आज मैं आपको बताऊंगा पाइल्स या बवासीर ठीक करने के घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक फार्मूले और शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में.
पाइल्स या बवासीर की समस्या हर उस व्यक्ति को हो सकती है जिनको कब्ज़ या Constipation की समस्या हो. कब्ज़ का दूसरा नाम ही बवासीर है. जब कब्ज़ होगा तो ही बवासीर होगा. कब्ज़ नहीं तो बवासीर नहीं.
कब्ज़ की समस्या कई बिमारियों का कारण होती है इसलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए ऐसा भोजन और आहार-विहार करना चाहिए जिस से कब्ज़ न हो.
दो प्रकार के बवासीर तो आप सभी जानते हैं ही, एक ख़ूनी और दूसरा बादी. ख़ूनी बवासीर में शौच के समय ब्लीडिंग होती है और बादी में मस्से की वजह से दर्द और मल त्याग में समस्या होती है.
यहाँ पर एक महत्वपूर्ण बात बताना चाहूँगा कि ऑपरेशन को लोग बवासीर का ईलाज मानते हैं और आज के अलोपथिक डॉक्टर लोग भी तुरंत ऑपरेशन कर देते हैं.
यक़ीन मानिये ऑपरेशन तो इसका परमानेंट समाधान है ही नहीं. मैंने अपने चिकित्सकिय जीवन में ऐसे कई मरीज़ देखे हैं जो 2-2 बार ऑपरेशन कराने के बाद भी ईलाज के लिए आते हैं क्योंकि बवासीर उन्हें दुबारा हो जाता है.
इसलिए बवासीर के लिए ऑपरेशन तो कराना ही नहीं चाहिए. एक दम विकट परिस्थिति में जब कोई दूसरा विकल्प न हो तब ही ऑपरेशन कराएँ.
कब्ज़ की आयुर्वेदिक दवा "पंचसकार चूर्ण"
आईये सबसे पहले जानते हैं कुछ घरेलू उपाय के बारे में जिनका इस्तेमाल कर बवासीर से छूटकारा पाया जा सकता है. ये सारे प्रयोग अनुभूत हैं जो आज आप जानेंगे. कोई सुनी सुनाई बात नहीं है. क्योंकि जो जानकारी हम यहाँ प्रस्तुत करते हैं इसे हमारे यहाँ रोगियों पर सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा चूका होता है.
महानिम्ब छाल का प्रयोग -
50 ग्राम महानिम्ब की छाल को जौकुट कर लें मतलब मोटा कूट लें और एक ग्लास पानी में डाल कर रात भर पड़ा रहने दें. सुबह इसे मसलकर छान लें और ख़ाली पेट पी जाएँ. इसके इस्तेमाल से सिर्फ 3 दिनों में ख़ूनी बवासीर ठीक हो जाता है. और कुछ दिनों के लगातार इस्तेमाल से बादी बवासीर में भी फ़ायदा होता है.
महानिम्ब एक जंगली वृक्ष है जो की गाँव देहात में भी पाया जाता है जिसके पत्ते निम के पत्ते जैसे ही होते हैं पर साइज़ में बड़े होते हैं. अगर आपके आस पास यह मिले तो इसकी छाल निकाल सकते हैं. इसकी सुखी छाल जड़ी बूटी बेचने वाले के यहाँ मिल सकती है.
नारियल जटा भस्म का प्रयोग -
ख़ूनी बवासीर के लिए नारियल जटा भस्म भी कारगर दवा है. इसे एक छोटा चम्मच एक ग्लास ताज़े छाछ में घोलकर पीना चाहिए. नारियल जटा की भस्म बनाने के लिए सूखे नारियल का उपरी भाग जो रेशेदार होता है और जिसकी रस्सी भी बनती है. उसे लेकर जलाकर राख कर लें और फिर पिस कर रख लीजिये. यही नारियल जटा भस्म है.
बड़ी हर्रे चूर्ण का प्रयोग -
बड़ी हर्रे का चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह शाम गुनगुने पानी से लेने से दोनों तरह की बवासीर में फ़ायदा होता है, खासकर बादी बवासीर में. कब्ज़ को दूर कर यह बवासीर के मूल कारण हो मिटाता है.
इसके लिए बड़ी हर्रे को तोड़कर इसका छिल्का निकाल लें, इस की जो गुठली होती है इसे अलग कर दें, गुठली का इस्तेमाल नहीं करते.
इस हर्रे की छाल को एरंड तेल में हल्का भून लेने के बाद चूर्ण बना कर रख लें और इस्तेमाल करें. एरंड तेल को कास्टर आयल के नाम से भी जाना जाता है.
सफगोल भूसी का प्रयोग-
दो चम्मच सफगोल भूसी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलकर रोज़ रात को सोते समय हलके गुनगुने पानी से लेने से दोनों तरह की बवासीर में फ़ायदा होता है और इसका मूल कारण कब्ज़ दूर हो जाता है.
बवासीर के लिए शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों में अभयारिष्ट, कंकायण वटी, त्रिफला चूर्ण, त्रिफला गुग्गुलु, अर्श कुठार रस इत्यादि प्रमुख हैं जिनका इस्तेमाल चिकित्सकगण सफलता पूर्वक करते हैं.
बवासीर होने पर कुछ परहेज़ भी बहुत आवश्यक है -
तली हुयी चीजें, मैदे की बनी चीजें, मिर्च, और आचार खटाई का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहिए. नॉन वेज का इस्तेमाल न करना बेहतर है.
फाइबर वाले फल, सब्ज़ी और अनाज का सेवन करें और छाछ का इस्तेमाल करें. रोज़ रात को सोते समय 1-2 अंजीर चबा चबा कर खाएं.
बवासीर से बचने के लिए ऐसा भोजन करें जिस से कब्ज़ न हो, कब्ज़ नहीं होगा तो बवासीर कभी नहीं हो सकता.
फाइबर या रेशेदार चीज़ों को अपने नियमित भोजन का हिस्सा बना लें जैसे चोकर मिला हुवा आटा, पालक साग, दुसरे साग सब्जी, गाजर-मुली, संतरा इत्यादि.
तो दोस्तों, आज आप ने जाना बवासीर के ईलाज के बारे में और इस से बचने के घरेलू उपाय के बारे में.
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