जामुन को अंग्रेज़ी में ब्लैक बेरी या जावा प्लम भी कहा जाता है
आयुर्वेद व संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों में जामुन को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे; मुन, राजमन, काला जामुन, जमाली इत्यादि
अत्यधिक गुणों से भरपूर जामुन के कई फ़ायदे हैं। आयुर्वेद चिकित्सा में विभिन्न रोग-विकारों को नष्ट करने के लिए जामुन के पत्ते, छाल, जड़ व फलों का सेवन किया जाता है।
काला जामुन जिसे कुछ लोग काले बेर भी कहते हैं डायबिटीज के रोगियों के लिए रामबाण के रूप में काम करता है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि रोजाना जामून का सेवन करने से डायबिटीज की समस्या दूर होती है।
जामुन के सेवन से पाचन क्रिया सक्रिय रहती है और पेट के विकार दूर होते हैं।
जामुन के सेवन से पित्त की जलन, पेट में कीड़े, दमा रोग, दस्त, खांसी तथा कफ की समस्या से निजात मिलता है।
जामुन के सेवन से खून की वृद्धि होती है और दांतों व मसूढ़ों को रोग निरोधक शक्ति मिलती है।
जामुन के पत्तों की राख पीसकर दांतों पर मंजन करने से मसूढ़ों के रोग-विकार दूर होते हैं।
जामुन रोग-विकारों को दूर करके शरीर को सुंदर व आकर्षक बनाता है।
सिरदर्द होने की स्थिति में जामुन का रस माथे पर मलिए, आपको लाभ मिलेगा।
जामुन की छाल को पानी में उबालकर उसका कुल्ला करने से मसूढ़ों के रोग-विकार नष्ट होते हैं।
जामुन के बीज संकोचक, सिरका पौष्टिक और उदर के वायु विकार को दूर करता है।
डायबटीज की बीमारी के लिए जामुन एक गुणकारी फल है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला फल भी है।
जामुन के कोमल पत्तों को पानी में उबालकर और छानकर उसे कुल्ला करने पर मसूढ़ों की सूजन व खून निकलने की विकृति नष्ट होती है।
जामुन खाने से भी पथरी दूर होती है और इसके गुठली का चूर्ण बनाकर दही या मट्ठे के साथ सेवन करने से पथरी धीरे-धीरे नष्ट होती है।
जामुन की गुठलियां बीस ग्राम मात्रा में लेकर उसमें दो ग्राम अफीम किसी खरल में घोटकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम एक-एक गोली जल के साथ सेवन करके से मधुमेह में बहुत लाभ होता है।
जामुन की गुठली का चूर्ण 3-3 ग्राम सुबह शाम पानी से लेने से मधुमेह रोग में बहुत लाभ होता है।
जामुन की भीतरी छाल का काढ़ा बनाकर पिलाने से ऐंठन, मरोड़ की समस्या दूर होती है।
छोटे बच्चों को दस्त होने पर जामुन की ताजी छाल का रस, बकरी के दूध में उबालकर ठंडा कीजिये और उसे पिलाने पर बहुत लाभ होता है।
पानी में एक जामुन के कोमल पत्तों को पीसकर पिलाने से अफीम का नशा दूर हो जाता है।
जामुन के पत्ते चबाकर उसका रस चूसने से मुंह में बदबू आने बंद हो जाते हैं।
बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करने संबंधी बीमारी में जामुन की गुठली का चूर्ण बनाकर तीन ग्राम मात्रा में जल के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
दस्त में खून निकलने की विकृति होने पर जामुन की गुठली का चूर्ण पांच ग्राम मात्रा में दिन में कई बार मटठे के साथ सेवन करने से ब्लीडिंग की समस्या से मुक्ति मिलती है।
अपनी आवाज की सुरीली बनाना है तो जामुन की गुठली को सुखाकर उसका चूर्ण बनाएं और शहद के साथ मिलाकर चाटें।
जामुन खाने से मुंह के छाले दूर होते हैं
जामुन का शर्बत ठंढे पानी में मिलाकर पीने से उलटी और दस्त की समस्या से निजात मिलता है और गर्मी में राहत भी देती है।
जामुन के सिरके को पानी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज की पुरानी समस्या से छुटकारा मिलता है।
नोट: जामुन हमेशा खाने के बाद खाएं। इसका दूध के साथ सेवन खतरनाक हो सकता है।
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