अभ्रक भस्म आयुर्वेदिक की जानी-मानी दवा है जो त्रिदोष नाशक है. यानि इसके इस्तेमाल से ऑलमोस्ट हर तरह के रोग दूर होते हैं अगर इसे सही दवाओं के साथ इस्तेमाल किया जाये. यह रेस्पिरेटरी सिस्टम के रोग, लीवर-पाचन तंत्र के रोग, मानसिक रोग, चर्मरोग, हड्डी के रोग, पुरुष यौनरोग-महिला रोग जैसे हर तरह की बीमारियों को दूर करता है. तो आईये जानते हैं अभ्रक भस्म क्या है? कैसे बनता है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
अभ्रक भस्म जैसा कि इसमें नाम से ही पता चलता है यह अभ्रक नाम के खनिज से बनाया जाता है. अभ्रक को अंग्रेज़ी में Mica कहते हैं. अभ्रक भस्म बनाने के उच्च गुणवत्ता वाले वज्राभ्रक का इस्तेमाल किया जाता है जो की काले रंग का होता है और भस्म बनाने के लिए यही सबसे बेस्ट होता है.
इसे आयुर्वेदिक प्रोसेस से शोधन मारण करने के बाद जड़ी-बूटियों की भावना देने के बाद अग्नि देकर भस्म बनाया जाता है. इन सारे प्रोसेस में काफ़ी टाइम लगता है और विधि-विधान का ध्यान रखा जाता है. क़रीब 72 तरह की जड़ी-बूटियाँ इसके प्रोसेस में लगती हैं. आम आदमी के लिए अभ्रक भस्म बनाना आसान काम नहीं है, इसलिए इसकी निर्माण विधि पर ज़्यादा चर्चा नहीं करूँगा.
अभ्रक भस्म गजपुट की अग्नि देकर बनाया जाता है, इसे जितनी बार अग्नि दी जाती है यह उतना ही इफेक्टिव बनता है. यह तीन तरह से बनाया जाता है जैसे-
अभ्रक भस्म - इसे दस बार गजपुट की अग्नि दी जाती है
अभ्रक भस्म शतपुटी- इसे 100 बार गजपुट की अग्नि दी जाती है
अभ्रक भस्म सहस्रपुटी - इसे 1000 बार गजपुट की अग्नि दी जाती है और यही सबसे हाई पॉवर और हाई क्वालिटी का होता है.
अभ्रक भस्म में कई तरह के मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे - मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, पोटैशियम, कैल्शियम, सोडियम, आयरन, क्लोरीन और फॉस्फोरस वगैरह
अभ्रक भस्म के गुण -
तासीर में शीतवीर्य या ठंडा, त्रिदोष नाशक और कई तरह के गुणों से भरपूर होता है यह Antacid, Anti-inflammatory, चिंता-तनाव दूर करने वाला, Nervine टॉनिक, जनरल बॉडी टॉनिक, हार्ट टॉनिक, बल-वीर्य वर्धक, यौनशक्ति बढ़ाने वाला, लीवर-पाचन शक्ति ठीक करने वाला, खून बढ़ाने वाला, ज्वरनाशक जैसे गुण इसमें होते हैं.
यह योगवाही है, मतलब जिस भी दवा में इसे मिक्स कर यूज़ करेंगे यह उस दवा का गुण और पॉवर बढ़ा देता है. रसायन जैसे गुण भी हैं इसमें.
अभ्रक भस्म के फ़ायदे-
चूँकि अभ्रक भस्म कई तरह के रोगों में लाभकारी तो आईये जानते हैं Category वाइज इसकी डिटेल
पेट-लीवर और पाचनतंत्र के लिए -
एसिडिटी, सीने की जलन, अल्सर, हेपेटाइटिस, जौंडिस, लीवर बढ़ जाना, स्प्लीन बढ़ जाना अल्सरेटिव कोलाइटिस और Irritable Bowel Syndrome या IBS, पेट के कीड़े(Worms)
फेफड़े के रोग या Respiratory System के लिए -
खाँसी, अस्थमा, पुरानी खांसी, कुकर खाँसी, साँस की तकलीफ़, टी. बी.
