त्रिवंग भस्म के फ़ायदे और नुकसान | Trivang Bhasma Benefits, Usage & Side Effects



जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह तीन तरह की औषधियों के मिश्रण से बनने वाली दवा है. इसके इस्तेमाल से पुरुषों के वीर्य विकार, स्वप्नदोष, नपुंसकता, मधुमेह, यूरिनरी सिस्टम के रोग और महिलाओं के गर्भाशय रोग दूर होते हैं. 


कमज़ोरी और शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं त्रिवंग भस्म का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल-


त्रिवंग यानी तीन तरह के वंग का मिश्रण है यह औषधि. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें वंग यानि Tin, नाग यानी Lead और यशद यानी जस्ता या ज़िंक के मिश्रण से बनाया जाता है. 


त्रिवंग भस्म बनाने का तरीका यह होता है कि शुद्ध वंग, शुद्ध नाग और शुद्ध यशद तीनो को बराबर वज़न में लेकर मिक्स कर घृतकुमारी के रस और हल्दी की भावना देकर तेज़ आँच में भस्म बनाया जाता है. छह-सात भावना और छह-साथ लघुपुट देने पर पीले रंग भी भस्म तैयार होती है. 


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त्रिवंग भस्म के गुणों की बात करें तो यह रसायन, शक्ति वर्धक और जनरल टॉनिक, यूरिनरी सिस्टम पर असर करने वाली, यौनेक्षा बढ़ाने वाली औषधि है 





त्रिवंग भस्म के फ़ायदे – 


त्रिवंग भस्म मूत्राशय, यूरिनरी सिस्टम, Reproductive System और गर्भाशय पर असर करती है, इसलिए पेशाब के रोग, वीर्य विकार जैसे धात गिरना, अनजाने में वीर्य निकल जाना, स्वप्नदोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, शुक्राणुओं की कमी, नपुंसकता जैसे रोगों को दूर करती है. मधुमेह और हर तरह के प्रमेह में फ़ायदेमंद है.


गर्भाशय पर इफ़ेक्ट होने से महिलाओं के रोग जैसे गर्भाशय की कमजोरी, मिसकैरेज होना, सफ़ेद पानी या ल्युकोरिया, इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम या एग Produce नहीं होने जैसी प्रॉब्लम को दूर करता है. 


त्रिवंग भस्म हड्डियों और मसल्स हो ताकत देकर कमज़ोरी को दूर करता है. त्रिवंग भस्म को अलग-अलग रोगों में उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए, तो आईये जानते हैं 





त्रिवंग भस्म की मात्रा और सेवन विधि – 


60 mg से 250 mg तक दिन में दो बार शहद में मिक्स कर लेना चाहिए
वीर्य विकार और स्वप्नदोष में  आँवला मुरब्बा या इसबगोल के साथ 


इरेक्टाइल डिसफंक्शन और Impotency में घी के साथ खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए और साथ में मुसली पाक, कॉंच पाक या फिर अश्वगंधा, सफ़ेद मुसली, शतावर जैसी जड़ी-बूटियों का चूर्ण भी लेना चाहिए 


महिलाओं के मिसकैरेज और ल्यूकोरिया की प्रॉब्लम में अश्वगंधा चूर्ण या पुष्यानुग चूर्ण के साथ लेना चाहिए. साथ में फल घृत और सुपारी पाक का भी इस्तेमाल करें 


त्रिवंग भस्म का प्रयोग करते हुवे कुछ सावधानियाँ भी हैं जैसे –


प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग में इस्तेमाल न करें, लॉन्ग टाइम तक इस्तेमाल न करें. लगातार छह हफ्ते से अधीक प्रयोग न करें. किडनी फेलियर के रोगियों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए 

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