्तन में ब्लड फ्लो को सही करता है, ब्रेस्ट की ग्लैंड को पोषण देता है और साइज़ बढ़ाने में मदद करता है. 


'ज़माद शबाब' क्रीम को कैसे इस्तेमाल करें?

क्रीम को लेकर हल्के हाथों से गोलाई में मालिश करें, रोज़ सोने से पहले मालिश करें और ब्रा पहनकर सो जाएँ. कुछ दिनों के लगातार इस्तेमाल से फ़ायदा नज़र आने लगता है. 'ज़माद शबाब' क्रीम के 50 ग्राम के दो पैक की क़ीमत 229 रुपया है, इसे यूनानी दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं आगे दिए लिंक से - 
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27 दिसंबर 2017

इच्छाभेदी रस के फ़ायदे | Herbal Medicine for Ascites, Constipation & Bloating


इच्छाभेदी रस एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो जलोदर और कब्ज़ दूर करती है. आयुर्वेद में इसे तीव्र विरेचक के रूप में पंचकर्म के 'विरेचन' कर्म में भी इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं इच्छाभेदी रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

इच्छाभेदी रस यानि इच्छा को भेदने वाली रस या रसायन औषधि. यह तीव्र विरेचक है यानि पावरफुल दस्तावर दवा है जिसके इस्तेमाल से पतले दस्त होने लगते हैं. 

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, सोंठ, मिर्च, टंकण भस्म और शुद्ध जयपाल का मिश्रण होता है. जयपाल को ही आम बोलचाल में जमालगोटा के नाम से जाना जाता है. 

इच्छाभेदी रस कफ़ और पित्त दोष नाशक होता है, कब्ज़ दूर कर दस्त लाता है. 


इच्छाभेदी रस के फ़ायदे- 

इसके फ़ायदे की बात करें तो यह पेट साफ़ करने की पावरफुल दवा है. इसे लेने से बाई फ़ोर्सली चार-छह दस्त आकर पेट साफ़ हो जाता है. 

पेट फूलने और जलोदर(Ascites) में या जब पेट में पानी भरा हो तो इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो जब भी पेट साफ़ करने या विरेचन की ज़रूरत हो तो आयुर्वेदिक डॉक्टर इस दवा का इस्तेमाल करते हैं. 


इच्छाभेदी रस की मात्रा और सेवन विधि -

एक से दो टेबलेट बस एक ही बार लेना चाहिए जब पेट साफ़ करने की ज़रूरत हो. इसे ठन्डे पानी से लेना चाहिए. इसे लेने के कुछ टाइम के बाद ही दस्त होने लगते हैं, और उल्टी भी हो सकती है. जब पेट साफ़ हो जाये और दस्त बंद करना हो तो गर्म पानी पीना चाहिए, तो फिर दस्त बंद हो जाते हैं. दस्त बंद होने के बाद छाछ और चावल खाना चाहिए. इसे सिर्फ़ डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. ओवरडोज़ होने से डायरिया भी हो सकता है. 

इच्छाभेदी रस लेने से पहले रात में एरण्ड तेल पीना अच्छा रहता है, और दिन में ही इच्छाभेदी रस लेना चाहिए. 

24 दिसंबर 2017

पुनर्नवादि गुग्गुल के फ़ायदे | Punarnavadi Guggulu Benefits & Use


पुनर्नवादि गुग्गुल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो बॉडी में होने वाली हर तरह की सुजन को दूर करती है. जोड़ों का दर्द, गठिया, अर्थराइटिस जैसे रोगों में भी फ़ायदेमंद है. तो आईये जानते हैं पुनर्नवादि गुग्गुल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

पुनर्नवादि गुग्गुल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक पुनर्नवा और गुग्गुल होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - 

पुनर्नवा, देवदार, हरीतकी और गिलोय सभी एक-एक भाग और शुद्ध गुग्गुल चार भाग का मिश्रण होता है. 

बनाने का तरीका यह है कि सभी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण बनाकर शुद्ध गुग्गुल में मिलायें और थोड़ा एरण्ड तेल मिक्स कर इमामदस्ते में कूटकर 500 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. 


पुनर्नवादि गुग्गुल के गुण - 

यह तासीर में गर्म, कफ़ और वात दोष को दूर करने वाला, सुजन नाशक(Anti inflammatory) और मूत्रल या Diuretic जैसे गुणों से भरपूर होता है. 

पुनर्नवादि गुग्गुल के फ़ायदे- 

बॉडी में होने वाली सुजन को दूर करने के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. किसी भी वजह से होने वाली सुजन को दूर करने में यह बेहद असरदार है. 

मूत्रल होने से यह पेशाब की मात्रा बढ़ाता है और बॉडी के एक्स्ट्रा पानी को निकाल देता है. यह बॉडी के टोक्सिंस को पेशाब के ज़रिये निकालता है. 

जोड़ों का दर्द, जोड़ों की सुजन, जकड़न, कमर दर्द, hydrocele, पेडू का दर्द, यूरिक एसिड वगैरह में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 

यह हार्ट और लीवर को प्रोटेक्ट करता है, ब्लड प्रेशर नार्मल करता है और किडनी फंक्शन को सही करता है. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो सुजन और बॉडी के एक्स्ट्रा वाटर को कम करने की यह एक बेहतरीन क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा है. 


