इन 25 बीमारियों को दूर करें हल्दी से | Turmeric Use & Benefits

haldi ke fayde

हल्दी को कौन नहीं जानता? हर घर के किचन में इसका प्रयोग किया जाता है. परन्तु इसके औषधिय प्रयोग सभी लोग नहीं जानते, इसलिए आज आप सभी को हल्दी के कुछ ऐसे प्रयोग बताने वाला हूँ जो पहले आपने शायेद ही सुना होगा – 

सबसे पहले हल्दी का एक संक्षिप्त परिचय 

वैसे तो हल्दी किसी परिचय का मुहताज नहीं है, भाषा भेद से इसका नाम जान लेते हैं –

हिन्दी में– हल्दी, हरदी 

संस्कृत में – हरिद्रा, निशा, गौरी

गुजराती में – हलदर 

मराठी में – हलद 

पंजाबी में – हरदल 

बंगला में – हलुद 

तमिल में – मन्जल 

तेलगु में – पसुपु 

मलयालम में – हलद 

कन्नड़ में – आभिनिन 

अरबी में – कुंकुम 

फ़ारसी में – ज़र्दचोब 

अंग्रेज़ी में – टर्मेरिक(Turmeric) और 

लैटिन में – कर्कुमा लौंगा( Curcuma Longa) कहा जाता है. 

इसके बारे में यह सब जानकारी तो आपको गूगल सर्च करने से भी मिल जाएगी 

आयुर्वेदानुसार यह रस में तिक्त, कटु यानी में स्वाद में कड़वी, गुण में रुक्ष, लघु और वीर्य में उष्ण यानी तासीर में गर्म होती है. यह कफ़ और पित्त शामक है. 

आईये अब जानते हैं रोगानुसार हल्दी के 25 प्रयोग 

1) कील-मुहाँसे होने पर – हल्दी पाउडर, शहद और निम्बू के रस को मिक्स कर चेहरे पर लगाना चाहिए. रंग-रूप निखारने के लिए हल्दी का प्रयोग तो बहुत प्रचलित है.

2) खाज-खुजली में – हल्दी, कसौंदी और बाकुची का चूर्ण बनाकर कांजी में मिक्स कर लेप करना चाहिए. 

3) चोट-मोच होने पर – हल्दी, चुना और पुराना गुड़ बराबर मात्रा में लेकर पीसकर लेप करना चाहिए

4) प्रसव या डिलीवरी के बाद हल्दी चूर्ण को गाय के दूध और मिश्री के साथ सेवन करना चाहिए. यह काफी प्रचलित भी है, प्रसव के बाद अक्सर हल्दी को अलग-अलग तरीके से प्रयोग कराया जाता है. 

5) प्रमेह रोगों में – हल्दी के चूर्ण को आँवला और शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है. कच्ची हल्दी के रस को भी शहद के साथ सेवन कर सकते हैं.

6) पत्थरी में – आपको जानकारी हैरानी होगी कि पत्थरी की समस्या में भी हल्दी का सेवन कर सकते हैं. इसके लिए आपको एक ग्राम हल्दी चूर्ण में दो ग्राम गुड़ मिलाकर छाछ के साथ रोज़ तीन-चार बार लेना चाहिए. 

7) रक्त विकार या हर तरह के चर्म रोगों में – हल्दी, मंजीठ, कुटकी और चिरायता का चूर्ण सेवन करना चाहिए. 

8) आमातिसार में – हल्दी, दारूहल्दी, प्रिश्नपर्णी, इन्द्रजौ और मुलेठी का क्वाथ पीने से लाभ होता है. 

9) आमवात में – हल्दी, कूड़े की छाल, आँवला और दालचीनी समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर चार ग्राम की मात्रा में गर्म पानी से सेवन करना चाहिए. 

10) प्लीहावृद्धि या तिल्ली बढ़ने पर – हल्दी चूर्ण को एक कप घृतकुमारी के ताज़ा रस के साथ लेना चाहिए.

11) शीतपित्त या पित्ती उछलने पर – हल्दी चूर्ण को घी में भुनकर ठन्डे पानी से लेना चाहिए 

12) पेट के कीड़े होने पर – कच्ची हल्दी को नमक लगाकर खाने से क्रीमी नष्ट होती है. या फिर हल्दी चूर्ण को नारियल गिरी के साथ भी ले सकते हैं.

13) श्वेत प्रदर में – हल्दी चूर्ण और रसौत का सेवन करना चाहिए.

14) गला बैठने, आवाज़ बैठने पर – हल्दी चूर्ण को गर्म दूध में मिलाकर पीना चाहिए. 

15) टॉन्सिल्स बढ़ने पर – हल्दी, रसौत और बहेड़ा का चूर्ण बनाकर सेवन करना चाहिए. 

16) मुखपाक यानि माउथ अल्सर में – एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच घी को एक गिलास दूध में मिक्स कर सोने से पहले पीना चाहिए. 

17) खाँसी में – हल्दी का बारीक चूर्ण 20 ग्राम, सेंधा नमक का बारीक चूर्ण 5 ग्राम और गुड़ 20 ग्राम मिक्स कर टॉफ़ी की तरह की बड़ी बड़ी गोली बनाकर चुसना चाहिए.

18) श्वास या अस्थमा में – हल्दी चूर्ण 30 ग्राम, सोमलता चूर्ण 20 ग्राम और पीसी मिश्री 50 ग्राम मिलाकर रख लें. 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी से लेना चाहिए. 

19) सर्दी-जुकाम होने पर – हल्दी, काली मिर्च, अजवायन और सोंठ का काढ़ा बनाकर गुड़ मिलाकर थोड़ा-पीते रहने से लाभ होता है. 

20) जीर्ण ज्वर में – हल्दी और पिप्पली के चूर्ण को गिलोय के रस के साथ सेवन करना चाहिए. 

21) पीलिया, कामला या जौंडिस होने पर – 3 ग्राम हल्दी के चूर्ण को 60 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करना चाहिए. पीलिया में हल्दी के अनेकों प्रयोग हैं. जानकारी के अभाव में कुछ लोग मानते हैं कि जौंडिस में हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए, जो कि बिल्कुल सही नहीं है. 

22) सुजाक में – हल्दी का क्वाथ पीने से सुज़ाक के रोगी को लाभ होता है. 

23) तृष्णा में यानि ज़्यादा प्यास लगने पर – हल्दी के क्वाथ में शहद और मिश्री मिलाकर पीने से कफज तृष्णा नष्ट होती है. 

24) कैंसर के लिए – हर तरह के कैंसर में हल्दी का बारीक कपड़छन चूर्ण शहद के साथ सेवन करना चाहिए. 

25) श्वास या अस्थमा में – हल्दी चूर्ण और वासा के पत्तों को कोयले या आयरन पर जलाकर इसका धुवाँ लेने से लाभ होता है. हल्दी चूर्ण और वासा पत्र के मोटा चूर्ण कर ख़ाली सिगार में भरकर या फिर पत्ते में बाँधकर बीड़ी-सिगरेट की तरह भी पीया जा सकता है. 

इस तरह से हल्दी के सैंकड़ों प्रयोग हैं जिस से अनेकों रोगों को दूर किया जा सकता है. पर ध्यान रहे कि बिना केमिकल वाली,  बिना रासायनिक खादों वाली हल्दी होनी चाहिए, तभी इसका पूरा लाभ मिलेगा. हल्दी पाउडर में अक्सर मिलावट होती है, इसलिए अच्छी खड़ी हल्दी लाकर ख़ुद से इसका चूर्ण बनाकर प्रयोग करें. 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *