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29 सितंबर 2016

सप्तामृत लौह के फ़ायदे, आँखों की रौशनी बढ़ाएं, चश्मा हटायें | Saptamrit Lauh benefits | chashma hatane ke liye ayruvedic dava saptamrit lauh


आज आप जानेंगे आँखों की रौशनी बढ़ाने और आँखों की प्रॉब्लम को दूर कर आँखों को Healthy बनाने की आयुर्वेदिक दवा सप्तामृत लौह के बारे में 



सप्तामृत लौह आयुर्वेद की जानी मानी पोपुलर दवा है जिसका इस्तेमाल आँखों की प्रॉब्लम को दूर करने के लिए किया जाता है. यह आँखों के हर तरह की रोगों की बेहतरीन दवा है. इसके इस्तेमाल से आँखों को शक्ति मिलती है और आँख की रौशनी तेज़ होती है. 


सप्तामृत लौह के फ़ायदे - 

इसके इस्तेमाल से नज़र की कमज़ोरी दूर होती है 

आँखों की लाली, रतौंधी, मोतियाबिंद, आँखों से पानी गिरना, खुजली, आँखों में जलन, आँखों के सामने अँधेरा छाना, आँखों में दर्द जैसी तकलीफ़ दूर होती है 

महात्रिफला घृत के साथ लगातार इसका इस्तेमाल करने से लगा हुवा चश्मा हट जाता है 

आँखों के अलावा यह पुरे शरीर पर असर करता है और स्वस्थ सुधारता है 
शरीर में आयरन की कमी को दूर करता है, अनीमिया और इस से होने वाली प्रॉब्लम से बचाता है 

पाचन शक्ति को बढ़ाता है और कब्ज़ नहीं होने देता 

शरीर की सभी इन्द्रियों को शक्ति देता है 

यह एक टॉनिक की तरह भी काम करता है शारीरिक कमज़ोरी को दूर कर स्वास्थ को बेहतर बनाता है 


सप्तामृत लौह कई सारी आयुर्वेदिक कम्पनियाँ बनाती हैं. अगर आप इसे बनाना चाहें तो घर पर बना सकते हैं इसके लिए आपको चाहिए होगा - 

हर्रे, बहेड़ा, आंवला, मुलेठी और लौह भस्म प्रत्येक 10 ग्राम 

लौह भस्म के अलावा सभी को कूट पिस कर बारीक कपड़छन चूर्ण बना ले और फिर सबसे लास्ट में लौह भस्म अच्छी तरह मिलाकर रख लें. बस सप्तामृत लौह तैयार है.

कुछ कंपनी इसका टेबलेट बनाती है तो कुछ पाउडर फॉर्म में ही बनाती हैं 


सप्तामृत लौह का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - 

500 मिलीग्राम या 1 से 2 टेबलेट तक दिन में दो बार खाना खाने के बाद सुबह शाम आधा चम्मच घी और एक चम्मच शहद में मिलाकर खाएं और ऊपर से दूध पी लें 

महात्रिफला घृत के साथ लिया जाये तो ज़्यादा फ़ायदा होता है. बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए. 

बेस्ट क्वालिटी का बना हुआ सप्तामृत लौह उचित मूल्य में ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर lakhaipur.in से - सप्तामृत लौह 100 ग्राम 

इसे घर बैठे ऑनलाइन ख़रीदें नीचे दिए लिंक से- 



तो दोस्तों, अगर आपमें से किसी को भी आँखों की प्रॉब्लम है तो सप्तामृत लौह का इस्तेमाल महात्रिफला घृत के साथ कीजिये और प्रॉब्लम दूर कीजिये 



28 सितंबर 2016

हिमालया Tentex Forte शीघ्रपतन, यौन दुर्बलता और यौन रोगों के लिए | himalya tentex forte ke fayde | himalya tentex forte benefits


पुरुषों की सेक्स दुर्बलता और यौन रोगों के लिए हिमालया हेल्थकेयर की दवा Tentex Forte 

टेनटेक्स फ़ोर्ट मर्दाना कमज़ोरी दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पोपुलर दवा है. यह जड़ी बूटी और प्राकृतिक तत्वों से बनी नॉन हार्मोनल सेक्स पॉवर बढ़ाने वाली दवा है. इसके इस्तेमाल से यौन दुर्बलता दूर होती है.

स्ट्रेस और टेंशन को कम करती है और सेक्स इच्छा बढ़ाने वाली टॉनिक की तरह काम करती है. इसके इस्तेमाल से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है.


Tentex Forte सेक्स प्रॉब्लम को दूर करने वाली जानी मानी जड़ी-बूटी और खनिज के मिश्रण से बनाया गया है. 

