अगस्त का यह महिना चल रहा है और एक लम्बे अन्तराल के बाद नयी-नयी जानकारियाँ फिर से देने वाला हूँ और आज की जानकारी है अगस्त्य नाम की वनस्पति की –
सबसे पहले भाषा भेद से इसका नाम जानते हैं –
संस्कृत में – अगस्त्य, अगस्ति, मुनिद्रुम, बंगसेन, वक्रपुष्प
हिन्दी में – अगस्तिया, अगस्त, अग्थिया
तमिल में- अगति, अगति चीरा
गुजराती में – अगथियो
मराठी में – अगस्ता, हृदगा, हेटा
बांग्ला में – बगफल, वक, वकफुलेर गाछ
तेलगु में- अविषी
अंग्रेजी में – लार्ज फ्लावर्ड अगती
लैटिन में – सेस्बेनिया ग्रेनडीफ़्लोरा(Sesbania Grandiflora) जैसे नामों से जाना जाता है. यहाँ पर अगर किसी का उच्चारण या भाषा भेद से नाम ग़लत हुआ हो तो कमेंट कर अवश्य बताएं
रासायनिक संगठन – इसकी छाल में टैनिन और लाल रंग का गोंद होता है. इसके पत्तों में प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, विटामिन ऐ, बी और सि पाए जाते हैं.
अगस्त्य के गुण –
आयुर्वेदानुसार अगस्त्य शीतवीर्य, कफपित्त शामक, तिक्त, रुक्ष-लघु गुण वाला होता है.
कब्ज़, पेट की गर्मी दूर करने और पाचन शक्ति ठीक करने के लिए इसके पत्तों का साग बनाकर लोग प्रयोग करते हैं. आईये अब जानते हैं अनेकों रोग दूर करने वाले अगस्त्य के कुछ आसान से प्रयोग-
इसके पत्तों को पीसकर ज़ख्म पर बाँधने से ज़ख्म जल्दी भर जाते हैं.
पत्तों का रस नाक में डालने से जमा हुआ दोष निकलता है और सर दर्द, जुकाम में लाभ होता है.
इसके पत्तों के रस को शरीर में मलने से खुजली मिट जाती है.
अगस्त्य के पत्तों का क्वाथ या इसका साग खाने से कब्ज़ दूर होता है. ध्यान रहे इसके अति सेवन से अतिसार या लूज़ मोशन होता है.
इसके फूलों के सेवन से रतोंधी दूर होती है. फूलों के रस को आँखों में डालना चाहिए.
अगस्त्य के फूलों को भुनकर खाने से मन की चंचलता दूर होती है.
प्रमेह में – आचार्य भावमिश्र इसके फूलों को पीसकर भैंस के दही में मिक्स कर इसका मक्खन निकालकर सेवन करने के लिए कहा है. अगस्त्य के फूलों को भुनकर खाने से प्रमेह में लाभ होता है.
खाँसी में – अगस्त्य और अडूसे के फूलों का क्वाथ मिश्री और हल्दी मिलाकर सेवन करने से खाँसी में लाभ होता है.
पेट दर्द होने पर – इसकी छाल के क्वाथ में सेंधा नमक और भुनी हींग मिलाकर सेवन करना चाहिए
मेमोरी पॉवर के लिए – इसके बीज के चूर्ण को गाय के दूध से लेने से मेमोरी पॉवर बढ़ती है.
दांत दर्द होने पर – इसके गोंद को दांत में दबाने से दांत दर्द दूर होता है.
चोट लगने पर – इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर बांधना चाहिय.
बेहोशी में – किसी भी कारन से बेहोशी हो तो इसके पत्तों का रस नाक में टपकाने से रोगी तुरंत होश में आ जाता है.
सर दर्द और माईग्रेन में – अधकपारी या सर्दी की वजह से होने वाले सर दर्द में जिस तरफ दर्द हो उसके विपरीत नासाछिद्र में इसके पत्तों का रस टपकाने से छींक आकर सर दर्द दूर होता है.