दिमाग, मानसिक और नर्वस सिस्टम के रोग -
सर दर्द, चिंता-तनाव, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस, नींद की कमी, माइग्रेन, मृगी, हिस्टीरिया, अल्झाइमर, पार्किन्सन जैसी बीमारियाँ
ह्रदय रोग(Heart Disease)-
दिल की कमज़ोरी, धड़कन, दिल का दर्द(Angina pectoris), दिल का साइज़ बढ़ना(Cardiomegaly), खून की कमी, Atherosclerosis
पुरुष यौन रोग -
शीघ्रपतन, नामर्दी, वीर्य विकार, शुक्राणुओं की कम संख्या, Oligospermia वगैरह
महिला रोग -
पीरियड्स की प्रॉब्लम, मीनोपॉज की प्रॉब्लम, ल्यूकोरिया या सफ़ेद पानी आने पर
किडनी और यूरिनरी सिस्टम के रोग -
प्रमेह, पेशाब की जलन, पेशाब रुकना, यूरिन इन्फेक्शन वगैरह
त्वचा विकार या Skin Disease -
ग्लैंड, ग्रंथि, Cyst, कुष्ठव्याधि(Leprosy), ज़ख्म, फोड़े-फुंसी जैसा कि मैंने बताया है, इन सब बीमारियों में यह असरदार है और फ़ायदा तभी होगा जब उचित अनुपान के साथ इसे लिया जाये. तो अब जानते हैं कि किन रोगों में इसे किस दवा के साथ लेना चाहिए -
- एसिडिटी, सीने की जलन और अल्सर में -
अभ्रक भस्म के साथ प्रवाल पिष्टी, आँवला और यष्टिमधु के चूर्ण को शहद में मिक्स कर लेना चाहिए
- IBS(Irritable Bowel Syndrome) के लिए -
इसके साथ त्रिकटू चूर्ण को घी में मिक्स कर लेना चाहिए
- पुरानी बुखार(Chronic Fever) में -
अभ्रक भस्म और पिप्पली चूर्ण को शहद में मिक्स कर लेना चाहिए
- सफ़ेद पानी या ल्यूकोरिया में -
अभ्रक भस्म, सोना गेरू और गिलोय सत्व मिक्स कर चावल के धोवन के साथ लेना चाहिए
- बलगमी खांसी में -
सितोपलादि चूर्ण और श्रृंग भस्म के साथ मिलकर शहद के साथ लेना चाहिए
- उच्च रक्तचाप(High Blood Pressure) में -
अभ्रक भस्म और मोती पिष्टी को शहद में मिक्स कर ले सकते हैं.
- ह्रदय रोगों(Heart Disease) में -
अर्जुन की छाल का चूर्ण और पुष्करमूल के चूर्ण के साथ लेना चाहिए.
- तपेदिक या टी.बी. में
अभ्रक भस्म को स्वर्ण भस्म और च्यवनप्राश के साथ देना चाहिए. साथ में रुदंती चूर्ण भी मिलाया जा सकता है.
- Osteoprosis और हड्डियों की कमज़ोरी में -
इसे हडजोड के चूर्ण और यशद भस्म के साथ दें, साथ में लक्षादी गुग्गुल भी प्रयोग करें.
- अस्थमा में -
पिप्पली, यष्टिमधु चूर्ण में अभ्रक भस्म मिलाकर शहद के साथ लेना चाहिए.
- मेमोरी लॉस में -
अभ्रक भस्म को शंखपुष्पी, ब्राह्मी और असगंध के चूर्ण के साथ ले सकते हैं.
खून बहने, Internal Bleeding या ब्लीडिंग डिसऑर्डर में -
अभ्रक भस्म को जटामांसी, खूनखराबा के चूर्ण के साथ लेना चाहिए.
- ताक़त बढ़ाने और कमज़ोरी दूर करने के लिए -
अश्वगंधा, शिलाजीत और रस सिन्दूर के साथ लिया जा सकता है.
- नामर्दी या Impotency के लिए -
अभ्रक भस्म को असगंध, लौंग, अकरकरा और जायफल के चूर्ण के साथ लेना चाहिए.
- वीर्य विकार, शुक्रणुहीनता(Oligospermia) में -
अभ्रक भस्म के साथ स्वर्ण भस्म, रजत भस्म और असगंध चूर्ण को मिक्स कर लिया जा सकता है.
इस तरह से देखा जाये तो अनेकों रोगों में अभ्रक भस्म को सहायक औषधि के साथ यूज़ कर फ़ायदा लिया जाता है. अभ्रक भस्म एक पावरफुल दवा है जिसे सही मात्रा में सही अनुपान के साथ इस्तेमाल करना चाहिए.
अभ्रक भस्म का डोज़ -
125 mg से 250 mg तक रोज़ दो से तीन बार तक( यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है)
एक साल से छोटे बच्चों को 15 से 30 mg और एक से दस साल तक के बच्चों को 30 mg से 90 mg तक रोज़ दो बार दिया जा सकता है.
अभ्रक भस्म का साइड इफ़ेक्ट -
वैसे तो अभ्रक भस्म ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में बताई गयी बीमारीओं में यूज़ करने से फ़ायदा होता है. ज्यादा डोज़ होने पर हार्ट बीट को बढ़ा देता है. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करना चाहिए.
कुछ क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन में अभ्रक भस्म मेन इनग्रीडेंट के रूप में होता है जैसे - महायोगराज गुग्गुल, त्रैलोक्य चिंतामणि रस, स्वर्णभूपति रस, पंचामृत पर्पटी, प्राणदा पर्पटी वगैरह.
बैद्यनाथ, डाबर जैसी बहुत सी आयुर्वेदिक कम्पनी अभ्रक भस्म बनाती हैं जिसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीदा जा सकता है.
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