पेट में गैस बनना, बदहज़मी, खट्टी डकार आना, भूक न लगना जैसी प्रॉब्लम के लिए आप इसे अपने किचन में मौजूद सामग्री से बना सकते हैं. वैसे यह बनी बनाई मार्केट में मिल जाती है. और अगर आप चाहें तो इसे बना भी सकते हैं.
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जैसा कि इस औषधि का नाम है हिंगवास्टक मतलब हिंग के साथ आठ चीजें जो हर जगह आसानी से मिल जाती हैं.
इसके लिए आपको चाहिए होगा- सोंठ, काली मिर्च, पीपल, अजवाईन, सेंधा नमक, सफ़ेद जीरा और काला जीरा प्रत्येक 80 ग्राम और शुद्ध हिरा हिंग 10 ग्राम
हिंग के अलावा सभी को कूट पिस कर चूर्ण बना लें और सबसे लास्ट में हिंग हो पिस कर अच्छी तरह मिला कर रख लें. बस हिंगवास्टक चूर्ण तैयार है.
यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि सफ़ेद जीरा को हल्का भून लेना अच्छा रहता है. शुद्ध हिरा हिंग मतलब असली हिंग को गाय के घी में फ्राई करने से हिंग शुद्ध हो जाती है.
कुछ लोग हिंग को सभी चीजों के बराबर वज़न में मिलाते हैं पर वो ठीक नहीं. हमारा अनुभव है कि हिंग को एक चीज़ के आठवें हिस्से के बराबर ही मिलाना ठीक रहता है. हिंग की अधिक मात्रा होने से कुछ लोगों को प्रॉब्लम हो सकती है.
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अब जानते हैं इसका डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-
2 से 4 ग्राम तक 2 से 3 बार हलके गरम पानी से लेना चाहिए.
हिंगवास्टक चूर्ण के फ़ायदे-
इस चूर्ण की एक मात्रा खाने की पहले निवाले के साथ घी में मिलाकर लेने से भूख बढ़ती है और पाचन शक्ति ठीक होती है.
अजीर्ण, पेट फूलना, पेट में गैस भर जाना, पेट में दर्द, अपच या बदहज़मी होकर दस्त होना इत्यादि में बहुत फ़ायदा करता है. अगर शंख भस्म के साथ लिया जाये तो ज्यादा फ़ायदा होता है. भूख न लगने और गैस के लिए यह श्रेष्ठ योग है.
वात विकारों के भी यह फ़ायदा करता है. गठिया, आर्थराइटिस में भी उपयोगी है.
बच्चों को भी कम मात्रा में दिया जा सकता है. जिन लोगों को हिंग सूट नहीं करती उन्हें इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अल्सर, पेप्टिक अल्सर के रोगी को सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए.
कुल मिलाकर हिंगवास्टक चूर्ण गैस के लिए बहुत ही कारगर शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है जिसका इस्तेमाल आम आदमी आसानी से बना कर कर सकता है. ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए गए लिंक से -
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