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03 जून 2015

शायरी

जो लोग एक तरफा प्यार करते है अपनी ज़िन्दगी को खुद बर्बाद करते है !

नहीं मिलता बिना नसीब के कुछ भी, फिर भी लोग खुद पर अत्याचार करते है !! 





हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब की तरह मिला करो
भटके हुएँ मुसाफिर को चांदनी रात की तरह मिला करो !
बर्बाद होगा ये गरीब दोनों पहलूँ में
मेरे कच्चे घर पर तुम बरसात की तरह मिला करो !
हलक-हलक जिक्र आएं हर सांस में तेरा
एक दफा तुम मुझको उस मुलाकात की तरह मिला करो !
वक्त-बे-वक्त आ जाएँ राज भले ही सताने मुझको
तुम हिचकियों के सिलसिलों में याद की तरह मिला करो !
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब की तरह मिला करो
भटके हुएँ मुसाफिर को चांदनी रात की तरह मिला करो !



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