वातेभ केशरी रस | Vatebh Keshri Ras

vateb keshri ras

आज मैं जिस आयुर्वेदिक औषधि की जानकारी देने वाला हूँ उसका नाम है- वातेभ केशरी रस 

जी हाँ दोस्तों इसका नाम आपने शायेद ही पहले सुना हो. इसलिए मैं आपके लिए आयुर्वेद की गुप्त औषधियों की जानकारी लेकर आते रहता हूँ. 

आपका ज़्यादा समय न लेते हुए आईये जानते हैं वातेभ केशरी रस गुण-उपयोग, फ़ायदे, इसका कम्पोजीशन और निर्माण विधि के बारे में सबकुछ विस्तार से – 

वातेभ केशरी रस का घटक या कम्पोजीशन 

इसे बनाने के आपको चाहिए होगा शुद्ध बच्छनाग, शुद्ध सोमल, काली मिर्च, लौंग, जायफल, छुहारे की गुठली और करीर की कोंपलें प्रत्येक 10-10 ग्राम, अहिफेन और मिश्री प्रत्येक 20-20 ग्राम. 

वातेभ केशरी रस निर्माण विधि 

बनाने का तरीका यह है कि सभी चीज़ों का बारीक कपड़छन कर बरगद के दूध में मर्दन कर सरसों के बराबर की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. बस यही वातेभ केशरी रस है. यह एक गुप्त-सिद्ध योग है, कहीं भी किसी कंपनी का बना हुआ नहीं मिलता है. पुराने वैद्यगण इसका निर्माण कर यश अर्जित करते थे. 

वातेभ केशरी रस की मात्रा और सेवन विधि 

एक से तीन गोली तक रोज़ दो से तीन बार तक रोगानुसार उचित अनुपान के साथ देना चाहिए.

वातेभ केशरी रस फ़ायदे 

यह वात और कफ़ दोष से उत्पन्न अनेकों रोगों को दूर करने में बेजोड़ है. 

न्युमोनिया में इसे मिश्री के साथ देने से न्युमोनिया दूर होता है.

खाँसी और अस्थमा में इसे शहद के साथ लेना चाहिए.

मरन्नासन रोगी को इसे अकरकरा और सफ़ेद कत्था के साथ देने से रोगी की जान बच जाती है.

हिचकी रोग में मूली के बीज के क्वाथ के साथ देना चाहिए.

दस्त या लूज़ मोशन में जीरा के चूर्ण के साथ सेवन करना चाहिए.

रक्त प्रदर में शहद या घी के साथ सेवन करने से समस्या दूर होती है.

नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसे रोगों में मलाई के साथ सेवन करें.

सुज़ाक में गुलकन्द के साथ और 

पॉवर-स्टैमिना बढ़ाने के लिए इसे जायफल के साथ सेवन करना चाहिए. 

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