गालस्टोन या पित्ताशय की पत्थरी आज कल बहुत कॉमन बीमारी हो गयी है. अगर आप अपने आस पास नज़र दौड़ाएं और दोस्तों रिश्तेदारों में पता करें तो किसी न किसी को ये बीमारी हुयी होगी.
गालस्टोन या पित्ताशय की पत्थरी पाचन तंत्र से सम्बन्धित बीमारी है. पित्त की थैली में धीरे-धीरे सॉलिड जम कर हार्ड हो जाते हैं और पत्थर का रूप ले लेते हैं. जब तक कोई तकलीफ़ नहीं होती तब तक इस बीमारी का पता नहीं चलता है.
उलटी, पेट में दर्द होने पर जब रोगी डॉक्टर के पास जाता है तब पता चलता है कि पित्त की थैली में पत्थरी है. यह एक साइलेंट रोग है, पित्त की थैली में पत्थरी पड़ी रहती है और पता नहीं चलता. जब पत्थरी पित्त की नली में फंस जाती है तो बहुत तेज़ दर्द होता है और उल्टी भी हो सकती है.
गालस्टोन मुख्यतः दो तरह की होती है. कोलेस्ट्रोल स्टोन और पिगमेंट स्टोन.
एक्स रे और अल्ट्रासाउंड से इसका निदान होता है. सब से सही जांच अल्ट्रा साउंड से ही होता है, क्योंकि इस से पत्थरी की संख्या और साइज़ का पता चलता है. तो आईये इसके कारण और लक्षण पर ज़्यादा चर्चा न कर जानते हैं इस से छूटकारा पाने के उपाय के बारे में.
किडनी और मूत्राशय की पत्थरी का ईलाज
अगर किसी को पित्त की पत्थरी का पता चला है इस आयुर्वेदिक घरेलू उपाय का ज़रूर अपनाना चाहिए.
छोटी साइज़ की मल्टीपल स्टोन तो दवाओं से आसानी निकल जाती है. बड़ी स्टोन में ज़्यादा टाइम लगता है. अगर स्टोन पित्त नली में फंस जाये तो बहुत अधिक दर्द होता है और ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ सकती है.
अलोपथिक डॉक्टर लोग ऑपरेशन से पत्थरी निकाल देते हैं. असल में वो सिर्फ पत्थरी ही नहीं बल्कि पूरा गाल ब्लैडर ही निकल देते हैं. गाल ब्लैडर निकलने पर आपको लाइफ टाइम के लिए पाचन सम्बन्धी समस्या भी हो सकती है. इस बात को न भूलें.
ऑपरेशन के अलावा दूसरी आधुनिक तकनीक है लिथोट्रिपसी, पर यह ज़्यादा महँगी होती है.
इन सब से पहले आयुर्वेदिक उपाय अपनाना चाहिए, ऑपरेशन वगैरह लास्ट आप्शन है. पित्त की पत्थरी साधारणतः इस से घुल का निकल जाती है. कुछ लोग और एलोपैथिक डॉक्टर भी नहीं मानते की गालस्टोन दवा से निकल सकती है. पर यह मेरा अनुभव है और सही दवा के इस्तेमाल से पत्थरी निकल जाती है. हाँ कुछ रोगियों की नहीं निकती तो उसके दुसरे विकल्प हैं ही.
तो आईये जानते हैं एप्पल जूस ट्रीटमेंट के बारे में -
इसके लिए आपको चाहिए होगा
सेब का जूस (हरे सेब का जूस ज़्यादा असरदार है )
ओलिव आयल
Epsom साल्ट
और निम्बू का रस
इन सब का इस्तेमाल कैसे करना है?
सबसे पहले तो पांच दिनों तक दिन में चार बार एक एक ग्लास सेब का जूस पीना है. सुबह नाश्ते में, दिन के खाने के बाद, रात के खाने के बाद और सोने से पहले भी एक ग्लास. सेब का ताज़ा जूस बनाकर पीना बेहतर है.
सेब का जूस पित्त की पत्थरी को नर्म और मुलायम करता है. इन पांच दिनों में आप सेब के जूस के साथ नार्मल खाना खाएं जैसा खाते हैं. पर इन दिनों मीठी चीजें या चीनी का इस्तेमाल न करें.
पांच दिनों के बाद छठे दिन एक छोटा चम्मच एप्सम साल्ट एक ग्लास हलके गर्म पानी से लीजिये शाम छह बहे और रात का खाना न खाएं. रात को सोते टाइम भी एक छोटा चम्मच इसे ले लीजिये.
यहाँ आपको बता दूं की एप्सम साल्ट दस्तावर दवा है, जिस से आपको लूज़ मोशन होगा. यह पित्त की नली को खोलता है और पित्त की थैली में जमे सॉलिड को बाहर निकालता है. अपनी क्षमता के अनुसार इसकी मात्र कम या ज़्यादा कर सकते हैं.
उसी रात दस बजे आधा ग्लास ओलिव आयल लगभग सौ मिलीलीटर में आधा गिलास निम्बू का जूस मिलकर पी जाएँ.
ओलिव आयल गालस्टोन को चिकनाई देता है और निकलने में मदद करता है और निम्बू का जूस गाल ब्लैडर की सफाई करने में मदद करता है.
कुछ घंटों बाद या सुबह तक आपको लूज़ मोशन यानी पतले दस्त होंगे. दो - चार दस्त होने पर यह ख़ुद रुक जाता है, घबराने की कोई बात नहीं होती. पित्त की पत्थरी दस्त के साथ निकल जाती है. हरे रंग का दस्त आप देख सकते हैं.
छोटी-छोटी पथरियां या Multiple stones तो एक बार के प्रयोग में ही निकल जाती हैं. बड़े साइज़ की पत्थरी हो तो यही प्रोसेस कुछ दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए.
ये उपाय आप डॉक्टर की देख रेख में करें. चाहें तो दिन में भी कर सकते हैं.
एप्सम साल्ट को मैग्नीशियम सलफेट भी कहते हैं. मेडिकल स्टोर पर यह मैग सल्फ़ के नाम से हमारे देश में हर जगह मिल जाता है.
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