कुमार्यासव जिगर और तिल्ली के रोगों की आयुर्वेदिक दवा | jigar aur tilli ke rogon ki ayurvedic dava ‘Kumaryasav’



कुमार्यासव पेट के रोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आयुर्वेद की महान दवाओं में से एक है, इसे कुमारी आसव के नाम से भी जाना जाता है. कुमारी या घृतकुमारी  जिसे एलो वेरा भी कहते हैं इसका मुख्य घटक है. एलो वेरा को ग्वारपाठा भी कहते हैं. कुमार्यासव चार तरह का होता है कुमार्यासव नंबर – 1, नंबर- 2, नंबर- 3, नंबर- 4 


कुमार्यासव या कुमार्यासव नंबर – 1 का प्रयोग ही अधिक होता है 



कुमार्यासव लीवर, तिल्ली, और पाचन रोगों के लिए बेजोड़ दवा है. इसके इस्तेमाल से पाचन ठीक होता है, कब्ज़ दूर करता है, हिमोग्लोबिन के स्तर को सही करता है, भूख बढ़ाता है





लीवर का बढ़ जाना, जौंडिस या पीलिया, लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, तिल्ली का बढ़ जाना इत्यादि में फायदेमंद है


महिलाओं के प्रजनन विकार, बाँझपन में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 





खाँसी, खून की कमी, श्वसन रोग में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा दिल के रोग, मूत्र रोग, सुजन, बवासीर, पेट के कीड़े, पथरी, स्त्रियों के गर्भाशय रोग में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है.





कुमार्यासव का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका – 


15 से 30 ML तक सुबह शाम आधा कप पानी मिलाकर खाना खाने के बाद लेना चाहिए. शुरू में कम मात्रा में लें और कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद इसकी मात्रा बढाई जा सकती है 





कुमार्यासव या कुमारी आसव नंबर – 1 कई सारी कम्पनियाँ बनाती हैं जिसे आप आयुर्वेदिक मेडिकल से ले सकते हैं. निचे दिए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं-


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