इसमें लता कस्तूरी, असगंध, वृद्धदारू, कौंच बीज, त्रिवंग भस्म, शिलाजीत, कुमकुम, कुचला, मकरध्वज, अकरकरा, बला, सेमल, मरिचा के चूर्ण में बला, शतावर, विदारी, नागवल्ली, असगंध, गोक्षुर, गुरीच, वृद्धदारू, खदिर और दशमूल की भावना देकर बनाया गया है 


Tentex Forte के इस्तेमाल से -

यौन इच्छा और प्रदर्शन में सुधार होता है 

सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है 

Erectile Dysfunction को ठीक करता है 

Sperm Count या शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाता है 

सेक्सुअल स्टैमिना को बढ़ाता है 

तनाव को कम करता है 

Low Libido को ठीक करता है 

प्रदर्शन की चिंता को दूर करता है 


Tentex Forte का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - 

2 - 2 टेबलेट सुबह शाम भोजन के बाद दूध से लेना चाहिए 
इसे 45 दिनों तक 2-2 गोली सुबह शाम लगातार लें, इसके बाद 1-1 गोली सुबह शाम ले सकते हैं अगर ज़रूरत पड़े तो. या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए


हाई BP, हार्ट की बीमारी, किडनी और लीवर के रोगी को इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए

हिमालया की एक दूसरी दवा Tentex Royal के नाम से आती है जो की कैप्सूल है. इसका इस्तेमाल Erectile Dysfunction के लिए किया जाता है

इसे 2 कैप्सूल दिन में एक बार सेक्सुअल इंटरकोर्स से पहले लेना चाहिए. इसे निचे दिए गए  लिंक से ऑनलाइन घर बैठे खरीद सकते हैं-




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27 सितंबर 2016

झंडू पंचारिष्ट के फ़ायदे | zandu pancharishta ke fayde | health benefits of zandu pancharishta


आज मैं बता रहा हूँ पेट के रोगों की बहुत ही फेमस दवा झंडू पंचारिष्ट के फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में 

पंचारिष्ट में असरदार जड़ी बूटियों का मिश्रण है, इसमें द्राक्षा, घृत कुमारी, दशमूल, असगंध, शतावर, त्रिफला, त्रिकटु, त्रिजात, अजमोद, धनियाँ, साठी, जीरा, लौंग जैसी पावरफुल दवाओं से बनाया गया है 
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पंचारिष्ट Digestive system को सही करता है, Digestion सही नहीं होने से होने वाली प्रॉब्लम जैसे एसिडिटी, गैस, सीने में जलन, खट्टी डकार आना, अपच, पेट फूलना, कब्ज़, दर्द, पेट में मरोड़ होना इत्यादि को दूर करता है
पंचारिष्ट के इस्तेमाल से पेट की समस्या स्थाई रूप से ठीक होती है 


पंचारिष्ट का डोज़ -

एक से दो चम्मच या 15 से 30 ML तक आधा कप पानी में मिलाकर खाना खाने के बाद दिन में दो बार लेना चाहिए 

पंचारिष्ट का इस्तेमाल लगातार एक से छह महीने तक किया जा सकता है. शूगर पेशेंट को इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए. पंचारिष्ट ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से - 





कांकायण वटी बिना ऑपरेशन पाइल्स को ठीक करने के लिए | Kankayan Vati to cure piles without operation


कांकायण वटी पाइल्स के लिए इस्तेमाल होने वाली प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है 

कांकायण वटी ख़ूनी और बादी दोनों तरह के बवासीर को ठीक करने में इस्तेमाल की जाती है. इसके इस्तेमाल से पाइल्स के मस्से सुख जाते हैं. पाचन शक्ति ठीक होती है और शरीर से मल का निष्कासन आसानी से होता है

इसके इस्तेमाल से कब्ज़ या Constipation की प्रॉब्लम दूर होती है जो की पाइल्स का मुख्य कारण होता है 

कांकायण वटी के इस्तेमाल से दर्द में राहत होता है, टॉयलेट आसानी से होता है और मलद्वार पर दबाव नहीं पड़ता 


इसके इस्तेमाल से पाइल्स की बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती

कांकायण वटी ब्लीडिंग को रोकती है, गुदा की सुजन और दर्द से राहत देती है 


कांकायण वटी का निर्माण बड़ी हर्रे की छाल, पीपल, काली मिर्च, सफ़ेद जीरा, पिपलामुल, चव्य, चित्रकमूल, सोंठ, शुद्ध भिलावा, जिमीकंद, जौक्षार और गुड़ के मिश्रण से होता है 

कांकायण वटी का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-

2 से 4 गोली तक 2 से 3 बार छाछ के साथ लेना चाहिए 

कांकायण वटी के साथ अगर 'अभयारिष्ट ' दो दो चम्मच दो बार भोजन के बाद एक कप पानी मिलाकर लिया जाये तो जल्दी फ़ायदा होता है


तो दोस्तों, ये थे कांकायण वटी के फ़ायदे बिना ऑपरेशन पाइल्स को ठीक करने के लिए

अगर किसी को पाइल्स की प्रॉब्लम है तो इसका इस्तेमाल करें और बीमारी को दूर करें. इसे घर बैठे ऑनलाइन ख़रीदें नीचे दिए लिंक से -  



नोट - कांकायण वटी दो तरह की होती है एक अर्श के लिए और दूसरी गुल्म के लिए, यहाँ कांकायण वटी अर्श के लिए बताई गयी है. 

त्रिफला गुग्गुल पाइल्स और फिश्चूला की औषधि 

पतंजलि अर्शकल्प वटी बवासीर की दवा 

24 सितंबर 2016

कौंच बीज के फ़ायदे, शीघ्रपतन और सेक्स रोगों में | Kaunch beej ke fayde jald discharge hone me | Benenfits of Kaunch beej


कौंच बीज को केवांच बीज के नाम से भी जाना जाता है आयुर्वेद मतानुसार कौंच बीज वीर्य बढ़ाने वाला, पुष्टिकारक, बलदायक, कफ़-पित्त नाशक और अत्यंत बाजीकारक मतलब वीर्य को देर तक रोकने वाला और टाइमिंग बढ़ाने वाला है.
कौंच बीज 

यह सेक्सुअल प्रॉब्लम के लिए बेहतरीन टॉनिक की तरह काम करता है और सेक्स पॉवर को बढ़ाता है, यह नेचुरल वियाग्रा की तरह काम करता है, पर वियाग्रा की तरह इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है, पूरी तरह सुरक्षित है 

कौंच बीज को इस्तेमाल से पहले शुद्ध किया जाता है, इसे शुद्ध करने का तरीका कुछ इस तरह है - 

कौंच बीज को दूध में उबाल ले, जब अच्छी तरह से उबाल जाये तो इसे धोकर इसका छिल्का हटा दें. इसके बाद सुखा कर कूट पिस कर पाउडर बना लें


अब जानते हैं इसका इस्तेमाल करने का तरीका-

कौंच बीज पाउडर को ऐसे भी ले सकते हैं. 5 ग्राम कौंच बीज पाउडर एक ग्लास मिश्री मिले हुवे दूध से सुबह शाम लेने से शीघ्रपतन, लिंग की कमज़ोरी, ढीलापन इत्यादि दूर होता है


कौंच बीज पाउडर, सफ़ेदमूसली पाउडर और असगंध पाउडर तीनों बराबर मात्रा में लेकर अच्छी मिक्स कर रख लें. इन तीनों को मिलाने से वियाग्रा से दस गुना ज्यादा पॉवरफुल हो जाता है यह मिश्रण

इसे एक-एक चम्मच सुबह शाम मिश्री मिले हलके गर्म दूध से लें और फिर चमत्कार देखें. 

इसके इस्तेमाल से हर तरह की सेक्स प्रॉब्लम दूर होती है और आप सेक्स ड्राइव का भरपूर मज़ा ले सकते हैं 


कौंच बीज का इस्तेमाल कौंच पाक जैसी शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि के आलावा दूसरी दवाओं में भी होता है. कौंच बीज की पूरी, पकवान और लड्डू वगैरा भी बनाये जाते हैं.




तो दोस्तों, ये हैं कौंच बीज के आसान से इस्तेमाल जिनसे आप सेक्स प्रॉब्लम को दूर कर जीवन का भरपूर आनंद ले सकते हैं. कौंच बीज चूर्ण ऑनलाइन खरीदें- 


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23 सितंबर 2016

कुमार्यासव जिगर और तिल्ली के रोगों की आयुर्वेदिक दवा | jigar aur tilli ke rogon ki ayurvedic dava 'Kumaryasav'


कुमार्यासव पेट के रोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आयुर्वेद की महान दवाओं में से एक है, इसे कुमारी आसव के नाम से भी जाना जाता है. कुमारी या घृतकुमारी  जिसे एलो वेरा भी कहते हैं इसका मुख्य घटक है. एलो वेरा को ग्वारपाठा भी कहते हैं. कुमार्यासव चार तरह का होता है कुमार्यासव नंबर - 1, नंबर- 2, नंबर- 3, नंबर- 4 

कुमार्यासव या कुमार्यासव नंबर - 1 का प्रयोग ही अधिक होता है 



कुमार्यासव लीवर, तिल्ली, और पाचन रोगों के लिए बेजोड़ दवा है. इसके इस्तेमाल से पाचन ठीक होता है, कब्ज़ दूर करता है, हिमोग्लोबिन के स्तर को सही करता है, भूख बढ़ाता है


लीवर का बढ़ जाना, जौंडिस या पीलिया, लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, तिल्ली का बढ़ जाना इत्यादि में फायदेमंद है

महिलाओं के प्रजनन विकार, बाँझपन में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 


खाँसी, खून की कमी, श्वसन रोग में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा दिल के रोग, मूत्र रोग, सुजन, बवासीर, पेट के कीड़े, पथरी, स्त्रियों के गर्भाशय रोग में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है.


कुमार्यासव का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - 

15 से 30 ML तक सुबह शाम आधा कप पानी मिलाकर खाना खाने के बाद लेना चाहिए. शुरू में कम मात्रा में लें और कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद इसकी मात्रा बढाई जा सकती है 


कुमार्यासव या कुमारी आसव नंबर - 1 कई सारी कम्पनियाँ बनाती हैं जिसे आप आयुर्वेदिक मेडिकल से ले सकते हैं. निचे दिए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं-


22 सितंबर 2016

हार्ट की कमज़ोरी दूर करने का घरेलु उपाय | home remedy to cure heart weakness


हार्ट की कमज़ोरी और हार्ट प्रॉब्लम को दूर करने का आसान सा घरेलु उपाय 

हृदय रोगों के लिए अर्जुन की छाल बेहद असरदार है और इसका प्रयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी होता है. दिल की कमज़ोरी और दिल के रोगों को दूर करने के लिए अर्जुन नामक पेड़ की छाल का प्रयोग किया जाता है. 