पुनर्नवादि गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि - 

दो-दो गोली सुबह शाम गर्म पानी, पुनर्नवा काढ़ा या पुनर्नवारिष्ट के साथ. इसे अधिकतम चार-चार गोली तीन बार तक भी लिया जा सकता है. बच्चों को कम डोज़ में देना चाहिए. प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करें. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है, कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता. 

पुनर्नवादि गुग्गुल बेस्ट क्वालिटी का उचित मूल्य में ऑनलाइन खरीदें हमारे स्टोर lakhaipur.in से  - पुनर्नवादि गुग्गुल 100 ग्राम 

22 दिसंबर 2017

शुक्राणुवर्धक 100% सफ़ल आयुर्वेदिक योग | Herbal Formula to Increase Sperm Count & Motility


जैसा कि आप सभी जानते हैं स्पर्म काउंट की कमी मेल इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारन होता है जिसकी वजह से संतान प्राप्ति में समस्या होती है. तो आईये जानते हैं स्पर्म काउंट और मोटिलिटी बढ़ाने वाले असरदार आयुर्वेदिक योग की पूरी डिटेल - 

दोस्तों, मैं जो बताने जा रहा हूँ वह कुछ क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाओं का कॉम्बिनेशन है जिसे 'शुक्राणुवर्धक योग' कह सकते हैं.  इसके लिए आपको चाहिए होगा -

अश्वगंधादि चूर्ण - 150 ग्राम 

गोक्षुरादि चूर्ण - 30 ग्राम 

सिद्ध मकरध्वज - 10 ग्राम 

पुष्पधन्वा रस - 10 ग्राम 

प्रवाल पिष्टी - 5 ग्राम, सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर खरल करें और बराबर मात्रा की 60 पुड़िया बना लें. जितना ज़्यादा खरल करेंगे उतना ही इफेक्टिव होगा. 
मात्रा- इसे एक-एक पुड़िया सुबह शाम भोजन के बाद खजूर साधित दूध से लेना है. अब आप सोच रहे होंगे कि खजूर साधित दूध क्या होता है? तो आईये बता देता हूँ-


खजूर साधित दूध- 

250 ML दूध में 7-8 दाना खजूर या छुहारा डालें और 100 ML पानी मिक्स कर उबालें. जब दूध आधा बचे तो थोड़ा ठंडा होने पर बताई गयी पुड़िया खाकर ऊपर से यह दूध पीना चाहिए. यही खजूर साधित दूध होता है. 

शुक्राणुवर्धक योग के फ़ायदे- 


स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए यह एक बेहद असरदार फार्मूला है. स्पर्म क्वालिटी, क्वांटिटी और मोटिलिटी को बढ़ाकर संतान प्राप्ति में मदद करता है. 

तरह- तरह की अंग्रेज़ी दवा खाकर थक गए हों तो भी यह नुस्खा अपना असर दिखाता है. यह वीर्य को गाढ़ाकर, शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या को भी दूर करता है. 

इस योग को कम से कम लगातार तीन महीने तक यूज़ करना चाहिए. जीरो स्पर्म काउंट वाले भी ट्राई कर सकते हैं. दवा शुरू करने से पहले 'त्रिफला चूर्ण' खाकर पेट साफ़ कर लेना चाहिए. 

दवा का इस्तेमाल करते हुवे हल्का सुपाच्य भोजन करें, खट्टी चीजें, अल्कोहल, फ़ास्ट फ़ूड का इस्तेमाल न करें. 


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19 दिसंबर 2017

पौरुष जीवन कैप्सूल के फ़ायदे | Paurush Jiwan Capsule Benefits in Hindi


पौरुष जीवन कैप्सूल एक जनरल हेल्थ टॉनिक की तरह काम करता है और पॉवर स्टैमिना बढ़ाकर हेल्थ इम्प्रूव करने में भी मदद करता है. तो आईये जानते हैं पौरुष जीवन कैप्सूल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

पौरुष जीवन कैप्सूल देव फार्मेसी नाम की कंपनी का एक हर्बल प्रोडक्ट है जिसमे कई तरह की जड़ी-बूटियों और भस्मों का भी मिश्रण होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसके प्रत्येक कैप्सूल  में -

भृंगराज - 40 mg 
यष्टिमधु - 30 mg
अर्जुना - 40 mg 
लौंग - 10 mg 
पिप्पली - 30 mg 
सोंठ - 10 mg 
शुद्ध शिलाजीत - 20 mg 
चित्रकमूल - 10 mg 
जीरा - 20 mg 
जायफल - 30 mg 
कुटज - 10 mg 
काकमाची - 10 mg 
झावुक - 20 mg 
सफ़ेद मुसली - 30 mg 
शतावर - 50 mg 
कपिकच्चू - 30 mg 
लौह भस्म - 1 mg 
वंग भस्म - 1 mg 
केसर - 1 mg 
अश्वगंधा - 67 mg 
आँवला - 10 mg 
हरीतकी - 30 mg का मिश्रण होता है. 

इसमें मिलायी जाने वाली जड़ी-बूटियाँ जैसे अश्वगंधा, शतावर, सफ़ेद मुसली, केसर, कौंच बीज और दुसरे भस्म पॉवर स्टैमिना बढ़ाने के लिए जानी-मानी औषधियाँ हैं.  


पौरुष जीवन कैप्सूल के फ़ायदे - 

जड़ी-बूटी और भस्मों का बैलेंस कॉम्बिनेशन होने से यह एक असरदार जनरल टॉनिक की तरह काम करता है. 

इसके इस्तेमाल से भूख बढ़ती है, पाचन शक्ति ठीक होती है और दिल-दिमाग को शांति देता है.

थोड़े से काम से ही थक जाना और आलस्य को दूर करता है, चुस्ती-फुर्ती देकर आपको एक्टिव रखने में मदद करता है. 

पौरुष जीवन कैप्सूल के इस्तेमाल से पुरुषों की यौन कमज़ोरी में भी फ़ायदा होता है. यह यौनेक्षा को बढ़ाता है, स्वप्नदोष और शीघ्रपतन जैसी समस्या में भी लाभ होता है, पर यौनरोगों के लिए इसके साथ दूसरी दवाएँ भी लेनी चाहिए. 

कुछ महीने इस्तेमाल करने से दुबले-पतले लोगों का भी हेल्थ इम्प्रूव हो जाता है. 
कुल मिलाकर देखा जाये तो यह हेल्थ इम्प्रूव करने और जनरल टॉनिक की तरह यूज़ करने की एक अच्छी, सस्ती और असरदार दवा है जिसे पुरुष और महिला दोनों यूज़ कर सकते हैं. 


पौरुष जीवन का डोज़ - 

एक कैप्सूल सुबह शाम या रोज़ 3 बार खाना खाने के बाद पानी से लेना चाहिए लगातार एक महिना तक. 







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18 दिसंबर 2017

लवंगादि वटी खाँसी की आयुर्वेदिक औषधि | Herbal Medicine for Cough Lavangadi Vati


लवंगादि वटी खाँसी के लिए आयुर्वेद की जानी-मानी क्लासिकल मेडिसिन है जो हर तरह की खाँसी में असरदार है. तो आईये जानते हैं लवंगादि वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

लवंगादि वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है लवंग या लौंग मिला होने से इसका नाम लवंगादि वटी रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें लौंग, बहेड़े का छिल्का, काली मिर्च और कत्था सभी बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर बबूल की छाल के क्वाथ में घोटकर चने के बराबर की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही लवंगादि वटी कहलाती है. यह वैध जीवन नामक आयुर्वेदिक ग्रन्थ का नुस्खा है जबकि 'आयुर्वेद सार संग्रह' का नुस्खा थोड़ा अलग होता है.


लवंगादि वटी के फ़ायदे- 

यह आयुर्वेद में खाँसी की पॉपुलर दवा है, यह सुखी और गीली हर तरह की खाँसी को ठीक करने में लाजवाब है. 

जब रोगी को बहुत खाँसने पर भी कफ़ नहीं निकलता, सीने में दर्द और बेचैनी हो तो इसे एक-एक गोली चूसने से तुरंत फ़ायदा होता है. 

लवंगादि वटी के इस्तेमाल से साँस लेने में तकलीफ़ दूर होती है, यह श्वासनली को साफ़ कर कफ़ को दूर करती है. 


लवंगादि वटी की प्रयोगविधि- 

इसे एक-एक गोली मुंह में रखकर रोज़ चार-पाँच बार चुसना चाहिए. बच्चे-बड़े सभी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. बिल्कुल सेफ़ दवा होती है. बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि जैसी आयुर्वेदिक कंपनियों की यह दवा हर जगह मिल जाती है. लवंगादि वटी के साथ में सितोपलादि चूर्ण, तालिसादी चूर्ण जैसी दवा भी ले सकते हैं. 

15 दिसंबर 2017

Herbal Treatment of Hepatitis B | हेपेटाइटिस बी की आयुर्वेदिक चिकित्सा


अगर किसी को भी हेपेटाइटिस बी फाइंड आउट हुआ तो इसमें क्या-क्या आयुर्वेदिक दवा लेना चाहिए और खाने पिने में क्या-क्या परहेज़ करना चाहिए? इन सब के बारे में आईये जानते हैं पूरी डिटेल - 

दोस्तों, जब लीवर की जगह में दर्द में हो, लीवर बढ़ा हो, आँखें पिली, पेशाब पिला, बुखार वगैरह लक्षण हों तो टेस्ट के बाद हेपेटाइटिस का निदान होता है. ब्लड टेस्ट में जब सीरम बिल्युरबिन बढ़ा हुआ और ऑस्ट्रलियन एन्टीजन पॉजिटिव आये तो हेपेटाइटिस बी माना जाता है. इन सब पर ज़्यादा चर्चा नहीं करेंगे बल्कि जानेंगे कि कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाओं का कॉम्बिनेशन इस रोग में लेना चाहिए. 

