यष्टिमधु या मुलेठी के फ़ायदे | Yashtimadhu Benefit & Use in Hindi



यष्टिमधु को मुलेठी, मूलहटी और जेठीमध जैसे नामों से भी जाना जाता है. यह हाइपरएसिडिटी, अल्सर, कमज़ोरी, जोड़ों का दर्द और खाँसी जैसी बीमारियों में असरदार है. यौनशक्ति वर्धक दवाओं में भी इसे यूज़ किया जाता है. तो आईये जानते हैं यष्टिमधु के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


यष्टिमधु एक तरह के लता वाले पौधे की जड़ होती है. इसे आम बोलचाल में ‘करजनी’ भी कहते हैं. जबकि अंग्रेजी में इसे Liquorice कहते हैं. यह दो तरह की होती है सफ़ेद और लाल.  इसके बीज बड़े ही सुन्दर होते हैं. वैसे इनके बीजों का भी कुछ इस्तेमाल है पर आज यहाँ उसकी बात नहीं करेंगे. बल्कि जानेंगे इसके जड़ यानि यष्टिमधु के फ़ायदे के बारे में. 


इसकी जड़ ऊपर से मटमैले रंग की होती है और अन्दर हल्का पीले रंग की. इसकी जड़ रेशेदार होती है, जिसे कूटकर पाउडर बनाना उतना आसान नहीं होता है. यह स्वाद में मीठी होती है इसीलिए इसे यष्टिमधु भी कहा जाता है.


यष्टिमधु के गुण –


आयुर्वेदानुसार यह पित्त और वात दोष नाशक है. बॉडी के मेन organs पर इसका असर होता है. इसमें Antacid, एंटी इंफ्लेमेटरी, Anti-tussive, Anti-stress, Anti-asthmatic, Anti-oxidant जैसे कई तरह के गुण पाए  जाते हैं. यह यौनशक्ति बढ़ाने में भी मदद करता है. 


यष्टिमधु के फ़ायदे- 


वैसे तो यष्टिमधु बहुत सारी बीमारियों में फ़ायदेमंद है पर यहाँ हम जानेंगे इसके मेन फ़ायदों के बारे में. 


स्वसन  तंत्र की बीमारियों के लिए – 


खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, टोंसिल, गले की सुजन, गले की ख़राश, सुरसुरी होना जैसी प्रॉब्लम में असरदार है. 


हार्ट के लिए –


यष्टिमधु कोलेस्ट्रॉल को कम करती है और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करती है.


पाचन तंत्र के लिए- 


पाचन तंत्र या Digestive सिस्टम के रोगों में यह सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाती है. एसिडिटी, सीने की जलन, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, कब्ज़, माउथ अल्सर और हेपेटाइटिस जैसे पेट के कई तरह के रोगों में फ़ायदेमंद है. 


दिमाग या ब्रेन के लिए –


यह चिंता, तनाव, डिप्रेशन और यादाश्त की कमज़ोरी को दूर करने में मदद करती है.


त्वचा रोगों या Skin Disease के लिए –


यह एलर्जी, एक्जिमा, सोरायसिस और गंजापन जैसी प्रॉब्लम भी भी फ़ायदा करती है.


बोन और मसल्स हेल्थ के लिए –


यह जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस, मसल्स के दर्द में भी दूसरी दवाओं के साथ फ़ायदा करती है. 


यौनशक्तिवर्धक- 


आयुर्वेद की अधिकतर यौनशक्तिवर्धक दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है ताक़त देकर पॉवर और स्टैमिना बढ़ाने वाले गुणों के कारन. यह कमज़ोरी और थकान को दूर करने में मदद करती है. 


यष्टिमधु की मात्रा और सेवन विधि –


इसे अधिकतर दूसरी दवाओं के साथ मिक्स कर ही यूज़ किया जाता है. वैसे अगर इसे अकेला यूज़ करना हो तो एक से तीन ग्राम तक सुबह शाम पानी से ले सकते हैं. 
हिमालया यष्टिमधु एक टेबलेट सुबह शाम ले सकते हैं. जो की लेने भी आसान होता है. सर्दी-खाँसी और गले की ख़राश में इसकी जड़ के छोटे टुकड़े को मुँह में रखकर चूस भी सकते हैं. पतंजलि यष्टिमधु पाउडर भी यूज़ कर सकते हैं. 


यष्टिमधु के नुकसान – 


वैसे तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता परन्तु हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी की बीमारी और  प्रेगनेंसी में नहीं लेना चाहिए. खून में पोटैशियम की कमी होने और hypertensive दवाओं को लेते हुवे इसका इस्तेमाल न करें.


यष्टिमधु पंसारी की दुकान से मिल जाती है. हिमालया यष्टिमधु निचे दिए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं- 


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