संजीवनी वटी एक ऐसी दवा है जिसके इस्तेमाल से फ्लू, सर्दी, खाँसी, जुकाम, बुखार, टाइफाइड, पेट दर्द, पेट के कीड़े के अलावा भी कई दुसरे रोगों में इस्तेमाल की जाती है
संजीवनी वटी से मिलता जुलता नाम आपने सुना होगा 'संजीवनी बूटी' का, तो यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि इस दवा में किसी तरह की संजीवनी बूटी नहीं होती है. संजीवनी वटी के कई सारे काम हैं, रोगों को दूर कर जीवन देती है, इसे साँप काटने पर भी इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए इसका नाम संजीवनी वटी रखा गया है
संजीवनी वटी के कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें गिलोय, सोंठ, पीपल, हर्रे, बहेड़ा, आँवला, बच, शुद्ध भिलावा और शुद्ध बछनाग के मिश्रण में गौमूत्र की भावना देकर खरलकर बनाया जाता है
संजीवनी वटी के फ़ायदे-
त्रिदोष पर इसका प्रभाव होता है, यह वात और पित्त को बैलेंस करती है
फ्लू, सर्दी-खांसी और जुकाम में इसके इस्तेमाल से फायदा होता है
नयी पुरानी बुखार, टाइफाइड में इसका इस्तेमाल किया जाता है
पाचन शक्ति की प्रॉब्लम, गैस, पेट दर्द को दूर करती है, पेट के कीड़े या वर्म्स को भी दूर करने के गुण इसमें पाए जाते हैं
साँप काटने या स्नेक बाईट और किसी दुसरे ज़हरीले जानवर के काटने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है
संजीवनी वटी का डोज़ -
1 से 2 गोली तक अदरक का रस या गर्म पानी से लेना चाहिए. अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे अलग अलग अनुपान के साथ कई तरह की बीमारियों में इस्तेमाल करते हैं
संजीवनी वटी को डॉक्टर की सलाह के बिना यूज़ नहीं करना चाहिए, खुद से दवा लेना या ज़्यादा डोज़ लेने पर गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं
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