पुंसवन कर्म- मनचाही संतान बेटा या बेटी कैसे प्राप्त करें? जानिए महर्षि सुश्रुत ने क्या कहा था?



मनचाही संतान लड़का या लड़की पाने के लिए आचार्य सुश्रुत के बताये पुंसवन कर्म के बारे में आज के इस विडियो में बताने वाला हूँ. तो आईये जानते हैं पुंसवन कर्म की पूरी डिटेल – 


आज का मॉडर्न साइंस भले ही यह नहीं मानता हो पर यह सच है और हज़ारों बार यह साबित भी हो चूका है कि कुछ उपाय करने से आप मनचाही संतान पा सकते हैं. जिन लोगों को आयुर्वेद और आयुर्वेदिक प्रोसेस में भरोसा है वो लोग इसे ट्राई कर सकते हैं.


आचार्य सुश्रुत ने सदियों पहले पुंसवन के लिए जो कर्म बताया था वो कुछ इस तरह से है – 


सुश्रुत के अनुसार पुष्य नक्षत्र में लक्ष्मणा, बटशुंगा, सहदेवी और विश्वदेवी में से कोई जड़ी का पूरा पौधा लेकर गाय के दूध के साथ पीसकर चटनी की तरह बना लें और फिर इसे कपड़े के एक टुकड़े में डालकर निचोड़कर रस निकाल लें. 


अब इस रस को एक ड्रॉपर से स्त्री को नाक में डालना है दो-तीन बूंद तक. नाक के दायें छेद में डालने से लड़का और बाएँ छेद में डालने से लड़की का जन्म होता है. 



लेटकर ही नाक में इसका रस डालना चाहिए और अगर रस गले में आ जाये तो पी लेना चाहिए, थूकना नहीं है. ध्यान रहे इसे पुष्य नक्षत्र में ही करना है और प्रेगनेंसी का पता लगते ही जितना जल्दी हो करना चाहिए. 


सुश्रुत के मुताबिक़ पहली प्रेगनेंसी में ही इसका प्रयोग करने से सफ़लता मिलती है. 


एक दूसरा प्रयोग- 


सोना या चाँदी की एक पुरुषाकृति या पुतला बनवा लें. अब इसे आग में लाल होने तक तपायें और फिर इसे दूध या पानी में बुझाकर उस दूध या पानी को पीने से पुत्र प्राप्त होता है. इस काम को भी पुष्य नक्षत्र में करना चाहिए. 


पुष्य नक्षत्र कब होता है इसकी सही जानकारी स्थानीय पंडित जी या ज्योतिष से ले सकते हैं. 

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