अर्जुन की छाल 

अर्जुन क्षीरपाक हार्ट की कमज़ोरी दूर करने के लिए 

10 ग्राम अर्जुन की सुखी छाल को लेकर कूट लें और फिर इसमें एक कप दूध और तीन कप पानी मिलाकर हल्की आंच पर उबालें. जब एक कप शेष रहे तो उतार कर छान लें और ठंडा होने पर ख़ाली पेट सुबह सुबह पी जाएँ 

इसी तरह से रोज़ इसका लगातार प्रयोग करने से हार्ट की कमज़ोरी दूर होकर हार्ट मज़बूत हो जाता है. हार्ट की दूसरी प्रॉब्लम भी दूर होती है. हार्ट के लिए इस से सस्ती और असरदार दवा कोई और दूसरी नहीं हो सकती. 


अगर आपको या आपके परिवार या मित्रों में किसी को भी हार्ट की समस्या है तो इसका इस्तेमाल ज़रूर करें. 

ह्रदय रोगान्तक कैप्सूल

21 सितंबर 2016

घोड़े जैसी कामशक्ति पाने का रामबाण नुस्खा | ghode jaisi power pane ka nuskha


लहसुन हमारे किचन में रोज़ इस्तेमाल होने वाला ऐसा पदार्थ है जो न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसके कई फ़ायदे भी हैं जो की हम सब जानते हैं.

अगर लहसुन को शहद के साथ मिलाकर खाया जाये तो इसके फ़ायदे कई गुना बढ़ जाते हैं

2-3 कली लहसुन को कूट कर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर अच्छी तरह पेस्ट बना कर रख लें. सुबह-सुबह इसे ख़ाली पेट कुछ दिनों तक लगातार खाएं और फिर इसका चमत्कार देखें.

इस तरह से लहसुन और शहद एक साथ मिलाकर खाने से यौन शक्ति बढ़ती है, लिंग में उत्तेजना आती है, लिंग टाइट होता है, शीघ्रपतन में फ़ायदा होता है. हर तरह के सेक्सुअल प्रॉब्लम में फ़ायदा होता है. 


सेक्सुअल स्टैमिना और सेक्सुअल प्लिज़र को बढ़ा देता है.

इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है जिस से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है 


बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, हार्ट को मज़बूत बनाता है और ब्लड प्रेशर को नार्मल करता है 

एंटी बायोटिक और एंटी Inflammatory गुणों के कारण गले की ख़राश और इन्फेक्शन को दूर करता है. सर्दी-जुकाम में राहत देता है


फंगल इन्फेक्शन से बचाता है और पाचन शक्ति को सुधारता है 
यह एक प्राकृतिक डीटॉक्‍स मिश्रण है, जिसे खाने से शरीर से गंदगी और दूषित पदार्थ बाहर निकलता है

तो ये हैं लहसुन और शहद एकसाथ खाने के फ़ायदे. अगर आपने अब तक इसे नहीं आज़माया है तो कुछ दिन इसका इस्तेमाल कर फ़ायदा देखिये 


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महिला रोग ल्यूकोरिया के लिए रामबाण आयुर्वेदिक फार्मूला | leucorrhea ki asardar dava


महिला रोग ल्यूकोरिया के लिए रामबाण आयुर्वेदिक फार्मूला 

ल्यूकोरिया, धात गिरना, सफ़ेद या लाल पानी आना महिलाओं की  एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को अन्दर से खोखला बना देती है, चेहरे की रौनक चली जाती है. शरीर गिरा गिरा सा रहता है. कमर दर्द, कमज़ोरी, बुखार वगैरह भी हो जाता है. 

ल्यूकोरिया के कारण क्या-क्या समस्या होती है इसे उन महिलाओं से बेहतर कौन जान सकता है जिनको ये बीमारी हुयी हो.

वैसे तो आयुर्वेद में इसकी कई शास्त्रीय औषधियां है जिसका प्रयोग चिकित्सकगण करते हैं पर यहाँ मैं आसान सा योग बता रहा हूँ जिसका इस्तेमाल कोई भी महिला कर सकती है 


ल्यूकोरिया कितना भी पुराना क्यों न हो, और चाहे किसी तरह का भी ल्यूकोरिया हो इसके इस्तेमाल से ठीक हो जाता है

ALL ROUNDER FOR ALL TYPE OF LEUCORRHEA 

इसे बनाने के लिए ये सारी जड़ी बूटी चाहिए-


सफ़ेद चन्दन, खस, धाय फूल, मिश्री, हाउबेर, इन्द्रजौ, रसौत, नीलकमल, जटामांसी, कमलकेशर, आम की गुठली, अनार के फूल, लोद पठानी, नागकेशर, जामुन की गुठली, मंजीठ, पाठा, अतीस, मोचरस, कूड़े की छाल, बेल गिरी और छोटी इलायची सभी 25-25 ग्राम लेकर कूट-पिस कर बारीक कपड़छन चूर्ण बना कर रख लें 


3 से 5 ग्राम तक की मात्रा में मधु में मिलाकर चाटकर ऊपर से चावल का धोवन पीना है. इसे सुबह शाम लें 

