वृहत् वात चिंतामणि रस लकवा, धनुर्वात, पक्षाघात की आयुर्वेदिक दवा | Vrihat Vatchintamani Ras Review – Vaidya Lakhaipuri

आज आप जानेंगे वात रोगों की महान शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा वृहत् वात चिंतामणि रस के फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में

जी हाँ, वृहत् वात चिंतामणि रस एक स्वर्णयुक्त औषधि है जिसके इस्तेमाल से हर तरह के वात रोग दूर होते हैं, यह लकवा, पक्षाघात या पारालायसीस, धनुर्वात, Arthritis, फेसिअल पारालायसीस, एपिलेप्सी, माईग्रेन, हृदयरोग जैसे कई रोगों दूर करती है

यह वात रोगों के लिए जानी-मानी वन ऑफ़ बेस्ट मेडिसिन है, जिसे आयुर्वेदिक डॉक्टर सफ़लतापूर्वक इस्तेमाल करते हैं

आईये सबसे पहले जान लेते हैं इसके घटक द्रव्य और निर्माण विधि के बारे में – 
इसमें स्वर्ण भस्म 1 ग्राम, चाँदी भस्म, 2 ग्राम, अभ्रक भस्म 2 ग्राम, मोती भस्म और प्रवाल भस्म प्रत्येक 3 ग्राम, लौह भस्म 5 ग्राम और रस सिन्दूर 7 ग्राम मिलाया जाता है 
बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले रस सिन्दूर को खरलकर बारीक बना लें और उसके बाद दुसरे भस्मों को अच्छी तरह से मिक्स कर ग्वारपाठे के रस में एक दिन घुटाई कर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रखा जाता है 
वृहत् वात चिंतामणि रस का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-
1 गोली दिन में 2 से 3 बार तक शहद में मिलाकर या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए. इसे दशमूल क्वाथ, रस्नादी क्वाथ या रोगानुसार अनुपान से लिया जा सकता है



अब जानते हैं वृहत् वात चिंतामणि रस के फ़ायदे- 
वृहत् वात चिंतामणि रस के गुण की बात करें तो यह त्रिदोष नाशक है, वात और पित्त को बैलेंस करता है 
वात रोगों के लिए यह बेस्ट दवा है, वात प्रकोप वाली बीमारियों और पित्त प्रधान वातविकार के लिए इस से अच्छी दूसरी कोई दवा नहीं. नया लकवा या पारालाइसिस का अटैक कैसा भी हो, इसके इस्तेमाल से ठीक हो जाता है, पुरानी बीमारी में भी यह फायदेमंद है, धनुर्वात, अर्दित, पक्षाघात जैसे हर तरह के वात विकार दूर होते हैं 
ब्रेन और नर्वस सिस्टम को शक्ति देता है, जिस से नींद न आना, हिस्टीरिया और ब्रेन डैमेज होने की वजह से अगर बॉडी का कोई पार्ट काम नहीं करता है तो उसमें भी फ़ायदा होता है 
खून की कमी होने, वात नाड़ियों की कमज़ोरी होने से चक्कर आना, मानसिक संतुलन ख़राब हो जाना, यादाश्त कमज़ोर हो जाना, बक-बक करना जैसे लक्षण होने पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए 
हार्ट की हर तरह की प्रॉब्लम में इसे अर्जुन की छाल का चूर्ण या अर्जुनारिष्ट के साथ देना चाहिए 
महिलाओं की डिलीवरी के बाद होने वाली कमजोरी और हर तरह के रोगों के लिए यह एक अच्छी दवा है 



दिमागी काम करने वाले लोगों को अगर मानसिक समस्या या भूलने की आदत हो गयी हो तो इसके इस्तेमाल से बहुत फ़ायदा होता है, इसे सारस्वतारिष्ट या अश्वगंधारिष्ट के साथ लेना चाहिए 
कुल मिलाकर देखा जाये तो वृहत् वात चिंतामणि रस वात रोगों के अलावा कई दुसरे रोंगों को भी जड़ से उखाड़कर फेंकने की बेहतरीन दवा है 
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