हेपेटाइटिस नाशक योग -  


  • पुनर्नवादि मंडूर 10 ग्राम, कालमेघनवायस मंडूर 10 ग्राम, वृहत लोकनाथ रस 10 ग्राम, प्रवाल पंचामृत रस(मोती युक्त) 10 ग्राम, कुटकी चूर्ण 10 ग्राम और चाँदी का वर्क असली 5 नग. सबसे पहले चाँदी के वर्क को खरल में डालकर खरल करें और फिर दूसरी दवा मिक्स कर अच्छी तरह खरल कर लें और 40 पुडिया बना लें. एक-एक पुडिया सुबह शाम ताज़ा पानी से लेना है. 




  • महा मंजिष्ठारिष्ट 10 ML + रोहितकारिष्ट 10 ML + कुमार्यासव 10 ML + पुनर्नवारिष्ट 10 ML सभी मिक्स कर एक कप पानी के साथ खाना के बाद रोज़ दो बार 



  • सोने से पहले 'त्रिफला चूर्ण' 3 ग्राम में एक गोली 'आरोग्यवर्धिनी वटी' मिक्स कर देना चाहिए.


 यह सब दवाएँ आयुर्वेदिक डॉक्टर की देख रेख में कम से कम तीन महिना तक लेना चाहिए. बताया गया योग कयी तरह के दुसरे हेपेटाइटिस में भी फ़ायदेमंद है. 
खाने पिने में परहेज़ बहुत ज़रूरी है, इन चीजों से परहेज़ रखें जैसे- आलू, चावल, गुड, मिर्च, मसाला, खटाई, नमक, दही, तेल-घी, तली हुयी चीजें, शारीरिक-मानसिक श्रम, सम्भोग वगैरह


अब सवाल उठता है की खाना क्या चाहिए?

खाने में पत्ते वाली सब्ज़ी जैसे बथुआ, पालक, पत्तागोभी, मेथी, लौकी, तुरई, परवल, करेला और फलों में अनार, संतरा, मुसम्मी और पपीता का इस्तेमाल करना चाहिए. उबाल का ठण्डा किया हुवा पानी पीना चाहिए. ग्लूकोज़ भी पी सकते हैं. 

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13 दिसंबर 2017

अपना कद कैसे बढ़ाएं? How to Increase Height? Homeo Medicine to Increae Height


जी हाँ दोस्तों, आपमें से कई लोग इसके बारे में अक्सर पूछते रहते हैं. राईट हाइट नाम की यह एक होमियोपैथिक दवा है जो ख़ासकर ग्रोविंग ऐज के लोगों की हाइट बढ़ा देती है और इसे यूज़ करना भी बहुत आसान है. तो आईये जानते हैं इसके बारे में पूरी डिटेल - 

राईट हाइट जानी-मानी होमिओ कंपनी SBL का एक ब्रांड है जो हाइट बढ़ाने में बेहद असरदार है. इसमें चार तरह की दवाओं का मिश्रण होता है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें बेराईटा कार्बोनिका 200C, साईलीशिया 200C, थूजा आक्सीडेंटलिस 200C और कैलकेरिया फ़ास्फ़ोरिका 200C मिला होता है. यह 250 mg की टेबलेट के रूप में होती है. 


राईट हाइट के फ़ायदे-

लम्बाई या हाइट का बढ़ना कई कारणों पर निर्भर करता है जैसे जेनेटिक, हार्मोनल बैलेंस, न्यूट्रीशन और जनरल हेल्थ वगैरह. राईट हाइट हर तरह के कारणों को दूर कर समुचित पोषण प्रदान कर बच्चों की लम्बाई बढ़ाने और सम्पूर्ण वृद्धि में सहायक है. 

जिन बच्चों की लम्बाई कम बढ़ रही हो उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिए. ग्रोविंग ऐज में ही इसका इस्तेमाल करने से फ़ायदा होता है. व्यस्क लोगों को इस से फ़ायदा नहीं होगा. 


राईट हाइट की मात्रा और सेवन विधि -

13 साल से कम उम्र के बच्चों को एक टेबलेट हफ्ते में एक बार लेना चाहिए. जबकि 13 साल से बड़े बच्चों को दो टेबलेट हफ्ते में एक बार लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, लम्बे समय तक इस्तेमाल करते रहने से ही फ़ायदा मिलता है. 

10 दिसंबर 2017

अमलतास के फ़ायदे | Health Benefits of Cassia Fistula


अमलतास को संस्कृत में आरग्वध, बंगाली में सौन्दाल, तेलुगु में रेला(Rela) और अंग्रेज़ी में कैसिया फिस्टुला(Cassia Fistula) कहा जाता है. गर्मी में पीले रंग के बड़े ही सुन्दर झालरदार फूल इसमें खिलते हैं. 
अमलतास के फूल 


अमलतास के गुण - 

आयुर्वेदानुसार यह कफ़नाशक है तासीर में ठंडा, कब्ज़ दूर करने वाला, वातरोग, गैस, बुखार, ह्रदय और मूत्र रोगों में लाभकारी है. 

