मृग श्रृंग भस्म, न्युमोनिया की बेजोड़ दवा | Mrig Shring Bhasma Benefits, Usage & Indication



मृग श्रृंग भस्म को श्रृंग भस्म भी कहा जाता है जो ख़ासकर न्युमोनिया, बलगमी खांसी, प्लूरिसी, इन्फ्लुएंजा, सर्दी जुकाम, सीने का दर्द, हार्ट का दर्द, बुखार, टी बी की बुखार, रिकेट्स और हड्डी के रोगों जैसे कई तरह की बीमारियों में असरदार है. यह फ़ास्ट एक्टिंग Expectorant की तरह काम करता है. तो आईये जानते हैं श्रृंग भस्म क्या है, कैसे बनता है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल – 


मृग श्रृंग भस्म जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है मृग श्रृंग यानि हिरण के सिंग का भस्म, अंग्रेज़ी में इसे Deer Horn Ash कह सकते हैं. इसे बनाने के लिए बारह सिंघा के टूटे हुवे सिंग का इस्तेमाल किया जाता है. आपने देखा होगा बारहसिंघा के लम्बे बड़े-बड़े सिंग होते हैं, आपस में कभी लड़ाई के दौरान या फिर पेड़ों में सिंग फंस जाने से सिंग टूट जाते हैं जिनका इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है. आयुर्वेद किसी जानवर को मारकर सिंग यूज़ करने की इजाज़त नहीं देता. 


मृग श्रृंग भस्म कैसे बनता है?


बनाने का तरीका यह होता है कि सिंग के छोटे-छोटे छोटे टुकड़े कर मिट्टी के बर्तन में डालकर अग्नि दी जाती है. उसके बाद आक या अकवन के दूध की भावना देकर गजपुट की अग्नि दी जाती है. इसी तरह से तीन भावना और तीन पुट की अग्नि देने पर सफ़ेद रंग की सॉफ्ट भस्म तैयार होती है. 


श्रृंग भस्म के गुण- 


यह एक बेहतरीन Expectorant या कफ़ नाशक है. Antitussive, Antibacterial और Antimicrobial जैसे गुण पाए जाते हैं. 


श्रृंग भस्म के फ़ायदे- 


श्रृंग भस्म जो है स्वसन तंत्र या Respiratory System के रोगों के लिए बेहतरीन दवा है. हड्डी और जॉइंट को मज़बूती देता है, हार्ट और लंग्स को ताक़त देता है. 


न्युमोनिया और बलगमी खाँसी में यह अंग्रेज़ी दवा की तरह तेज़ी से काम करता है. बच्चों के न्युमोनिया में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग करते हैं. 30 से 60 mg तक शहद में मिलाकर दिन में तीन-चार बार देने से बच्चों का न्युमोनिया या पसली चलना दूर होता है. 


कफ़ वाली बलगमी खाँसी या Productive Cough में इसे सितोपलादि चूर्ण और टंकण भस्म के साथ लेने से तेज़ी से फ़ायदा होता है. 


इसके अलावा टी. बी. का बुखार, प्लूरिसी, हार्ट का दर्द, ब्रोंकाइटिस, इन्फ्लुएंजा जैसे रोगों में दूसरी सहायक औषधियों के साथ लेने से लाभ मिलता है. 


श्रृंग भस्म का डोज़- 


125 mg से 250 mg तक यह बड़े लोगों की मात्रा है. बच्चों को 20 mg से 60 mg तक उनकी आयु के अनुसार शहद में मिक्स कर या फिर रोगानुसार अनुपान के साथ देना चाहिए. नवजात शिशु से लेकर उम्रदराज़ लोगों तक इस्तेमाल कर सकते हैं. बस इसका डोज़ सही हो इसका ख्याल रखना चाहिए. 


यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें और सुखी खाँसी में भूलकर भी इसका इस्तेमाल न करें. 


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