कपूर कचरी हरिद्रा कुल की जड़ी-बूटी है मतलब की हल्दी के जैसा ही इसका कन्द होता है.
भाषा भेद से इस अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे
हिन्दी में – कपूर कचरी, काचरी, शोदुरी, सिररुति
संस्कृत में– षडग्रन्था, सुगन्धमूला, पलाशी, गन्धपलाशी, शटी
मराठी में – कापुर-कापुर कचरी, सीर, सुत्ती, गंधशटी, बेलतीकच्चर
बंगला में – कपूर कर्चुरी
गुजराती में – कपूर काचली, गन्धपलार्शी और
लैटिन में इसे – हेडिचियम स्पेकेटियम(Hedychium Spicatium) कहा जाता है.
घर की बदबू और ग्रहबाधा इत्यादि दूर करने के लिए इसे धुवन की तरह जलाने के काम भी लिया जाता है.
आईये अब इसके कुछ आसान से प्रयोग जानते हैं
सर्दी जुकाम में
कपूर कचरी, भूमि आँवला और त्रिकटु बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर इस चूर्ण को गुड़ और घी के साथ मिलाकर खाने से सर्दी जुकाम, सिने की जकड़न, सिने का दर्द दूर होता है.
अपच होने पर
कपूर कचरी का चूर्ण या इसका काढ़ा बनाकर सेवन करने से अपच और अजीर्ण इत्यादि की समस्या दूर होती है.
दस्त होने पर
कपूर कचरी के चूर्ण में शक्कर मिलाकर छाछ के साथ लेने से लूज़ मोशन या दस्त बन्द हो जाता है.
एसिडिटी/हाइपर एसिडिटी में
अम्लपित्त या एसिडिटी की समस्या में कपूर कचरी, मुलेठी, आंवला और धनिया बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सेवन से करने से एसिडिटी/हाइपर एसिडिटी की समस्या दूर होती है, यह किसी भी आधुनिक Antacid से बढ़कर काम करती है. ऐसे ही नुस्खे पर बनी दवा ‘अम्लपित्तान्तक चूर्ण’ है जिसे आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं हमारे स्टोर से.
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