अमलतास के फ़ायदे- 

कब्ज़ दूर करने के लिए - 

अमलतास का गुदा एक बेहतरीन कब्ज़नाशक है. कब्ज़ दूर करने के लिए एक चम्मच इसके पके हुवे फल के गुदे को पानी में मसलकर छान कर पीना चाहिए. यह न सिर्फ़ कब्ज़ दूर करता है बल्कि बवासीर में भी फ़ायदा करता है. 


चर्म रोगों में - 

इसके पत्ते को पीसकर लेप करने से चर्मरोगों में फ़ायदा होता है. 

खाँसी के लिए - 

सुखी खाँसी होने पर इसके फूलों को चबाने से आराम मिलता है. 

बुखार के लिए - 

इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर पिने से हर तरह की बुखार में फ़ायदा होता है. 

बिच्छू काटने पर - 

अमलतास के बीज को पानी में घिसकर बिच्छू डंक वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है. 

ज़ख्म और फोड़े के लिए - 

अमलतास की छाल का काढ़ा बनाकर ज़ख्म की सफ़ाई करने से इन्फेक्शन दूर होता है और ज़ख्म जल्दी भरते हैं. 

पेट के रोग, कब्ज़ और बवासीर की आयुर्वेदिक दवाओं में अमलतास के गुदे का इस्तेमाल किया जाता है. 

अमलतास का फल या गुदा इस्तेमाल करने से पहले ध्यान रखें कि इसका अधीक प्रयोग करने से दस्त हो सकते हैं. 





19 नवंबर 2017

Shivlingi Seed Benefits | शिवलिंगी बीज के फ़ायदे, बेटा पैदा करने की चमत्कारी बूटी


शिवलिंगी बीज एक तरह के फल का बीज होता है, शिव जी के लिंग की तरह दिखने के कारन इसे शिवलिंगी कहा जाता है. 

इसका वैज्ञानिक नाम ब्रायोनिया लैसीनिओसा(Bryonia Laciniosa) है. यह एक गर्भाशय टॉनिक है जिसे महिला बाँझपन के उपचार के लिए इसे अकेले या दूसरी दवाओं के साथ इस्तेमाल किया जाता है. यह पुरुषों की यौन क्षमता बढ़ाने और वीर्यविकार के लिए भी फ़ायदेमंद है.

इसके गुणों की बात करें तो यह कफ़ दोष नाशक, दर्द-सुजन नाशक, एंटी फीवर और एंटी फंगल जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर होता है. 


शिवलिंगी बीज के फ़ायदे - 

शिवलिंगी बीज को ख़ासकर महिला बाँझपन के लिए ही प्रयोग किया जाता है. किसी भी कारण से अगर गर्भधारण नहीं हो रहा हो तो शिवलिंगी का बीज गर्भधारण में मदद करता है. 

शिवलिंगी बीज न सिर्फ फीमेल इनफर्टिलिटी को दूर कर गर्भधारण में मदद करता है बल्कि यह भी माना जाता है कि अगर एक खास तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाये तो पुत्र प्राप्ति होती है या लड़का पैदा होता है. तरह-तरह के प्रयोग के बारे में चर्चा न कर आईये जानते हैं कि गर्भधारण और पुत्र प्राप्ति के लिए इसका इस्तेमाल कैसे करें?

पुंसवन कैप्सूल - लड़का पैदा करने की नंबर वन औषधि  

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पीरियड ख़त्म होते ही शिवलिंगी के पाँच दाने लेकर सुबह-सुबह ख़ाली पेट पानी के साथ इसे निगल लेना चाहिए सिर्फ सात दिनों तक. ध्यान रहे कि इसके बीज दाँतों को टच न करें. इसे निगलने के बाद अगर उल्टी नहीं होती है तो गर्भधारण और पुत्र प्राप्ति की सम्भावना बहुत ज़्यादा होती है. 


यह एक तरह का टोटका वाला प्रयोग है जिसे आधुनिक विज्ञान नहीं मानता है पर, इसे एक-दो बार ट्राई करने में कोई हर्ज नहीं. यहाँ एक बात बता देना चाहूँगा कि अगर पीरियड और गर्भाशय की प्रॉब्लम हो तो उसका कम्पलीट ट्रीटमेंट ज़रूर लें और साथ में इस प्रयोग को भी ट्राई करें. 




तो दोस्तों, अगर पुत्र प्राप्ति या लड़का चाहते हैं तो इसे ज़रूर ट्राई करें और जैसा रिजल्ट रहे कमेंट कर हमें बताएं. शिवलिंगी बीज ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से- 


इसे भी जानिए - 




16 नवंबर 2017

Home Remedy for Cancer | कैंसर की घरेलु चिकित्सा


जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि कैंसर एक मारक रोग है और जिस आदमी को बीमारी हो जाती है उनको ज़िन्दगी से उम्मीद जाने लगती है. पर यदि समय पर इस रोग का पता लग जाये तो बीमारी ठीक हो सकती है. आज जो मैं आसान सा प्रयोग बता रहा हूँ इसके इस्तेमाल से हर तरह के कैंसर में लाभ होता है और कुछ लोगों को इस से कैंसर ठीक होते हुवे भी देखा गया है. तो आईये आज के इस विडियो में जानते हैं इसकी पूरी डिटेल - 