यह हर तरह के प्रदर या ल्यूकोरिया की रामबाण दवा है


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19 सितंबर 2016

किवी खाएं और पॉवर बढ़ाएं | Kiwi Fruit Ke Fayde | किवी के फ़ायदे | Benefits of Kiwi fruit


किवी  मूल रूप से Chinese फल है जो अपने गुणों के कारण बेजोड़ है. इसमें 27 से भी अधिक पोषक तत्व मौजूद हैं। यह फाइबर, विटामिन सी और विटामिन ई, एंटीऑक्सीडेंट्स और कई प्रकार के मिनिरल्स से भरपूर है।  एंटीएजिंग से लेकर डायबिटीज तक इसके इतने फायदे हैं जिन्हें जानने के बाद आप इसे अपनी डाइट में शामिल जरूर करना चाहेंगे।

 लंबे समय तक जवानी बनाये रखता है

किवी  के इस्तेमाल से मर्दाना ताक़त बढती है. इसके इस्तेमाल से स्ट्रेस और तनाव दूर होता है. Impotency और शीघ्रपतन में किवी  खाने से फ़ायदा होता है, तो रोज़ किवी  खाएं और पॉवर बढ़ाएं 

इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है 

 किवी  शरीर को फिट रखने में मदद करता है और कैंसर से बचाता है. इसमें विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स अच्छी मात्रा में होते हैं। ये त्वचा की कोशिकाओं को लंबे समय तक ठीक रखते हैं और रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं।


शरीर को तारो ताज़ा रखता है 

इसमें विटामिन सी सबसे अधिक मात्रा में होता है जो संतरे की अपेक्षा दोगुनी मात्रा में होता है। यह शरीर में आयरन को सोखने में मदद करता है। खासतौर पर अनीमिया के उपचार में इसका सेवन बहुत अधिक फायदेमंद है।

डायबिटीज रोगी के लिए फायदेमंद 

इसमें ग्लाइकेमिक इंडेक्स कम मात्रा में होता है जिससे रक्त में गलूकोज नहीं बढ़ता। इस वजह से यह डायबिटीज, दिल के रोग और वज़न कम करने में बहुत फायदेमंद है।

गर्भावस्था में फायदेमंद

गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। यह फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत है। गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क के विकास में इसके सेवन से बहुत फायदा मिल सकता है।


पाचन या हाज़मा ठीक करता है 

किवी में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है। खासतौर पर कब्ज की समस्या में इसका सेवन बेहद फायदेमंद है।

हड्डियों को मज़बूत बनाता है 

इसमें पोटैशियन भी पाया जाता है जो ओस्टियोपोरोसिस के रोगियों के लिए फायदेमंद है। यह हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।


रक्तचाप या ब्लड प्रेशर के लिए 

उच्च मात्रा में पोटैशियम होने की वजह से बढ़े हुवे सोडियम के प्रभाव को कम करता है जिस से BP कण्ट्रोल में रहता है 

मूड ठीक रखने के लिए 


किवी खाने से स्ट्रेस और तनाव दूर होता है जिसकी वजह से मूड ठीक रखने में मदद करता है

कुल मिलाकर देखा जाये तो किवी खाने के बहुत सारे फ़ायदे हैं, ऐसे ही नहीं पूरी दुनिया के लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. 

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हमदर्द की साफी के फ़ायदे और इस्तेमाल | Hamdard Safi ke fayde aur istemal | Benefits and use of hamdard safi


आज मैं बता रहा हूँ हमदर्द की साफी के फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में.

साफी नाम की यह दवा जड़ी-बूटियों से बनी यूनानी दवा है जो रक्त शोधक यानि खून को साफ़ करती है और शरीर के गन्दगी को बाहर निकाल देती है. 


आयुर्वेद के अनुसार त्वचा विकार खून में ख़राबी के कारण ही होते हैं और ख़राब खून को साफ़ करने में साफी का प्रयोग बहुत ही असरदार है

नीम, तुलसी, चिरायता इत्यादि 28 जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनी साफी रक्त विकारों को दूर करती है, लीवर, थाइराइड और शरीर के दुसरे अंगों को सही से काम करने में मदद करती है 

साफी के इस्तेमाल से त्वचा के कील, मुहांसे, फोड़े-फुंसी, चर्मरोग, एक्जीमा, दाग-धब्बे इत्यादि दूर होते हैं और त्वचा का रंग निखरता है


युवतियों को त्वचा का रंग निखारने के लिए इसका इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए 

त्वचा पर चकत्ते होना, पित्ती होना, दाद, खाज-खुजली, बच्चों को होने वाले फोड़े-फुंसी इत्यादि को दूर करने के लिए साफी का प्रयोग करना चाहिए


साफी का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका -

1 से 2 चम्मच तक आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार भोजन के बाद, बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए 

साफी के इस्तेमाल से त्वचा विकार जड़ से दूर हो जाते हैं. एक से छह महीने तक इसका इस्तेमाल लगातार किया जा सकता है, इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं


अगर आप या आपके परिवार में कोई भी कील, मुहांसों या त्वचा की प्रॉब्लम से परेशान हों तो इसका इस्तेमाल कीजिये और फ़ायदा लीजिये. घर बैठे ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए गए लिंक से -



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16 सितंबर 2016

फिटकरी के फ़ायदे और इस्तेमाल | Fitkari Ke Fayde Aur Istemal | Benefits And Use of Alum


जैसा की आप सभी जानते हैं फिटकरी एक खनिज पदार्थ है जो गुणों से भरपूर है. अपने गुणों के कारण ही इसका इसका इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. अंग्रेजी में इसे Potassium Aluminum Sulfate या Alum के नाम से जाना जाता है. 

