हरीतकी का सेवन कर निरोग रहना चाहते हैं और लम्बी आयु चाहते हैं तो आज की जानकारी आपके लिए है.
हरीतकी क्या है और किस तरह से इसका सेवन करना चाहिए? आईये सबकुछ विस्तार से जानते हैं –
अगर आपको पता नहीं है कि हरीतकी क्या है तो आपको बता दूँ कि हरीतकी को हर्रे, बड़ी हर्रे जैसे नामों से जाना है जो आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला का एक घटक होता है. फोटो देखकर आप समझ सकते हैं.
हरीतकी रसायन गुणों से भरपूर होती है, आचार्यों ने इसकी बड़ी प्रशंसा की है. अगर विधिपूर्वक सिर्फ़ इसका सेवन किया जाये सभी रोग दूर होकर शतायु की प्राप्ति होती है.
हरीतकी को रसायन के रूप में सेवन कैसे करें?
इसका मैक्सिमम बेनिफिट लेने के लिए आप सालों साल इसका प्रयोग कर सकते हैं. रोगमुक्त दिर्घ जीवन के लिए इसका रेगुलर प्रयोग करना ही चाहिए.
सबसे पहले तो अच्छी पकी हुयी पीले रंग की हरीतकी या हर्रे को तोड़कर इसकी गुठली को हटाकर इसका बारीक चूर्ण बनाकर रख लें.
हरीतकी सेवन विधि
आचार्य भावमिश्र ने सालों भर हरीतकी सेवन की विधि ‘ऋतू हरीतकी’ इस तरह से बतायी है –
व्यस्क व्यक्ति को तीन से चार ग्राम तक हरीतकी चूर्ण का सेवन करना चाहिए. तो आईये अब जानते हैं कि किस मौसम में इसे किस तरह सेवन करना चाहिएय –
1) वर्षा ऋतू (श्रावण, भाद्रपद) में – चार ग्राम हरीतकी चूर्ण में एक ग्राम सेंधा नमक मिलाकर
2) शरद ऋतू(आश्विन-कार्तिक) में – चार ग्राम हरीतकी चूर्ण में चार ग्राम मिश्री मिलाकर
3) हेमन्त ऋतू(मार्ग.- पौष) में – चार ग्राम हरीतकी चूर्ण के साथ एक ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर
4) शिशिर ऋतू(माघ-फाल्गुन) में – चार ग्राम हरीतकी चूर्ण में अध ग्राम पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करें
5) वसन्त ऋतू(चैत्र-बैशाख) में – चार ग्राम हरीतकी में 5 ग्राम शहद मिलाकर
6) ग्रीष्म ऋतू(ज्येष्ठ-असाढ़) में – चार ग्राम हरीतकी चूर्ण में 5 ग्राम गुड़ मिलाकर सेवन करना चाहिए
तो इस तरह से सालों भर ‘ऋतू हरीतकी’ के सेवन से एक साल में सभी रोग नष्ट होते हैं और निरंतर सेवन से स्वास्थ स्थिर रहता है, रसायन गुणों की प्राप्ति होती है और शतायु की प्राप्ति होती है यानी 100 साल तक निरोगी जीवन मिलता है.
अगर आप भी स्वस्थ और लम्बा जीवन चाहते हैं तो इसका सेवन कीजिये और आयुर्वेद का चमत्कार प्रत्यक्ष अनुभव कीजिये.