आज जो नुस्खा मैं बता रहा हूँ यह एक तरह का काढ़ा है जिसे जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है. इसके लिए आपको चाहिए होगा- 

रक्त रोहिड़ा की छाल- 

कांचनार की छाल-

पुनर्नवा की जड़ - 

गिलोय - 

हल्दी-

दारूहल्दी-

सहजन की छाल- 

वरुण की छाल-

पीपल की छाल-

कुटकी- 

सभी को बराबर वज़न में लेकर मोटा-मोटा कूटकर रख लें. अब पचास ग्राम इस चूर्ण को 200 ML पानी में उबालें, जब 50 ML पानी बचे तो ठंढा होने पर छानकर इसमें 250 mg शुद्ध शिलाजीत मिक्स कर पी जाना है. इसी तरह इसे सुबह-शाम काढ़ा बनाकर यूज़ करें. 


यह काढ़ा कैंसर रोगियों के लिए आशा की एक किरण है, इश्वर की कृपा से कैंसर दूर हो सकता है. 

ग्लैंड, ग्रंथि, सिस्ट और ट्यूमर वाले कैंसर में इस से सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता है. तो दोस्तों, अगर आपके आस पास किसी को कैंसर हो तो इसका प्रयोग कर लाभ ले सकते हैं. इसमें बताई गयी चीजें जड़ी-बूटी या पंसारी की दुकान में मिल जाती हैं. 

 इसे भी जानें - हल्दी के फ़ायदे, हल्दी से कैंसर भगाएं 

13 नवंबर 2017

Best Herbal Medicine for Heart and Heart Disease | अर्जुनारिष्ट(पार्थाधरिष्ट) ह्रदय रोगों की महान औषधि


अर्जुनारिष्ट ह्रदय रोगों या हार्ट डिजीज की एक बेहतरीन दवा है जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है. 

यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हार्ट की हर तरह की बीमारियों को दूर कर हार्ट को हेल्दी बनाती है, तो आईये जानते हैं अर्जुनारिष्ट के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

अर्जुनारिष्ट का एक दूसरा नाम पार्थाधरिष्ट भी है पर वैध समाज में यह अर्जुनारिष्ट के नाम से ही प्रचलित है. अर्जुनारिष्ट जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मेन इनग्रीडेंट अर्जुन की छाल होती है,इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें अर्जुन की छाल, मुनक्का, महुआ के फूल, धाय के फूल और गुड़ का मिश्रण होता है. जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से संधान के बाद रिष्ट बनता है. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह बना-बनाया मार्केट में हर जगह मिल जाता है. 


अर्जुनारिष्ट के गुण - 

इसके गुणों की बात करें तो यह पित्त और कफ़दोष नाशक, ह्रदय को बल देने वाला, Cardioprotective, बेहतरीन हार्ट टॉनिक और एंटी इंफ्लेमेटरी जैसे गुणों से भरपूर होता है. 

अर्जुनारिष्ट के फ़ायदे  - 

अर्जुनारिष्ट जो है ह्रदय रोगों के लिए एक बेजोड़ दवा है, इसे चीप एंड बेस्ट हार्ट टॉनिक कह सकते हैं. 

यह ह्रदय को बल देता है, हार्ट बीट को नार्मल करता है, हार्ट को मज़बूत करने और हार्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए यह एक बेहतरीन दवा है. 

यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को भी नार्मल करता है. 

दिल का ज़्यादा धड़कना, पसीना आना, मुंह सुखना, घबराहट, नींद की कमी जैसी प्रॉब्लम इसके इस्तेमाल से दूर होती है. इसका इस्तेमाल करते रहने से हार्ट फेल नहीं होता है. 

हार्ट का वाल्व, बढ़ जाना, सिकुड़ जाना, दिल का दर्द जैसे रोगों में असरदार है. कुल मिलाकर देखा जाये तो हार्ट के रोगों के लिए यह एक बेहतरीन दवा है. 


अर्जुनारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि - 

15 से 30 ML तक दिन में दो बार भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिलाकर लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, लॉन्ग टाइम तक यूज़ कर सकते हैं. बच्चे-बड़े, बूढ़े सभी ले सकते हैं सही डोज़ में. गुड़ की मात्रा मिला होने से डायबिटीज वाले सावधानीपूर्वक यूज़ करें.  इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए गए लिंक से - 

28 अक्टूबर 2017

Lashunadi Vati Dyspepsia, Gastric, Diarrhoea and Digestive Disorder | लशुनादि वटी के फ़ायदे


लशुनादि वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो पेट की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. यह गैस, दस्त, पाचन शक्ति की कमज़ोरी, भूख की कमी और आँतों की कमज़ोरी को दूर करती है, तो आईये जानते हैं लशुनादि वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

लशुनादि वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मेन इनग्रीडेंट लहसुन या गार्लिक होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें लहसुन, सफ़ेद जीरा, सेंधा नमक, शुद्ध गंधक, सोंठ, मिर्च, पीपल, हींग और नीम्बू के रस का मिश्रण होता है. 