सफ़ेद और लाल रंग की दो तरह की फिटकरी होती है. दोनों गुणों से भरपूर है पर सफ़ेद फिटकरी का इस्तेमाल ज्यादा होता है. 

आयुर्वेदिक दवाओं में भी फिटकरी का प्रयोग होता है, स्फटीक भस्म फिटकरी से ही बनी आयुर्वेदिक औषधि है. सफ़ेद फिटकरी को तवे में रख कर आंच देने से पहले तो यह पिघलती है और इसके बाद धीरे-धीरे सुख कर इसका फुला बन जाता है. इस फुले को बारीक़ पिस कर रख लें. यही फिटकरी का फुला या स्फटीक भस्म है 

फिटकरी में एंटी सेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, कटे-छिले पर  स्फटीक भस्म लगाने से इन्फेक्शन नहीं होता है 


तो आईये जानते हैं फिटकरी के कुछ आसान से घरेलु प्रयोग जिनसे बीमारियों में फ़ायदा लिया जा सकता है-

त्वचा में कहीं भी खरोंच लगने या कटने पर फिटकरी पाउडर लगाने या फिटकरी का ढेला रगड़ने पर खून बहना बंद हो जाता है. अक्सर दाढ़ी बनाने के बाद फिटकरी का इस्तेमाल किया जाता है 

फिटकरी का फुला या स्फटीक भस्म को घाव पर लगाने से फायदा होता है और घाव जल्द भर जाता है

उंगलियाँ अगर कट-छिल जाएँ या फ्रैक्चर हो जाये तो स्फटीक भस्म लगा कर बैंडेज कर दें, ज़ख्म भी दूर होगा और टूटी हड्डी भी जुड़ जाती है, अनुभूत है

शरीर के अन्दर कहीं से भी खून बहता हो तो स्फटीक भस्म आधा चम्मच तीन बार पानी के साथ लेने से रक्तस्राव बंद हो जाता है 

नकसीर, ख़ूनी बवासीर, रक्त प्रदर में स्फटीक भस्म के प्रयोग से बहुत फायदा होता है

फिटकरी पाउडर या स्फटीक भस्म को मंजन की तरह दांतों पर मलने से पायरिया, दांतों का दर्द, मुख दुर्गन्ध दूर होता है. फिटकरी को पानी में घोलकर कुल्ली करने से भी मुख दुर्गन्ध दूर होता है


25 ग्राम लाल फिटकरी के पाउडर को 250 ग्राम ताज़े दही के साथ सुबह ख़ाली पेट खाने से सिर्फ तीन दिनों में जौंडिस या पीलिया ठीक हो जाता है 

फिटकरी को नहाने के पानी में घोल कर प्रयोग करने से खुजली और शरीर से बदबू आना बंद होती है और ज़्यादा पसीना आना भी बंद होता है 

5 ग्राम फूली फिटकिरी या  स्फटीक भस्म  देशी घी में मिला दें, फिर उसे घाव पर लगायें। इससे घाव ठीक हो जाता है

त्वचा में खुजली वाली जगह को फिटकरी वाले पानी से धोकर उस जगह पर थोड़े से सरसों के तेल का लेप लगाकर उसके ऊपर थोड़ा सा कपूर का चूर्ण डाल लें, इस से खुजली में काफी फायदा होता है

1 ग्राम फिटकरी को 1 कप छाछ के साथ एक दिन में 3 बार पीने से गर्मी के कारण आने वाले खूनी दस्तों में लाभ मिलता है

स्फटीक भस्म 5 ग्राम और मिश्री पीसी हुयी 10 ग्राम मिलाकर खाने से अस्थमा में फायदा होता है 

स्फटीक भस्म 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उल्टी बंद हो जाती है

गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और इतनी ही मात्रा में नमक डालकर गरारा करने से टोंसिल में फ़ायदा होता है 

स्फटीक भस्म, हल्दी चूर्ण और त्रिफला चूर्ण तीनों बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सुबह शाम खाने से स्वप्नदोष ठीक होता है 


स्फटीक भस्म 1 ग्राम और नागकेशर चूर्ण 3 ग्राम दोनों मिलाकर सुबह शाम खाने से स्त्रियों के प्रदर रोग या ल्यूकोरिया में फ़ायदा होता है 

फिटकरी को पानी में घोलकर योनि को धोने से योनि सिकुड़ने लगती है और योनी का ढीलापन दूर हो जाता है 

फूली हुई फिटकरी के चूर्ण में 4 गुना पिसी हुई चीनी अच्छी तरह मिला लें। इसे 2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ 2-2 घंटे के अंतर पर 3 बार लें। इससे मलेरिया बुखार में लाभ होता है

