निर्गुन्डी को संस्कृत में निर्गुन्डी, हिंदी में - सम्भालु, मराठी में- निगड़, गुजराती में - नगड़ और नगोड़, बंगाली में- निशिन्दा और लैटिन में इसे वाईटेक्स निगंडो के नाम से जाना जाता है.
यह दो तरह की होती है नीले फूल वाली और सफ़ेद फूल वाली.
निर्गुन्डी के गुण-
यह तासीर में गर्म, कफ़ और वात दोष को दूर करने वाली, Analgesic, एंटी इंफ्लेमेटरी, हीलिंग और सुजन दूर करने वाले गुणों से भरपूर है.
निर्गुन्डी के फ़ायदे -
निर्गुन्डी के बीज और इसकी जड़ की छाल को कई सारी शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवाओं में मिलाया जाता है. वातनाशक होने से यह गठिया, जोड़ों का दर्द, साइटिका, आमवात, दिमाग के रोगों के अलावा पेट के रोगों में भी फायदेमंद है. यहाँ मैं आपको इसके कुछ आसान से प्रयोग बता देता हूँ.
हर तरह के दर्द वाले वात रोगों में इसकी जड़ की छाल का काढ़ा या फिर इसके बीजों का चूर्ण इस्तेमाल करने से फ़ायदा होता है. अगर गठिया, साइटिका जैसे रोगों में तरह-तरह की दवा खाने से भी फ़ायदा नहीं होता हो तो भी इसके जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पियें, इस से फायदा मिलेगा और बीमारी दूर होगी.
इसके पत्तों का रस पिने से पेट के कीड़े या कृमि रोग दूर होते हैं.
आईये अब जानते हैं इसके कुछ एक्सटर्नल प्रयोग -
हर तरह के चर्मरोग और फोड़े-फुंसी में -
इसके पत्तों के रस को निकालकर तेल पका लें, इस तेल को लगाने से चर्मरोग मिटते हैं. जल्दी न भरने वाले ज़ख्म को इस तेल से ड्रेसिंग करने से ज़ख्म जल्द भर जाते हैं.
दर्द होने पर पर -
बॉडी में कहीं भी दर्द हो तो इसके पत्तों को हल्का गर्म कर बांधने से फ़ायदा होता है. जोड़ों का सुजन, जोड़ों का दर्द, आमवात जैसे रोगों में इसका इस्तेमाल करना चाहिए. इसके पत्तों के रस को गर्म कर मालिश करने से भी दर्द दूर होता है.
शरीर में जकड़न होने पर -
अगर पुरे बॉडी में जकड़न हो और हाथ पैर काम नहीं करे तो चारपाई पर इसके पत्ते को बिछाकर रोगी को लिटा दें और निचे से अग्नि दें और रोगी के बॉडी पर हल्की चादर रखें. दो दिन दिनों में ही ऐसा करने से बॉडी का दर्द जकड़न दूर हो जाती है.
अंडकोष की सुजन होने पर-
इसके पत्तों को पीसकर दशांग लेप मिक्स कर अंडकोष पर लेप करने से सुजन मिट जाती है.
सूखे पत्तों को घर में जलाने या धुवन करने से हर तरह के वायरस और बैक्टीरिया दूर होते हैं और घर का वातावरण शुद्ध होता है. इसके प्रोडक्ट ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से -
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