बनाने का तरीका यह होता है कि हींग के अलावा सभी चीज़ें एक-एक भाग लेना है और हींग चौथाई भाग. लहसुन को छीलकर पेस्ट बना लें और दूसरी चीज़ों का पाउडर, फिर सभी को मिक्स कर निम्बू के रस में खरलकर 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही लशुनादि वटी है. 


लशुनादि वटी के औषधिय गुण - 

यह वात और कफ़ दोष को बैलेंस करती है और पित्त को बढ़ाती है. तासीर में थोड़ा गर्म कह सकते हैं. गैस नाशक, पाचक और भूख बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होती है. 


लशुनादि वटी के फ़ायदे- 

पेट की गैस, बदहज़मी, डायरिया, अपच, भूख की कमी और पाचन शक्ति की कमज़ोरी जैसे पेट के रोगों में यह असरदार है. 

जी मिचलाना, पेट दर्द, पेट फूलने जैसी प्रॉब्लम में भी इस से फ़ायदा होता है. 


लशुनादि वटी की मात्रा और सेवनविधि - 

एक से दो गोली रोज़ दो-तीन बार तक खाना खाने के बाद नार्मल पानी से लेना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह के मुताबिक. 

यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है, इसे लॉन्ग टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं. नमक की मात्रा मिला होने से हाई BP वाले सावधानी से यूज़ करें. ज़्यादा डोज़ होने पर पेट में जलन हो सकती है. डाबर, बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों की यह दवा दुकान में मिल जाती है. 

Himalaya Purim Herbal Blood Purifier | हिमालया प्योरिम खून साफ़ करने की हर्बल दवा


हिमालया प्योरिम हिमालया हर्बल का एक पेटेंट ब्रांड है जो ब्लड इम्पुरिटी को दूर कर खून साफ़ करती है. इसके इस्तेमाल से खून की ख़राबी से होने वाली बीमारियाँ जैसे ज़ख्म, फोड़े-फुंसी और स्किन की हेर तरह की प्रॉब्लम में फ़ायदा होता है. यह लीवर को Detoxify और प्रोटेक्ट भी करता है, तो आईये जानते हैं हिमालया प्योरिम का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

हिमालया प्योरिम खून साफ़ करने वाली बेहतरीन जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -

हल्दी, अराग्यवध, बाकुची, कूठ, कुटकी, नीम, गिलोय, वरुण, विडंग, भृंगराज, त्रिफला और कालमेघ के मिश्रण से बनाया गया है. 


हिमालया प्योरिम के औषधिय गुण - 

त्रिदोष पर इसका असर होता है. रक्तशोधक, Antiseptic, Anti-बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी वायरल, एंटी इंफ्लेमेटरी और Wound Healing जैसे गुणों से भरपूर होता है. 


हिमालया प्योरिम के फ़ायदे- 

यह एक इफेक्टिव रक्तशोधक या Blood Purifier है, खून साफ़ करता है और बॉडी से विषैले तत्वों या Toxins को निकालता है. 

स्किन की हर तरह की प्रॉब्लम जैसे फोड़े-फुंसी, कील-मुहाँसे और चर्मरोग को दूर करने में मदद करता है.

यह लीवर को प्रोटेक्ट करता है, लीवर के फंक्शन को सही करता है और लीवर को हेल्दी बनाता है. इसे लिव 52 के विकल्प के रूप में भी ले सकते हैं. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो बॉडी को Detoxify करने और नर्म, मुलायम हेल्दी स्किन पाने के लिए यह एक अच्छी हर्बल दवा है. 


हिमालया प्योरिम का डोज़ - 

दो टेबलेट खाना खाने के बाद सुबह शाम पानी से लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ दवा है, लॉन्ग टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. जटिल चर्मरोगों जैसे एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठ में ही इसे सहायक औषधि के रूप में ले सकते हैं. 

इसी तरह का काम करने वाली दूसरी दवाएं हैं हिमालया Talekt, दिव्य कायाकल्प वटी, कैशोर गुग्गुल वगैरह.

27 अक्टूबर 2017

Maha Tikta Ghrita for Skin Disease and Chronic Disease | महा तिक्त घृत के गुण और उपयोग


महा तिक्त घृत क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के स्किन डिजीज, गैस्ट्रिक, गठिया, एनीमिया, जौंडिस, बुखार, हार्ट के रोग और ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कई तरह की पुरानी बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. पंचकर्म के स्नेहन के लिए इसे प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं महा तिक्त घृत का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

महा तिक्त घृत भैषज्यरत्नावली(कुष्ठ अधिकार 118-124) का योग है जो घी के रूप में होती है. कई तरह की जड़ी-बूटियों को घी में पकाया जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - 

सप्तपर्ण, अतीस, सर्पुन्खा, तिक्तरोहिणी, पाठा, मोथा, उशीर, त्रिफला, पटोल, नीम, पित्तपापड़ा, धन्यवासा, चन्दन, पिप्पली, गजपीपल, पद्माख, हल्दी, दारूहल्दी, उग्रगंधा, विशाका, शतावर, सारिवा, वत्सक बीज, वासा, मूर्वा, अमृता, किरातिक्त, यष्टिमधु और त्रायमान प्रत्येक 6 ग्राम, आँवला का जूस डेढ़ लीटर, पानी 6 लीटर और घी 750 ग्राम का मिश्रण होता है. 

बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले जड़ी-बूटियों का काढ़ा बना लिया जाता है उसके बाद आंवला का जूस और घी मिलाकर कड़ाही में डालकर मन्द आँच में पकाया जाता है, जब पानी पूरा उड़ जाये और सिर्फ घी बचे तो ठण्डा होने पर पैक कर लिया जाता है, यही महा तिक्त घृत है. 


महा तिक्त घृत के औषधीय गुण - 

यह वात और पित्त को शान्त करती है. एंटी सेप्टिक, एंटी बायोटिक, Antacid और हीलिंग जैसे गुणों से भरपूर होती है. 


महा तिक्त घृत के फ़ायदे- 

पंचकर्म के प्रोसेस स्नेहन कर्म के लिए ही इसे सबसे ज्यादा यूज़ किया जाता है. पेट के अल्सर के लिए भी आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं. 

खून साफ़ करने और स्किन डिजीज दूर करने के लिए बेहद असरदार है ज़ख्म, फ़ोडा, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठ जैसे रोगों में यूज़ करना चाहिए. 

जल्दी न भरने वाले ज़ख्म, फ़ोडा, एक्जिमा, सोरायसिस जैसे चर्मरोगों में इसका एक्सटर्नल यूज़ भी कर सकते हैं मलहम ही तरह.

गठिया, वातरक्त और ब्लीडिंग वाले रोगों में इस से फ़ायदा होता है.


महा तिक्त घृत की मात्रा और सेवन विधि - 

स्नेहन कर्म के लिए इसका डोज़ डिपेंड करेगा रोगानुसार, जो की पंचकर्म स्पेशलिस्ट ही इसका डोज़ फिक्स कर सकते हैं. 

हर तरह के स्किन डिजीज, गठिया, पाइल्स और ब्लीडिंग वाले रोगों के लिए इसे हाफ स्पून रोज़ दो बार खाना से पहले गुनगुने पानी से ले सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है, लगातार दो-तिन महीने या ज़्यादा टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं. डोज़ ज़्यादा होने पर अपच, दस्त जैसी प्रॉब्लम हो सकती है. 

महा तिक्त घृत का इस्तेमाल करते हुवे नमक, मिर्च, तेल और खट्टी चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. महा तिक्त घृत डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में भी यूज़ करना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं. 

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26 अक्टूबर 2017

Kshar Tail for Ear Ache, Deafness, Otitis and all Ear Disease | क्षार तेल कान दर्द, कान बहना, बहरापन जैसे कर्णरोगों की औषधि


क्षार तेल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो कान की हर तरह की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. यह कान का दर्द, कान बहना, कान से कम सुनाई देना, बहरापन, कान का इन्फेक्शन, कान में कीड़े पड़ जाना जैसे रोगों को दूर करता है, तो आईये जानते हैं क्षार तेल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 
क्षार तेल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें कई तरह के क्षार या नमक और जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें मुली क्षार, जौ क्षार, विड लवण, समुद्र लवण, रोमक लवण, सैंधव लवण, सौवर्च लवण, हींग, शिग्रु, सोंठ, देवदार, बच, कुष्ठ, रसांजन, शतपुष्पा, पिपरामूल, मोथा, कदली स्वरस या केले के तने का रस और निम्बू का रस का मिश्रण होता है जिसे सरसों के तेल में आयुर्वेदिक प्रोसेस तेल पाक विधि से तेल सिद्ध किया जाता है. 


क्षार तेल के औषधीय गुण - 

यह वात और कफ़ दोष नाशक है. दर्द-सुजन नाशक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बायोटिक, एंटी सेप्टिक जैसे गुणों से भरपूर होता है. 


क्षार तेल के फ़ायदे- 

कान में खुजली होना, पस, इन्फेक्शन, कान बहना, कान दर्द, कान में कीड़े होना जैसी प्रॉब्लम होने पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

कान से पस आना या कान बहने की प्रॉब्लम नयी हो या पुरानी, इसे लगातार इस्तेमाल करने से दूर होती है. कान बहने में इसके साथ में 'त्रिफला गुग्गुल' भी लेने से अच्छा रिजल्ट मिलता है. 

कान से कम सुनाई देना या बहरापन के लिए भी यह असरदार है, इसे लगातार कुछ महीने डालते रहने से बहरापन भी दूर हो जाता है. 


क्षार तेल इस्तेमाल करने का तरीका - 

कान को रूई से साफ़ कर चार-पाँच बूंद कान में रोज़ एक दो बार डालना चाहिए. इसे किसी ड्रॉपर से कान में पूरा भरकर भी डाल सकते हैं, कान में पूरा भरकर कॉटन लगा लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. इसे लगातार तीन से छह महिना तक भी यूज़ कर सकते हैं. बहरापन दूर करने के लिए इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ करना पड़ता है. बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं. 


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