बलगमी खांसी में स्फटीक भस्म को पीसी हुयी चीनी के साथ मिलाकर गर्म दूध के साथ लेने से फायदा होता है 

फिटकरी के घोल को चीनी की चाशनी में डालने से चाशनी का रंग साफ़ होता है 


फिटकरी का इस्तेमाल कुऐं के पानी को साफ़ करने के लिए भी किया जाता है 

तो दोस्तों, ये थे फिटकरी के कुछ आसान से घरेलु प्रयोग जिनका इस्तेमाल कर फ़ायदा लिया जा सकता है 

13 सितंबर 2016

कांचनार गुगुल के फ़ायदे थायराइड, ट्यूमर के लिए | Kanchnar Gugul Benefits For Thyroid and Tumor

आज मैं बता रहा हूँ आयुर्वेद की महत्वपूर्ण दवाओं में से एक कांचनार गुगुल के फ़ायदे,  इस्तेमाल और बनाने का तरीका के बारे में.

जैसा की इसके नाम से पता चलता है इसका मुख्य घटक कांचनार की छाल और शुद्ध गुगुल है.
कांचनार का पत्ता 

कांचनार गुगुल शरीर की ग्रंथियों में होने वाली असामान्य वृद्धि को दूर करने में बहुत ही प्रभावी है. शरीर में कहीं भी ग्लैंड या ट्यूमर हो, या दूसरी किसी भी ग्लैंड का साइज़ बढ़ जाये, थायराइड, शरीर में कहीं भी गिल्टी या ग्रंथि हो, लिम्फ नोड्स सुजन, साइनस, कैंसर, गर्भाशय में ट्यूमर होना इत्यादि में कांचनार गुगुल के इस्तेमाल से रोग दूर होता है.


इसे भी देखें - वीर्य दोष की आयुर्वेदिक औषधि चन्द्रप्रभा वटी 

कंठमाला, गण्डमाला, फाइलेरिया, अंडकोष वृद्धि, गर्दन के आस पास होने वाली ग्रंथियों की वृद्धि, प्रोस्टेट ग्लैंड वृद्धि जैसे रोगों के लिए असरदार दवा है.

पेट में कहीं भी गाँठ या ट्यूमर होना, नाक के अन्दर गाँठ होना, सिस्ट होना शरीर में कहीं भी, फिस्टुला, अल्सर और त्वचा रोगों में भी इसका इस्तेमाल होता है.

इसे भी देखें- योगराज गुगुल के फ़ायदे  

कांचनार गुगुल के इस्तेमाल से शरीर के विषाक्त बाहर निकल जाते हैं जिस से बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है.


थायराइड जैसी आज की कॉमन बीमारी में इसके इस्तेमाल से बहुत फ़ायदा होता है. इसके इस्तेमाल से यह थायराइड को नार्मल कर देता है.

कांचनार गुगुल की मात्रा और सेवन विधि-

2 से 4 गोली तक दिन में 3 बार कांचनार की छाल के काढ़े के साथ लेने से शीघ्र लाभ होता है. रोग और रोगी के अनुसार इसकी मात्रा कम या अधिक करनी चाहिए 

कांचनार गुगुल को कई सारी आयुर्वेदिक कंपनियां बनाती हैं और यह हर जगह आयुर्वेदिक मेडिकल में मिल जाता है.

इसे बनाने का तरीका कुछ इस तरह है- 

कांचनार की छाल 200 ग्राम, हर्रे, बहेड़ा और आंवला प्रत्येक 40 ग्राम, सोंठ, काली मिर्च, पीपल और वरुण की छाल प्रत्येक 20 ग्राम, छोटी इलायची, दालचीनी और तेजपात प्रत्येक 10 ग्राम 

सभी को कूट पीस कर कपड़छन चूर्ण बना लें और इसमें सभी के वज़न के बराबर मतलब 430 ग्राम शुद्ध गुगुल मिलाकर कूट कर घी या एरण्ड तेल की सहायता से 4-4 रत्ती या 500 मिलीग्राम के साइज़ की गोलियां बना कर सुखा कर रख लें. यही कांचनार गुगुल है. 

बेस्ट क्वालिटी का कांचनार गुग्गुल उचित मूल्य में ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर lakhaipur.in से - कांचनार गुग्गुल 100 ग्राम 

तो दोस्तों, ये थी कांचनार गुगुल की जानकारी जिसके इस्तेमाल से शरीर में बढ़ने वाले किसी भी ट्यूमर को ठीक कर देता है. ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से-

Kanchnar Guggul Buy Online



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12 सितंबर 2016

नज़ला जुकाम,सर्दी का शर्तिया घरेलु ईलाज | Home remedy for cold and flu | Nazla Zukam ka shartiya gharelu ilaj

आज मैं बता रहा हूँ नज़ला-ज़ुकाम दूर करने का असरदार घरेलु उपाय जिसके इस्तेमाल से सर्दी, नज़ला-जुकाम ठीक हो जाता है, चाहे यह नया हो या कितना भी पुराना.

नज़ला जुकाम नाशक योग 

सोंठ 10 ग्राम, शुद्ध धतुरा बीज, खुरासानी अजवाइन और बबूल गोंद 20-20 ग्राम 

    


सभी को कूट-छान कर बारीक चूर्ण बना कर रख लें, बस दवा तैयार है 

इसे भी देखें - अविपत्तिकर चूर्ण के फ़ायदे 

धतुरा बीज को शोधित करने के बाद ही प्रयोग किया जाता है, धतूरा बीज को शुद्ध करने के लिए इसे दूध में उबाल कर सुखा लेना चाहिए, दूध में उबलने के बाद धतुरा बीज शोधित हो जाता है. 


इस चूर्ण को एक से दो रत्ती मतलब 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम तक ताज़े पानी से सुबह शाम इस्तेमाल करें और फिर चमत्कार देखें.


पुराना से पुराना नज़ला कुछ दिनों में ठीक हो जाता है. नाक बहना, सर्दी इत्यादि को दूर कर देता है. बड़ा ही प्रभावी योग है. 


इस दवा को इस्तेमाल करते हुवे ठंडी और खट्टी चीजों से परहेज़ रखें, दही केला इत्यादि न खाएं. 

11 सितंबर 2016

पौरुष ग्रंथि वृद्धि या प्रोस्टेट ग्लैंड Enlargement को बिना ऑपरेशन ठीक करने का सफ़ल आयुर्वेदिक योग | Herbal treatment for prostate enlargement


आज मैं बता रहा हूँ पुरुषों के रोग पौरुष ग्रंथि वृद्धि या प्रोस्टेट ग्लैंड Enlargement को बिना ऑपरेशन ठीक करने का सफ़ल आयुर्वेदिक योग -

आयु बढ़ने के साथ ही पुरुषों में अक्सर यह समस्या हो जाती है. प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों में पाई जाने वाली अखरोट के साइज़ की ग्रंथि है जो मूत्राशय के निचे मूत्र मार्ग को कवर करती है. यह एक तरह से वाल्व की तरह काम करती है जो पेशाब करने और पेशाब रोकने के फंक्शन को कण्ट्रोल करता है. 

प्रोस्टेट ग्लैंड की सामान्य वृद्धि को अंग्रेज़ी में Benign Prostatic Hyperplasia या  BPH कहा जाता है. यह वृद्धि आगे चलकर प्रोस्टेट कैंसर का रूप ले सकती है.

प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि होने पर कुछ समस्या और लक्षण उप्तन्न होते हैं जैसे - पेशाब करने में दर्द होना, बार-बार पेशाब होना, एक बार में पूरी तरह खुल कर पेशाब नहीं होना, पेशाब बंद होना, बूंद-बूंद पेशाब होना, पेशाब रोक नहीं पाना, यूरिन इन्फेक्शन होना इत्यादि 


सोनोग्राफी से ही इसका सही निदान होता है और इसके साइज़ का सही पता चलता है. डॉक्टर लोग अक्सर इसमें ऑपरेशन की सलाह देते हैं. पर आप को बता दूं  कि बिना ऑपरेशन यह ठीक हो जाता है, इस आयुर्वेदिक योग से जो मैं  बताने जा रहा हूँ. 

प्रोस्टेट ग्लैंड वृद्धि को ठीक करने के लिए इन औषधियों का सेवन करें -

योग नंबर -1 

कांचनार गुगुल, गोक्षुरादी गुगुल और चन्द्रप्रभा वटी तीनों 1-1 गोली सुबह शाम गिलोय के रस या काढ़े के साथ लें 

योग नंबर - 2

वंग भस्म 10 ग्राम, गोदंती भस्म 20 ग्राम और शुद्ध नौसादर, उटंगन बिज का चूर्ण, शीतलचीनी चूर्ण प्रत्येक 50 ग्राम 

सभी को अच्छी तरह मिक्स कर 1-1 चम्मच (तीन ग्राम तक) भोजन के बाद सुबह शाम मधु या पानी के साथ लें 

बताया गया दोनों योग का साथ में इस्तेमाल करना है. योग नंबर 1 की औषधियां बनी बनायीं आयुर्वेदिक मेडिकल में मिल जाती है. 

इसे भी देखें - किडनी और मूत्राशय की पत्थरी का ईलाज 

अगर योग नंबर दो नहीं बना पा रहे हों तो इसके जगह पर 'बंगशील' और 'फोर्टेज' 2-2 टेबलेट सुबह शाम लेना चाहिए. अलार्सिन कंपनी की दवा है जो आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर में मिल जाएगी. 


इन औषधियों के प्रयोग से पहले हफ्ते से ही पेशाब की प्रॉब्लम में फ़ायदा दिखने लगता है और कुछ महीनों के लगातार इस्तेमाल से प्रोस्टेट ग्लैंड नार्मल हो जाता है और ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती. कई रोगियों पर प्रयोग कर सफ़ल पाया है. 


इसके प्रयोग अवधि में बीच-बीच में सोनोग्राफी से प्रोस्टेट ग्लैंड का साइज़ पता करते रहना चाहिए. 

दो दोस्तों ये था बिना ऑपरेशन प्रोस्टेट ग्लैंड वृद्धि को ठीक करने का सफ़ल आयुर्वेदिक योग. 

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